सर्वोच्च न्यायालय ने वेदांत समूह द्वारा तमिलनाडु के तुत्तुकुडी में तांबा गलाने वाला अपना संयंत्र फिर से खोलने की याचिका ‘गंभीर और बार-बार उल्लंघन’ का हवाला देते हुए आज खारिज कर दी। यह संयंत्र मई 2018 से बंद है, क्योंकि इससे कथित प्रदूषण के विरोध प्रदर्शन रोकने के लिए पुलिस ने गोलियां चलाईं जिससे 13 लोगों की मौत हो गई थी।
गुरुवार को प्रधान न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की तीन सदस्यों वाले पीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय के अगस्त 2020 के फैसले के खिलाफ वेदांत की अपील खारिज कर दी।
पीठ ने अपने फैसले में कहा कि उद्योग बंद होना बेशक पहली पसंद का मामला नहीं है। अलबत्ता उल्लंघनों की गंभीरता के साथ-साथ बार-बार उल्लंघन की प्रकृति की वजह से इस विश्लेषण में न तो वैधानिक प्राधिकरण और न ही उच्च न्यायालय कोई अन्य नजरिया अपनाएंगे, जब तक कि वे अपने स्पष्ट कर्तव्य से बेखबर न हों।
स्टरलाइट अपनी क्षमता 4,00,000 टन से दोगुना कर 8,00,000 टन करना चाहती थी। तमिलनाडु में पीपुल राइट प्रोटेक्शन सेंटर (पीआरपीसी) के एक वरिष्ठ नेता जिम राज मिल्टन ने कहा कि यह उन लोगों की बड़ी जीत है, जिन्होंने प्रदूषण मुक्त देश के लिए लड़ाई लड़ी। वेदांत लगातार प्रदूषण फैलाने वाली है। पीआरपीसी गैर सरकारी संगठन है, जो स्टरलाइट इकाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का हिस्सा था।