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Tata Sons की लाभांश आय का इस्तेमाल, बट्टे खाते, घाटे वाली फर्मों में निवेश

पिछले 10 साल (वित्त वर्ष 2004 से वित्त वर्ष 13) में संयुक्त रूप से टाटा संस की लाभांश आय केवल 20,000 करोड़ रुपये थी।

Last Updated- August 25, 2023 | 10:17 PM IST
Tata Sons becomes debt free for the first time in 18 years, paving the way for investment in new areas 18 साल में पहली बार Tata Sons बनी कर्ज मुक्त, नए क्षेत्रों में निवेश का रास्ता साफ

समूह की कंपनियों से लाभांश आय के मामले में पिछला दशक टाटा संस के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद रहा। नियंत्रक कंपनी ने वर्ष 2013-14 के बाद से समूह की कंपनियों द्वारा शेयरों की पुनर्खरीद के जरिये आय और लाभांश के रूप में संयुक्त रूप से 1.78 लाख करोड़ रुपया कमाया। यह रा​शि देश के निजी क्षेत्र के कारोबारी समूहों में सर्वा​धिक है।

हालांकि इस आय का एक बड़ा हिस्सा टाटा संस द्वारा या तो संकटग्रस्त परिसंपत्तियों के बट्टे खाते या फिर दूरसंचार, खुदरा, ई-कॉमर्स और विमानन क्षेत्रों में अपनी गैर-सूचीबद्ध सहायक कंपनियों द्वारा होने वाले निरंतर घाटे से निपटने के लिए पैसा देने के लिए इस्तेमाल किया गया था।

पिछले 10 साल (वित्त वर्ष 2004 से वित्त वर्ष 13) में संयुक्त रूप से टाटा संस की लाभांश आय केवल 20,000 करोड़ रुपये थी। पिछले 10 साल में टाटा संस की कुल लाभांश आय और शेयरों की पुनर्खरीद से होने वाली आय का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) से हासिल हुआ है।

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वित्त वर्ष 23 में टाटा संस ने 33,423 करोड़ रुपये की लाभांश आय अर्जित की, जो इस वर्ष इसकी कुल आय 35,058 करोड़ रुपये का 95.3 प्रतिशत थी। ऐतिहासिक रूप से शेयरों की पुनर्खरीद से प्राप्त आय और लाभांश का टाटा संस की कुल आय में 90 प्रतिशत योगदान रहा है। इसमें बाकी हिस्सेदारी ब्रांड शुल्क और उसके कोष परिचालन पर ब्याज की रही है।

समूह की नियंत्रक कंपनी ने वित्त वर्ष 2014 के बाद से संयुक्त रूप से 84,250 करोड़ रुपये के निवेश और परिसंपत्तियों को बट्टे खाते में डाला है, जो समूह सूचीबद्ध कंपनियों से उसकी अनुमानित लाभांश आय के लगभग 47 प्रतिशत के बराबर है।

पिछले दो वर्षों के दौरान टाटा संस द्वारा परिसंपत्तियों को बट्टे खाते में डाले जाने में तो गिरावट आई है, लेकिन इसने खुदरा, विमानन, ई-कॉमर्स और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्रों में घाटे में चल रही उद्यमों में निवेश बढ़ा दिया है। अगर ये उद्यम जल्द ही लाभ नहीं कमाते हैं, इससे भविष्य में बड़ी परिसंपत्तियों के बट्टे खाते में जाने का जोखिम बढ़ जाएगा।

परिसंपत्तियों का बट्टा खाता ज्यादातर टाटा संस की दूरसंचार सहायक कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज में उसके पिछले निवेश से जुड़ा हुआ है। नियंत्रक कंपनी ने टाटा टेलीसर्विसेज में अपने पिछले अधिकांश निवेशों को बट्टे खाते में डाल दिया और इसके निरंतर घाटे से निपटने के लिए वित्त वर्ष 23 में कंपनी में 995 करोड़ रुपये का अतिरिक्त इक्विटी निवेश किया। टाटा टेलीसर्विसेज का संयुक्त घाटा वित्त वर्ष 22 के 52,043 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 23 में 67,042 करोड़ हो गया।

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टाटा संस की परिसंपत्ति हानि और बट्टा खाता वित्त वर्ष 20 के 14,110 करोड़ से घटकर वित्त वर्ष 23 में 1,240 करोड़ रुपये हो गया। हालांकि इस अवधि के दौरान टाटा डिजिटल, टाटा-एसआईए एयरलाइंस और एईएक्स कनेक्ट, जो पहले एयर एशिया (भारत) थी, जैसी घाटे में चल रही कंपनियों में नियंत्रक कंपनी द्वारा नए इक्विटी निवेश में बड़ी उछाल देखी गई।

टाटा संस का अपनी गैर-सूचीबद्ध सहायक कंपनियों, संयुक्त उद्यमों और सहयोगियों में संयुक्त निवेश बढ़कर मार्च 2023 के अंत में 61,719 करोड़ रुपये हो गया, जो मार्च 2020 के अंत में 30,521 करोड़ रुपये था। इसके विपरीत समूह की सूचीबद्ध कंपनियों, जिनमें से अधिकांश लाभ में हैं, में टाटा संस का इक्विटी निवेश पिछले दो वर्षों में केवल 584 करोड़ रुपये बढ़ा है।

First Published - August 25, 2023 | 10:17 PM IST

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