टाटा स्टील (Tata Steel) ने अपने यूके स्थित पोर्ट टालबोट प्लांट में कम कार्बन उत्सर्जन वाला इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस (EAF) लगाने की योजना बनाई है। यह प्लांट जुलाई 2025 से बनना शुरू होगा और 2027 तक इसका संचालन शुरू हो जाएगा। कंपनी ने अपनी वित्त वर्ष 2024–25 की वार्षिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।
रिपोर्ट के अनुसार, यह नया प्लांट रीसाइकल किए गए स्क्रैप का उपयोग करेगा और इससे 90% तक साइट पर कार्बन उत्सर्जन में कटौती संभव होगी। सालाना 3.2 मिलियन टन कम-उत्सर्जन स्टील उत्पादन की क्षमता वाले इस प्रोजेक्ट से अगले 10 वर्षों में 50 मिलियन टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आने का अनुमान है।
कंपनी ने बताया कि यह बदलाव लागत को काबू में रखने की रणनीति के साथ किया जा रहा है। टाटा स्टील का लक्ष्य है कि FY25 में £762 मिलियन के फिक्स्ड कॉस्ट को अगले साल £540 मिलियन तक घटा दिया जाए।
प्रदर्शन और निवेश
कंपनी के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन के मुताबिक, हाल ही में अधिग्रहीत नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड ने शानदार प्रदर्शन किया है। इसने ₹1,000 करोड़ का EBITDA और पॉजिटिव फ्री कैश फ्लो दर्ज किया।
FY2024–25 में टाटा स्टील का कच्चे इस्पात का उत्पादन 30.92 मिलियन टन रहा और डिलीवरी 30.96 मिलियन टन तक पहुंची, जो सालाना आधार पर क्रमशः 3.3% और 5.3% की बढ़त है। ये दोनों आंकड़े कंपनी के लिए अब तक के सर्वोच्च स्तर हैं।
क्लाइमेट लक्ष्य
टाटा स्टील का लक्ष्य है कि FY2024–25 की तुलना में 2030 तक उत्सर्जन तीव्रता में 10–15% की कमी लाई जाए।
भारत में भी कंपनी 0.75 मिलियन टन प्रति वर्ष की क्षमता वाला स्क्रैप-आधारित EAF लुधियाना में बना रही है, ताकि भविष्य में कम उत्सर्जन वाले स्टील की मांग को पूरा किया जा सके। इसके साथ ही, कंपनी अपने वैल्यू चेन को डीकार्बोनाइज करने के लिए नई तकनीकों का परीक्षण कर रही है।
इसके अलावा, टाटा स्टील ने भारत का पहला कार्बन बैंक शुरू किया है, जिसका उद्देश्य CO₂ को मूल्य-सृजक परिसंपत्तियों में बदलना है।
हाइड्रोजन पाइप तकनीक में भी अग्रणी
टाटा स्टील हाइड्रोजन पाइप निर्माण में भी भारत की पहली कंपनी बन गई है, जिसने एंड-टू-एंड क्षमता का प्रदर्शन किया है। जनवरी 2025 में कंपनी ने API X65 ग्रेड की Electric Resistance Welded (ERW) पाइपें बनाई और सफल परीक्षण किया। ये पाइपें 100% शुद्ध गैसीय हाइड्रोजन को उच्च दबाव पर ले जाने में सक्षम हैं।
तकनीक और AI का उपयोग
FY25 में कंपनी ने 558 से अधिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल्स का इस्तेमाल किया है। ये मॉडल प्रोसेस कंट्रोल, मेंटेनेंस, खरीद विश्लेषण, माइनिंग साइट्स पर बोल्डर डिटेक्शन और ऑपरेशंस मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में उपयोग हो रहे हैं।
इसके अलावा, भारत में Compass और यूरोप में Nexus जैसे सप्लाई चेन सॉल्यूशंस से ग्राहक तक मटेरियल फ्लो को बेहतर तरीके से ट्रैक किया जा रहा है। कंपनी का i-ROC (Integrated Remote Operations Centre) संयंत्रों की रिमोट निगरानी और संचालन में मदद कर रहा है।