दूरसंचार कंपनियों ने उपभोक्ता मामले के विभाग से फर्जी कॉल और मेसेज को रोकने के उद्देश्य से मसौदा दिशानिर्देशों को तुरंत जारी करने का आग्रह किया है। विभाग की सचिव निधि खरे लिखे पत्र में सेल्युलर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने बताया है कि मानदंड मौजूदा नियामक व्यवस्था में कमियों को दूर कर सकते हैं।
विभागीय समिति ने इस साल की शुरुआत में एक दिशानिर्देश दिया था, जो जिम्मेदारी सौंपने और फर्जी कॉल एवं मेसेज के स्रोत के खिलाफ कार्रवाई करने के नतीजतन आए थए। इस कदम की सीओएआई ने भी सराहना की थी, जो निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है।
इसमें रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया जैसी कंपनियां शामिल हैं। मसौदा दिशानिर्देशों में अनचाहे कारोबारी कॉल (यूबीसी) के स्रोत यानी बैंकों, रियल एस्टेट जैसी संस्थाओं के लिए फोन करने वाले एजेंटों को ही सीधे तौर पर जिम्मेदार मानने का आह्वान किया गया था। सीओएआई ने अपने पत्र में कहा है, ‘इन दिशानिर्देशों के जरिये विभाग ऐसे अनचाहे कारोबारी कॉल पर अंकुश लगाने के लिए मौजूदा नियामकीय व्यवस्था में एक महत्त्वपूर्ण अंतर को पाट सकता है।’ बिज़नेस स्टैंडर्ड से भी उस पत्र को देखा है।
फर्जी कॉल और मेसेज की बढ़ती घटनाओं पर सरकार की चल रही लड़ाई ट्राई अधिनियम, 1997 के तहत तैयार टेलीकॉम वाणिज्यिक संचार ग्राहक वरीयता विनियमन, 2018 (टीसीसीसीपीआर) के जरिये की गई है। मगर सीओएआई ने इसे एक अपूर्ण और अप्रभावी समाधान तौर पर जोर दिया है। परिवेश में यूबीसी के लिए जिम्मेदार कई संस्थाएं हैं जो ट्राई के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं।