रिलायंस जियो ने अपनी 5G सेवाओं के लिए शुल्क बढ़ाने से इनकार किया है और उसका यह फैसला प्रतिस्पर्द्धी कंपनियों से एकदम अलग है। जियो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस रणनीति की जानकारी दी। दूरसंचार कंपनियां फिलहाल 4जी सेवाओं जितने शुल्क पर ही 5G सेवाएं उपलब्ध करा रही हैं।
प्रतिस्पर्धी कंपनियां 5G सेवाओं के लिए शुल्क बढ़ाने पर जोर दे रही हैं, लेकिन जियो डेटा का इस्तेमाल बढ़ाकर अपनी आय में इजाफा चाहती है। अधिकारी ने कहा कि कंपनी अपने ग्राहकों के डेटा इस्तेमाल पर कोई बंदिश नहीं लगाती है। इस प्रकार जियो की रणनीति 5G क्षेत्र में मौजूद अन्य देसी-विदेशी दूरसंचार कंपनियों से अलग है।
अधिकारी ने कहा, ‘डेटा का इस्तेमाल बढ़ने से आय भी बढ़ेगी और प्रति उपयोगकर्ता औसत आय (एआरपीयू) में भी सुधार होगा। ऐसे में हमें ग्राहकों से 4जी के मुकाबले 5G के लिए ज्यादा रकम क्यों वसूलनी चाहिए?’
रिलायंस जियो का यह फैसला बहुत अहम माना जा रहा है क्योंकि भारती एयरटेल जैसी प्रतिस्पर्धी कंपनियां 5G सेवाओं के लिए शुल्क बढ़ाने की खुली वकालत कर चुकी हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘वैश्विक और घरेलू दूरसंचार कंपनियां मोबिलिटी के लिए 5G को 4जी के मुकाबले बढ़ी हुई सेवा मानती हैं। मगर हम इसे एक ऐसी प्रौद्योगिकी मानते हैं, जो कनेक्टिविटी में बड़ी छलांग लगाने में मदद करती है।’
‘हमारी रणनीति केवल मोबिलिटी पर ध्यान केंद्रित करने की नहीं है बल्कि हम 5G के उपयोग से दूरदराज के क्षेत्रों तक ब्रॉडबैंड सेवाएं उपलब्ध कराते हुए देश के 33 करोड़ परिवारों (पहले चरण में 10 करोड़) को जोड़ना चाहते हैं। हम इस प्रौद्योगिकी को भारत की जरूरतों के अनुरूप ढालने के लिए दो-तीन साल से काम कर रहे हैं।’
अधिकारी ने कहा कहा, ‘हमने देश के 85 फीसदी इलाकों तक 5G सेवाएं पहुंचाने के लिए एकमुश्त भारी निवेश किया है। हमने 8,000 से अधिक शहरों में 10 लाख से अधिक सेल साइट लगाए हैं, जबकि प्रतिस्पर्द्धियों के सेल साइट करीब 75,000 ही हैं। 5G पर हमारा निवेश इसी दिसंबर में पूरा हो जाएगा और उसके बाद हम केवल वृद्धि के लिए अतिरिक्त निवेश करेंगे।’
अधिकारी ने कहा कि फाइबर, टावर आदि दूरसंचार बुनियादी ढांचा पूरी तरह स्थानीय स्तर पर तैयार होने लगा है। इलेक्ट्रॉनिक्स में कंपनी एरिक्सन और नोकिया से रेडियो आयात कर रही है मगर सैनमिना के साथ जियो लैब्स के जरिये खुद भी उन्हें तैयार कर रही है।