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सैटकॉम प्रदाताओं को स्पेक्ट्रम खरीदने की जरूरत : सुनील मित्तल

मित्तल के बयान ने इस बहस को फिर से छेड़ दिया है कि क्या एयरटेल सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की नीलामी पर जोर दे रही है, जिसका जियो ने समर्थन किया, जबकि पहले एयरटेल इसके खिलाफ खड़ी है।

Last Updated- October 15, 2024 | 10:07 PM IST
Sunil Mittal

भारती एंटरप्राइजेज के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने मंगलवार को कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी उपग्रह संचार प्रदाता उन्हीं कानूनी शर्तों का पालन करें जिनका पारंपरिक दूरसंचार ऑपरेटरों को पालन करना होता है, जिसमें लाइसेंस शुल्क का भुगतान और स्पेक्ट्रम की खरीदारी शामिल है।

मित्तल के बयान ने इस बहस को फिर से छेड़ दिया है कि क्या एयरटेल सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की नीलामी पर जोर दे रही है, जिसका रिलायंस जियो ने समर्थन किया है, जबकि पहले एयरटेल इसके खिलाफ खड़ी है।

इंडिया मोबाइल कांग्रेस (आईएमसी) के उद‌‌घाटन पर मित्तल ने कहा कि दुनिया भर की दूरसंचार कंपनियों ने विश्व को जोड़ने में महत्वपूर्ण काम किया है। भारतीय दूरसंचार कंपनियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वे उपग्रह सेवाओं को देश के दूरदराज इलाकों तक ले जाएंगे। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि जिन सैटेलाइट कंपनियों की महत्वाकांक्षा शहरी क्षेत्रों में आकर ‘एलीट, रिटेल कस्टमर’ को सेवा प्रदान करने की है, उन्हें भी बाकी सभी की तरह दूरसंचार लाइसेंस लेना होगा।

मित्तल का बयान स्टारलिंक और प्रोजेक्ट कुइपर जैसी विदेशी संस्थाओं पर निशाना लग रहा है, जो भारतीय बाजार में प्रवेश करने की तैयारी कर रही हैं, जिनके आवेदनों की सरकार द्वारा जांच की जा रही है। मित्तल ने कहा, ‘उन्हें दूरसंचार कंपनियों की तरह स्पेक्ट्रम खरीदने की जरूरत है, उन्हें दूरसंचार कंपनियों की तरह लाइसेंस के लिए भुगतान करना होगा और साथ ही दूरसंचार कंपनियों के नेटवर्क को सुरक्षित करना होगा।’

अपने संबोधन (जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और रिलायंस जियो इन्फोकॉम के चेयरमैन आकाश अंबानी भी शामिल थे) में मित्तल ने इस वैश्विक बहस के बारे में बात की कि किस प्रकार तेजी से बढ़ती उपग्रह संचार सेवाएं स्थलीय नेटवर्क के साथ सह-अस्तित्व में रह सकती हैं।

पिछले सप्ताह रिलायंस जियो ने दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को पत्र लिखकर दूरसंचार नियामक ट्राई की इस सिफारिश का विरोध किया था कि सैटेलाइट ब्रॉडबैंड का आवंटन किया जाए न कि नीलामी की जाए।

भारतीय डेटा केंद्रों में ही रहे भारतीय डेटा : आकाश अंबानी

रिलायंस जियो इन्फोकॉम के चेयरमैन आकाश अंबानी ने इंडिया मोबाइल कांग्रेस के उद्घाटन अवसर पर सरकार से आत्मनिर्भरता पर केंद्रित समग्र आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) रणनीति अपनाने की वकालत की। अंबानी ने सरकार से 2020 डेटा केंद्र नीति का मसौदा शीघ्रता से तैयार करने का भी अनुरोध किया।

अंबानी ने कहा, ‘भारतीय डेटा भारतीय डेटा केंद्रों में ही रहना चाहिए। इसलिए एआई और मशीन लर्निंग डेटा केंद्र स्थापित करने के लिए तैयार भारतीय कंपनियों को बिजली खपत के लिए प्रोत्साहन सहित सभी जरूरी प्रोत्साहन मिलना चाहिए।’

अंबानी ने कहा, ‘साल 2047 तक विकसित भारत के हमारे सपनों को साकार करने के लिए एआई अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसलिए आपके (पीएम के) नेतृत्व में भारत को आत्मनिर्भर के अधिकतम प्रयासों से प्रेरित समग्र रणनीति के साथ एआई को तत्काल अपनाना चाहिए।’

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जियो एआई को लोगों तक पहुंचाने और भारतीयों को किफायती कीमत पर शक्तिशाली एआई मॉडल और सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

एआई से नौकरी बाजार पर क्या असर पड़ेगा, इस विवादास्पद मसले पर अंबानी ने कहा कि कुछ मौजूदा नौकरियां विकसित होंगी, जबकि रोजगार और उद्यमिता के लिए तीव्र तरीके से रोमांचक अवसर सृजित किए जाएंगे, ठीक उसी तरह जैसे कि कंप्यूटर और इंटरनेट अपनाने के दौरान हुआ था।

कार्यक्रम में आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने कहा कि वोडाफोन आइडिया के रकम जुटाने और उसके बाद के पूंजीगत व्यय चक्र ने दूरसंचार कंपनी को ज्यादा सुरक्षित स्थिति में ला दिया है, जिससे यह सुनिश्चित हुआ है कि यह गतिशील और प्रतिस्पर्धी बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि इसने बदलाव करना शुरू कर दिया है।

उन्होंने कहा, ‘वोडाफोन आइडिया ने पहले ही तीन वैश्विक साझेदारों नोकिया, एरिक्सन और सैमसंग के साथ 3.6 अरब डॉलर के पूंजीगत व्यय के अगले चरण की घोषणा कर दी है। ये सभी महत्वपूर्ण कदम हैं जो वोडाफोन आइडिया को अधिक सुरक्षित स्थिति में रखते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि कंपनी गतिशील व प्रतिस्पर्धी बनी रहे।’

First Published - October 15, 2024 | 10:01 PM IST

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