स्पेक्ट्रम की मौजूदा लड़ाई में नया घटनाक्रम सामने आया है। ग्राहक संख्या के लिहाज से देश की सबसे बड़ी दूरसंचार सेवा प्रदाता रिलायंस जियो ने सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन पर वनवेब (OneWeb) से अलग रुख अपनाया है। जियो ने नियामक को पत्र लिखकर तर्क दिया है कि दूरसंचार अधिनियम, 2023 में सैटेलाइट परिचालकों के लिए प्रशासनिक आवंटन ही असाइनमेंट का एकमात्र अनिवार्य तरीका नहीं है।
जियो ने तर्क दिया है कि इस अधिनियम में ऐसे प्रावधान शामिल हैं जो सरकार को प्रथम अनुसूची में संशोधन का अधिकार देते हैं जिसमें फिलहाल ऐसी सेवाएं सूचीबद्ध हैं, जहां स्पेक्ट्रम को प्रशासनिक रूप से आवंटित किया जा सकता है। इनमें सैटेलाइट से वैश्विक मोबाइल व्यक्तिगत संचार (GMPCS) शामिल हैं। 16 अगस्त को अपने जवाब में जियो ने एक हितधारक के इस दावे को खारिज कर दिया कि सैटेलाइट परिचालकों को प्रशासनिक रूप से स्पेक्ट्रम का आवंटन जारी रहना चाहिए।
इससे पहले सुनील मित्तल की वनवेब ने इस बात पर जोर दिया था कि सैटेलाइट परिचालकों के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन प्रशासनिक रूप से किया जाना चाहिए जैसा कि अधिनियम में कहा गया है। इस तरह जियो के साथ उसका सीधा टकराव हो सकता है। नए दूरसंचार अधिनियम में पहली अनुसूची में 19 सेवाएं सूचीबद्ध हैं जहां स्पेक्ट्रम को प्रशासनिक रूप से आवंटित किया जा सकता है। शुरुआत में मसौदे के चरण के दौरान जीएमपीसीएस इस अनुसूची का हिस्सा नहीं था।
सितंबर 2021 में दूरसंचार विभाग ने सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की नीलामी के तौर-तरीकों के मसले को नियामक के सामने रखा था। अप्रैल 2023 में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटित करने के सबसे अच्छे उपाय – नीलामी, प्रशासनिक तरीके या अन्य दृष्टिकोण के जरिये- का पता लगाने के लिए परामर्श पत्र जारी किया था। इस तरह मामला अनसुलझा छोड़ दिया गया।
21 जून, 2024 को दूरसंचार विभाग ने ट्राई को एक अन्य संदर्भ भेजा, जिसमें इस अधिनियम के तहत दूरसंचार सेवाएं प्रदान करने के लिए कंपनियों को अधिकृत करने के लिए नियम, शर्तों, फीस या शुल्क पर सिफारिशें मांगी गई थीं।
दूरसंचार अधिनियम के तहत सेवा अधिकारों के मसौदे के संबंध में ट्राई के परामर्श पत्र के अपने जवाब में जियो ने बताया कि इस अधिनियम की धारा 4(5)(ए) के तहत केंद्र सरकार के पास इन तीन मानदंडों के आधार पर स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए पहली अनुसूची में संशोधन करने का अधिकार है – सार्वजनिक हित की सेवा करना, सरकारी कार्य करना और ऐसी स्थितियां जहां ‘तकनीकी और आर्थिक’ कारणों से नीलामी को प्राथमिकता नहीं दी जाती है। इसके अलावा धारा 57(1) के तहत सरकार के पास पहली अनुसूची में संशोधन करने की शक्ति है।