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इलेक्ट्रिक-बसों का दायरा बढ़ेगा, मंत्रालय कर रहा पर्यटन और अंतरराज्यीय मार्गों पर विचार

दिल्ली, बेंगलूरु, हैदराबाद, अहमदाबाद और सूरत को 10,900 ई बसें आवंटित करने के बाद यह विचार सामने आया है। अभी तक चार शहरों - कोलकाता, मुंबई, चेन्नई और पुणे को आवंटन नहीं हुआ है।

Last Updated- May 26, 2025 | 9:01 AM IST
UP electric buses

भारी उद्योग मंत्रालय पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल इनहेंसमेंट (पीएम ई-ड्राइव) के तहत कुल 14,028 इलेक्ट्रिक बसों (ई बसों) में शेष 3,128 ई बसों को अंतरराज्यीय मार्गों, तीर्थ व धार्मिक पर्यटन, पहाड़ी इलाकों और तटीय राज्यों को उपलब्ध कराने पर विचार कर रहा है। यह जानकारी वरिष्ठ अधिकारी ने दी।

पांच शहरों : दिल्ली, बेंगलूरु, हैदराबाद, अहमदाबाद और सूरत को 10,900 ई बसें आवंटित करने के बाद यह विचार सामने आया है। हालांकि अभी तक चार शहरों – कोलकाता, मुंबई, चेन्नई और पुणे को आवंटन नहीं हुआ है।

अधिकारी ने बताया, ‘यदि इन नौ शहरों में मांग पूरी हो जाती है तो हम अंतरराज्यीय मार्गों, पर्यटन, धार्मिक यात्रा, पहाड़ी इलाकों और तटीय राज्यों के लिए ई बसों का आबंटन कर सकते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि 14,028 ई बसों में से 10,900 ई बसें पांच राज्यों को आवंटित कर सकते हैं। लिहाजा हमारे पास 3,128 बसें उपलब्ध हैं।’

यह भी पढ़ें…गुणवत्ता के आधार पर किया जाएगा अवसरों पर विचार: JSW Steel

पीएम ई ड्राइव की योजना के दिशानिर्देश में अलग तरह के भौगोलिक क्षेत्रों जैसे पहाड़ी और पूर्वोत्तर राज्यों, द्वीप और तटीय क्षेत्रों के लिए अलग खरीद व संचालन दिशानिर्देशों को अपनाया जा सकता है। इन दिशानिर्देश में ई बसों का दायरा बढ़ाने के लिए गैर-ओपीईएक्स की सुविधा को शामिल किया गया है।

अधिकारी ने बताया, ‘कई राज्यों ने अंतरराज्यीय मार्गों के लिए इन बसों के लिए अनुरोध किया था लेकिन हम उनकी मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं थे। एक बार आबंटन पूरा होने के बाद हम विचार कर सकते हैं।’

हालांकि भारी उद्योग मंत्रालय का अभी अंतर राज्य को शामिल करने का कोई विचार नहीं है। ऐसा विश्वास है कि निजी आपरेटर ई बसों का दिल्ली-चंडीगढ़, दिल्ली-आगरा, दिल्ली-जयपुर और मुंबई-पुणे मार्गों पर बिना सब्सिडी के सफलतापूर्वक संचालन करते हुए मुनाफा कमा रहे हैं। पुणे ने 1,000 ई बसों में रुचि दिखाई है लेकिन अभी चेन्नई, कोलकाता और मुंबई से मांग प्राप्त की जानी है। भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव व प्रवक्ता को भेजे गए सवालों का खबर छपने तक जवाब नहीं मिला था।

First Published - May 26, 2025 | 8:43 AM IST

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