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FMCG: क्विक कॉमर्स फर्मों की अनुचित कार्य प्रणाली के ​खिलाफ पारंपरिक वितरकों ने लिखा CCI को खत

संगठन ने अपने पत्र में कहा है, ‘हम एक मानक फ्रैंचाइजी ऐक्ट का गठन चाहते हैं, जैसा कि अमेरिका में फ्रैंचाइजी के अ​धिकारों की सुरक्षा के लिए है।’

Last Updated- October 20, 2024 | 10:32 PM IST
उपभोक्ता सामान बनाने वाली कंपनियों को बिक्री में वृद्धि जारी रहने की उम्मीद Consumer goods companies expected to continue increasing sales

दैनिक उपभोक्ता सामान (एफएमसीजी) वितरकों के संगठन ने कई समस्याओं को लेकर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को पत्र लिखा है। पारंपरिक आपूर्ति श्रृंखलाओं को ​क्विक कॉमर्स के तेज विकास की वजह से इन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें कई कंपनियों द्वारा एफएमसीजी वस्तुओं के प्रत्यक्ष वितरक के रूप में इन प्लेटफार्मों की नियुक्ति भी शामिल है।

ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन (एआईसीपीडीएफ) ने अपने पत्र में देश के विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) नियमों के संबंध में इन प्लेटफॉर्मों के परिचालन मॉडल को लेकर भी चिंता जताई है। पारंपरिक वितरण चैनलों ने अगस्त में सरकार के साथ ​क्विक कॉमर्स की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता के मुद्दे पर चिंता जतानी शुरू की थी।

एआईसीपीडीएफ ने ​क्विक कॉमर्स उद्योग की तेज वृद्धि को लेकर वा​णिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि पारंपरिक कारोबार प्रभावित हो रहा है। सितंबर में यह मामला डीपीआईआईटी (उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग) से प्रतिस्पर्धा आयोग के पास भेजा गया था। डीपीआईआईटी वा​णिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन आता है।

वितरकों के संगठन ने पत्र में कहा है, ‘डार्क स्टोर संचालित करने वाले क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म जान-बूझकर इन्वेंट्री-आधारित ई-कॉमर्स को नियंत्रित करने वाले नियमों को दरकिनार करते दिख रहे हैं।’ पत्र में कहा गया है कि ​क्विक कॉमर्स क्षेत्र में अत्यधिक मूल्य निर्धारण, भारी छूट और एकाधिकारवादी प्रवृत्तियां व्याप्त हैं, जिससे पारंपरिक भारतीय खुदरा व्यापार के अस्तित्व को खतरा पैदा हो रहा है।

सीसीआई को भेजे अपने पत्र में पारंपरिक व्यापार वितरकों के संगठन ने कहा है, ‘​क्विक कॉमर्स क्षेत्र की मौजूदा प्रणालियों से अनुचित प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिल रहा है, जिससे पारंपरिक रिटेलरों को प्रतिस्पर्धा करना या प्रतिस्पर्धा में बने रहना असंभव हो गया है।’

पत्र में यह भी कहा गया है कि कई ​क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्मों ने बगैर ​उचित जांच के फ्रैंचाइजी मॉडलों का इस्तेमाल बढ़ाया है। संगठन ने अपने पत्र में कहा है, ‘हम एक मानक फ्रैंचाइजी ऐक्ट का गठन चाहते हैं, जैसा कि अमेरिका में फ्रैंचाइजी के अ​धिकारों की सुरक्षा के लिए है।’ अपने पत्र में उसने स्पष्ट किया कि मौजूदा फ्रैंचाइजी समझौते प्रायः एकतरफा होते हैं तथा भारत में फ्रैंचाइजी संरक्षण के लिए कानूनी ढांचे के अभाव का फायदा उठाया जाता है।

सीसीआई को लिखे पत्र में संगठन ने दो अन्य मुद्दे भी उठाए, जिन्हें उसने पहले स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के समक्ष उठाया था। ये मुद्दे खाद्य पदार्थों की डिलिवरी के लिए निजी वाहनों के उपयोग तथा कॉरपोरेट उद्देश्यों के लिए निजी वाहनों के उपयोग से जुड़े थे। व्यापार संगठन ने सीसीआई से ​क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्मों के परिचालन मॉडल की संपूर्ण जांच कराने और पारंपरिक वितरकों तथा छोटे रिटेलरों के लिए सुरक्षात्मक उपाय क्रिया​न्वित करने को भी कहा है।

उसने सभी हितधारकों के बीच बातचीत को सुविधाजनक बनाने को भी कहा गया है जिसमें एफएमसीजी कंपनियां, ​क्विक कॉमर्स, पारंपरिक वितरक और छोटे खुदरा विक्रेता शामिल हैं।

First Published - October 20, 2024 | 10:32 PM IST

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