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OpenAI से डील टूटी, गूगल ने Windsurf को 2.4 अरब डॉलर में किया अपने नाम

Google Windsurf deal: इस डील के तहत Windsurf के CEO वरुण मोहन, को-फाउंडर डगलस चेन और कुछ और टीम मेंबर्स गूगल की AI यूनिट DeepMind से जुड़ेंगे।

Last Updated- July 13, 2025 | 10:47 AM IST
Google
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गूगल की पैरेंट कंपनी Alphabet Inc. ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) स्टार्टअप Windsurf के कुछ टॉप एग्जीक्यूटिव्स को हायर करने और इसके AI टेक्नोलॉजी के लाइसेंसिंग राइट्स के लिए $2.4 बिलियन (करीब ₹20,000 करोड़) का बड़ा डील फाइनल किया है। यह डील ऐसे वक्त पर हुई है जब Windsurf और गूगल की कॉम्पिटिटर कंपनी OpenAI के बीच बातचीत नाकाम रही।

Windsurf के CEO वरुण मोहन होंगे गूगल DeepMind टीम का हिस्सा

इस डील के तहत Windsurf के CEO वरुण मोहन, को-फाउंडर डगलस चेन और कुछ और टीम मेंबर्स गूगल की AI यूनिट DeepMind से जुड़ेंगे। यह डील गूगल को Windsurf की AI टेक्नोलॉजी और टैलेंट दोनों का फायदा देगी।

OpenAI के साथ डील क्यों फेल हुई?

Windsurf पहले OpenAI के साथ लगभग $3 बिलियन की डील करने जा रहा था। लेकिन यह डील फाइनल नहीं हो पाई, जिसकी एक बड़ी वजह Microsoft के साथ टकराव रही। Microsoft, OpenAI का बड़ा इन्वेस्टर है और उसका OpenAI के साथ एक एग्रीमेंट है, जिसमें उसे स्टार्टअप की टेक्नोलॉजी तक एक्सेस का हक दिया गया है।

Windsurf ने Microsoft को अपनी टेक्नोलॉजी तक एक्सेस देने से मना कर दिया था। इसी वजह से OpenAI भी Microsoft की सहमति नहीं ले पाया और डील आगे नहीं बढ़ सकी। बताया जा रहा है कि Microsoft और OpenAI के बीच अभी भी कंपनी के स्ट्रक्चर को लेकर बातचीत चल रही है।

OpenAI और Windsurf (जिसका असली नाम Exafunction Inc. है) के बीच लगभग डील हो चुकी थी। मई की शुरुआत में OpenAI इस डील का एलान करने ही वाला था। दोनों कंपनियों के बीच letter of intent साइन हो चुका था और Windsurf के इनवेस्टर्स को इस डील से होने वाले फाइनेंशियल फायदे (waterfall agreement) की जानकारी भी दे दी गई थी। यह जानकारी ब्लूमबर्ग को सोर्सेस के हवाले से मिली है।

लेकिन शुक्रवार को OpenAI के एक स्पोक्सपर्सन ने बताया कि इस डील की exclusivity period अब खत्म हो चुकी है। यानी अब Windsurf दूसरी कंपनियों से भी बात कर सकता है।

इसी बीच, Google ने Windsurf से जुड़ा एक नया एग्रीमेंट कर लिया है। हालांकि यह कोई पूरी तरह से टेकओवर नहीं है। असल में हाल के समय में बड़ी टेक कंपनियां छोटे AI स्टार्टअप्स से ऐसे टैलेंट और टेक्नोलॉजी हायर कर रही हैं जो सीधे अधिग्रहण (acquisition) नहीं कहलाते।

Critics का मानना है कि इन डील्स को इस तरह स्ट्रक्चर किया जा रहा है ताकि एंटी-ट्रस्ट नियमों से बचा जा सके।

साल 2024 में Microsoft ने Inflection AI के founders और बड़ी संख्या में staff को हायर किया था और साथ ही कंपनी के AI सॉफ्टवेयर का license भी लिया था। इसी तरह Amazon ने Adept AI Labs के टॉप एग्जीक्यूटिव्स और एम्प्लॉइज को अपने साथ जोड़ा, जबकि Google ने Character.AI के को-फाउंडर्स को एक licensing deal के ज़रिए अपनी टीम में शामिल किया।

हालांकि ये डील्स टेक्निकली टेकओवर नहीं मानी जातीं, लेकिन कई देशों की रेगुलेटरी अथॉरिटीज़ ने इन पर जांच शुरू कर दी है।

Windsurf एक ऐसा स्टार्टअप है जो AI-बेस्ड कोडिंग असिस्टेंट्स बना रहा है। ये टूल्स नैचुरल लैंग्वेज में मिले इंस्ट्रक्शंस से ऑटोमैटिकली कोड जनरेट कर सकते हैं। 2021 में शुरू हुए इस स्टार्टअप ने अब तक 200 मिलियन डॉलर (लगभग ₹1,700 करोड़) से ज्यादा की फंडिंग जुटाई है।

(-एजेंसी इनपुट के साथ)

First Published - July 13, 2025 | 10:47 AM IST

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