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चंद्रयान-3 मिशन की सफलता से अंतरिक्ष में उड़ान भरेगा प्राइवेट सेक्टर, ISRO भी दे रहा रफ्तार

ISRO ने 1980 के दशक से अब तक करीब 235 उद्योगों को 400 से अधिक प्रौद्योगिकी दी है

Last Updated- July 16, 2023 | 10:16 PM IST
ISRO's Big Leap into Space, GSLV-F12 Places Navigation Satellite NVS-01 in Its Orbit

चंद्रयान-3 मिशन की सफलता से भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र की स्टार्टअप कंपनियों को बढ़ावा मिल सकता है। 2020 में महज 21 कंपनियां अंतरिक्ष क्षेत्र में काम कर रही थीं मगर अब इनकी संख्या बढ़कर 146 हो चुकी है।

उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार इन्हें बढ़ावा देने के लिए सरकार इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का दायरा बढ़ाने की योजना बना रही है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) भी निजी क्षेत्र में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को रफ्तार दे रहा है।

चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण से कुछ दिन पहले ISRO की वाणिज्यिक शाखा इन-स्पेस (भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन एवं प्राधिकरण केंद्र) ने अपनी लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) तकनीक निजी क्षेत्र को सौंपने के लिए अ​भिरुचि पत्र (EoI) मांगे थे। कोई प्रक्षेपण यान तकनीक निजी क्षेत्र के साथ साझा करने का यह पहला मौका है। इसरो ने 1980 के दशक से अब तक करीब 235 उद्योगों को 400 से अधिक प्रौद्योगिकी दी हैं। सूत्रों का कहना है कि ऐसी करीब 200 तकनीक पिछले कुछ साल में ही दी गई हैं।

इसरो और प्राइवेट सेक्टर के बीच पुल का काम करने वाली इन-स्पेस (In-SPACe) के चेयरमैन पवन गोयनका ने कहा, ‘हम निजी क्षेत्र को प्रौद्योगिकी देने का काम बहुत तेजी से कर रहे हैं। इन-स्पेस इस काम में समन्वय का काम कर रही है। कुछ दिन पहले SSLV की प्रौद्योगिकी देने की भी घोषणा की है। हम ऐसी नौ या दस प्रमुख तकनीक पर विचार कर रहे हैं। इसका मकसद निजी क्षेत्र को सहारा देना है।’

गोयनका ने कहा कि हाल में अंतरिक्ष नीति की घोषणा होने से इस काम को काफी बढ़ावा मिलेगा। सरकार इस क्षेत्र के लिए FDI नीति तैयार कर रही है, जिससे स्टार्टअप को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा। योजना के अनुसार सब-सिस्टम विनिर्माण, प्रक्षेपण यान परिचालन और उपग्रह संचालन एवं स्थापना जैसे क्षेत्रों में एफडीआई की अनुमति होगी।

चंद्रयान-3 मिशन से भी अंतरिक्ष में निजी क्षेत्र की बढ़ती रुचि का पता चलता है। LVM-3 रॉकेट का करीब 85 फीसदी हिस्सा निजी क्षेत्र से आया था। इसकी कई महत्त्वपूर्ण प्रणालियां जीओसीओ (सरकारी स्वामित्व एवं कंपनियों द्वारा संचालित) मॉडल के तहत बनाई गई थीं।

उद्योग का अनुमान है कि अंतरिक्ष क्षेत्र में 146 स्टार्टअप के अलावा 1,500 से अधिक सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (MSME) काम करते हैं। इस क्षेत्र को जून 2020 में निजी क्षेत्र के लिए खोला गया था। तब से इस क्षेत्र में करीब 17.5 करोड़ डॉलर का निवेश हुआ है। अभी तक यहां कुल 25.8 करोड़ डॉलर का निवेश आया है। जिन कंपनियों को विदेशी निवेश मिला है, उनमें अग्निकुल, स्काईरूट, ध्रुव और पिक्सेल शामिल हैं। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण से इसमें और तेजी आने की उम्मीद है।

गोयनका ने कहा, ‘इसरो के लिए इस पहल का मकसद कमाई करना नहीं है। हम निजी क्षेत्र के ज्यादा से ज्यादा हिस्से को अंतरिक्ष क्षेत्र से जोड़ना चाहते हैं। उनके लिए इसकी शुरुआत बहुत महंगी होगी। मगर इसरो के इस कार्यक्रम से से उनका काम आसान हो जाएगा।’

इसरो के क्षमता निर्माण कार्यक्रम कार्यालय (CBPO) के निदेशक एन सुधीर कुमार ने कहा, ‘ISRO ने काफी तकनीक विकसित की हैं, जो अंतरिक्ष ही नहीं तमाम दूसरे उद्योगों के लिए भी उपयो​गी हैं। किसी वैज्ञानिक संगठन के लिए तकनीकी हस्तांतरण सामान्य बात है।’

First Published - July 16, 2023 | 10:16 PM IST

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