चीन की मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनी श्याओमी (Xiaomi) ने अपना रुख बदलते हुए बहुआयामी रणनीति तैयार की है। इसके तहत कंपनी पहली बार ‘मेड इन इंडिया’ फोन का निर्यात करेगी, जो इस तिमाही के अंत से पश्चिम एशियाई देशों को भेजे जाएंगे। श्याओमी की बातचीत डिक्सन टेक्नोलॉजी और अन्य कंपनियों से भी चल रही है। ये कंपनियां भारत में श्याओमी के लिए ठेके पर फोन बनाने वाली पहली साझेदार होंगी। फिलहाल यहां ताइवानी कंपनी फॉक्सकॉन और चीन की डीबीजी तथा बीवाईडी श्याओमी के फोन असेंबल करती हैं।
श्याओमी अगले दो साल के भीतर अपने हैंडसेट में भारतीय कलपुर्जों (सेमीकंडक्टर को छोड़कर) का इस्तेमाल दोगुना करना यानी 70 फीसदी तक पहुंचाना चाहती है। मगर पूरे घटनाक्रम और संभावित योजनाओं पर श्याओमी तथा डिक्सन ने कोई टिप्पणी नहीं की।
श्याओमी की रणनीति में यह यह बदलाव इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के प्रोत्साहन का नतीजा है। मंत्रालय ने चीन की मोबाइल कंपनियों के साथ विभिन्न बैठकों में देश से अपने उत्पादों का निर्यात करने, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना के तहत ठेके पर निर्माण करने वाली पात्र स्वदेशी कंपनियों के साथ गठजोड़ करने पर जोर दिया है। उसने स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला विकसित करने के लिए स्थानीयकरण को बढ़ावा देने की बात भी की है।
श्याओमी भारत में अपनी मार्केटिंग रणनीति भी बदल रही है। कंपनी अपने हैंडसेट मॉडलों की संख्या घटाएगी और 10,000 से 15,000 रुपये कीमत के फोन पर जोर देगी। अब कंपनी का मकसद बिक्री के बजाय मुनाफा बढ़ाना है। कंपनी की रणनीति के जानकार सूत्रों ने कहा कि इस साल मोबाइल उपकरण का बाजार करीब 9 फीसदी घटकर 13.6 करोड़ हैंडसेट पर सिमट सकता है, जिससे बाजार में श्याओमी की हिस्सेदारी भी पिछले साल के 20-से 22 फीसदी से कम होकर 17-18 फीसदी रह सकती है।
सूत्रों ने कहा कि श्याओमी ने संयुक्त अरब अमीरात को मोबाइल फोन निर्यात करने के अपने निर्णय के बारे में सरकार के साथ चर्चा की है। शुरुआत में प्रवेश स्तर और मझोले स्तर के फोन का निर्यात किया जाएगा। बाद में अन्य देशों में भी फोन भेजे जाएंगे। कंपनी 100 से ज्यादा देशों में अपने फोन बेचती है। श्याओमी के लिए पश्चिम एशिया प्रमुख बाजार है।
सूत्रों ने कहा कि कंपनी के ऑफलाइन माौजूदगी भी बढ़ाने की योजना बना रही है।
श्याओमी की ब्रिकी में ऑफलाइन और ऑनलाइन माध्यम की हिस्सेदारी फिलहाल 50-50 फीसदी है, लेकिन अब कंपनी ऑफलाइन बिक्री को 60 फीसदी पर पहुंचाना चाहती है। इसके लिए उसे रिटेल स्टोर बढ़ाने होंगे। इस फैसले की वजह यह है कि महामारी के दौरान ज्यादातर फोन ऑनलाइन खरीदने वाले ग्राहक अब फिर से ऑफलाइन स्टोरों में पहुंचने लगे हैं। चालू कैलेंडर वर्ष में कंपनी बिक्री बढ़ाने के बजाय मुनाफा कमाने पर ध्यान देगी।
श्याओमी को भारत में कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। उसे कर विभाग से नोटिस मिला है, प्रवर्तन निदेशालय उसकी जांच कर रहा है और उसके बैंक खाते भी फ्रीज कर दिए गए हैं। घटनाक्रम के जानकारों का कहना है कि उद्योग को मोबाइल फोन का बाजार 18 करोड़ हैंडसेट तक पहुंचने का अनुमान था मगर रूस-यूक्रेन युद्ध से बिक्री पर असर पड़ सकता है।
श्याओमी जैसी जिन कंपनियों ने बिक्री बढ़ने की उम्मीद में अपना स्टॉक बढ़ा लिया था, उन्हें अब भारी छूट पर फोन बेचने पड़ रहे हैं और घाटा उठाना पड़ रहा है। चालू कैलेंडर वर्ष की पहली तिमाही में कंपनियों ने पहले से पड़ा स्टॉक बेचने और नए फोन कम तादाद में लाने पर जोर दिया था। इसी वजह से श्याओमी की बाजार हिस्सेदारी में कमी आई है। काउंटरपॉइंट रिसर्च के आंकड़ों के मुताबिक 2023 की पहली तिमाही में इसकी हिस्सेदारी घटकर 16 फीसदी रह गईस जो 2022 की पहली तिमाही में 23 फीसदी थी।