भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्र ने कहा कि भारत की आंतरिक शक्तियों व लक्ष्य हासिल करने की आकांक्षा के संकल्प को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि भारत 2048 के बजाय 2031 तक ही दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। उन्होंने कहा कि 2060 तक भारत में विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की क्षमता है।
लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी, मसूरी में 9 जुलाई को दिए गए भाषण में उन्होंने कहा, ‘अंतर्निहित शक्तियों को देखते हुए यह कल्पना की जा सकती है कि भारत अगले दशक में 2031 तक ही विश्व की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है, 2048 तक वक्त नहीं लगेगा और 2060 तक विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।’ उनका यह भाषण रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर शुक्रवार को डाला गया।
उन्होंने कहा कि भारतीय रुपये को अंतरराष्ट्रीय बनाने के लिए भी वृहद आर्थिक नीति और वित्तीय स्थिरता सकारात्मक दिशा में है। उन्होंने कहा, ‘भारत में महंगाई दर की चाल को वैश्विक महंगाई दर के मुताबिक करने की जरूरत है, जिससे रुपये के आंतरिक और बाहरी मूल्य को संरक्षित किया जा सके। इससे रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण की जमीन तैयार होगी और आने वाले कल के विश्व के आर्थिक पॉवरहाउस के रूप में भारत उभर सकेगा।’
पात्र ने कहा कि त्वरित मौद्रिक नीति कार्रवाई और आपूर्ति संबंधी उठाए गए कदमों के कारण महंगाई दर 4 प्रतिशत के तय लक्ष्य के आसपास आई है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने 2024-25 में महंगाई दर 4.5 प्रतिशत वित्त वर्ष 2025-26 में 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।
उन्होंने कहा कि कीमतों में स्थिरता मौद्रिक नीति का सबसे शानदार योगदान है, जिससे दीर्घावधि के हिसाब से वृद्धि की नींव मजबूत की जा सकती है। पात्र ने आगे कहा, ‘मौद्रिक नीति को कुछ नियम के मुताबिक संचालित किया जाना चाहिए, जो जिससे समय के साथ लक्ष्य हासिल हो सकें। इसके बजाय अगर कम अवधि के लाभ के हिसाब से इसे संचालित किया जाता है तो यह अंततः लक्ष्य से भटक जाएगी। अल्पावधि के हिसाब से वृद्धि की तलाश में महंगाई दर को ऐसे स्तर पर बढ़ने दिया जा सकता है, जो वृद्धि के लिए हानिकारक है।’