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Bihar Special Status: बिहार को मिलेगी विशेष दर्जे की सौगात! NDA की अगली बैठक के लिए तैयार हो रहा पैकेज

वित्त मंत्रालय बिहार के इस पैकेज को एक लाख करोड़ रुपये के दायरे में रखना चाहता है लेकिन इसको देने की अवधि एक वर्ष से अधिक करना चाहता है।

Last Updated- June 05, 2024 | 11:00 PM IST
Bihar Special Status: Bihar will get the gift of special status! Package is being prepared for NDA meeting Bihar Special Status: बिहार को मिलेगी विशेष दर्जे की सौगात! NDA की बैठक के लिए तैयार किया जा रहा है पैकेज
बिहार के मुख्यमंत्री केंद्र से काफी लंबे समय से प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं

Bihar Special Status: केंद्रीय वित्त मंत्रालय बिहार के लिए विशेष पैकेज तैयार कर सकता है जिसमें संभावित रूप से राज्य को विशेष दर्जा देने का प्रस्ताव शामिल होगा। इसकी जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की इस हफ्ते होने वाली बैठक के लिए इसे तैयार किया जा रहा है।

वित्त मंत्रालय की प्रमुख चिंता यह है कि इस पैकेज का वित्त वर्ष 2025 के अनुमानित राजकोषीय घाटे पर कितना असर पड़ेगा। वित्त मंत्रालय बिहार के इस पैकेज को एक लाख करोड़ रुपये के दायरे में रखना चाहता है लेकिन इसको देने की अवधि एक वर्ष से अधिक करना चाहता है।

अन्य महत्त्वपूर्ण सवाल यह है कि किस प्रकार की केंद्रीय योजनाओं को विशेष दर्जे के दायरे में शामिल किया जा सकता है क्योंकि अब केंद्र सरकार के बजट में योजना और गैर-योजना का विभाजन खत्म हो गया है। सइस घटनाक्रम से वाकिफ एक सूत्र का कहना है, ‘आंध्र प्रदेश भी इस तरह के पैकेज की मांग कर सकता है। लेकिन फिलहाल हम केवल बिहार के पैकेज पर काम कर रहे हैं।’

केंद्रीय बजट जुलाई महीने की शुरुआत में पेश किया जा सकता है और संभव है कि इसमें आंध्र प्रदेश के लिए भी पैकेज शामिल हो। वित्त मंत्रालय ने इस बारे में जानकारी लेने के लिए बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा भेजी गई मेल का जवाब नहीं दिया।

पुराने दौर के मुखर्जी-गाडगिल फॉर्मूले के आधार पर राज्य के लिए विशेष दर्जे के पैकेज को तैयार करने की कोशिश की जा रही है जो राज्य सरकारों के बीच नियोजित फंडों के आवंटन का फॉर्मूला है। हालांकि इसमें बिहार के लिए विशेष दर्जे का जिक्र नहीं था।

भाजपा यह मानकर चल रही है कि नीतीश कुमार मूल योजनाओं और केंद्र प्रायोजित योजनाओं में दोबारा नए सिरे से बदलाव करने की मांग करेंगे जिसमें स्थायी रूप से बिहार के लिए आवंटन करने की मांग भी शामिल है।

अधिकारियों का कहना है कि यह एक मुश्किल निर्णय है क्योंकि वर्ष 2015 के बाद से सभी योजनाओं की वित्तीय संरचना में बदलाव किए गए हैं। उस वक्त के फॉर्मूले के तहत विशेष दर्जे का अर्थ यह था कि योजना के तहत आवंटन का 90 फीसदी केंद्र सरकार ने दिया। इसकी पेशकश केवल पूर्वोत्तर राज्यों और तीन नए राज्यों जैसे कि झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड को की गई।

बिहार के नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के नेता वाईएसआर कांग्रेस नेता जगनमोहन रेड्डी और अब तेदेपा के नायडू ने अपने राज्य के लिए विशेष आर्थिक पैकेज की मांग की है क्योंकि अन्य राज्यों के मुकाबले ये राज्य अपेक्षाकृत रूप से पिछड़े हुए हैं।

2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के लिए, केंद्रीय निधि में 1.25 लाख करोड़ रुपये के मेगा पैकेज की घोषणा की थी। यह राशि अधिकांशतः शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा और सड़क क्षेत्र के लिए थी।

हालांकि इसमें बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का जिक्र नहीं किया गया। अब मुख्य योजनाओं का पैसा विभिन्न राज्यों में खर्च किया जाता है और अक्सर मनरेगा और सर्व शिक्षा अभियान के लिए राज्य की निधि का कोई संदर्भ नहीं होता है। अन्य योजनाएं भी विशिष्ट राज्य के लिए नहीं होती हैं।

अब ऐसा इसलिए भी होने लगा है कि नीति आयोग की फंडों के वितरण में कोई भूमिका नहीं होती है। वर्ष 2015 में केंद्र सरकार ने तत्कालीन जम्मू कश्मीर सरकार के लिए 80,000 करोड़ रुपये की घोषणा की थी।

वित्त मंत्रालय इस चुनौती से व्यवस्थित तरीके से निपट रहा है। पहले चरण में पैकेज की पूरी रूपरेखा को अंतिम रूप दिया जाएगा और फिर उसे अपनाया जाएगा। इसके बाद धीरे-धीरे अन्य वित्तीय ब्योरे दिए जाएंगे जिनमें केंद्रीय योजनाओं की शुरुआत और इनके परिचालन के तरीके में बदलाव आदि
शामिल है।

First Published - June 5, 2024 | 11:00 PM IST

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