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Lok Sabha Election 2024: पूर्व प्रचारक की वजह से विफल हुआ भाजपा के गढ़ इंदौर में ऑपरेशन ‘सूरत’!

BJP नेताओं ने कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों से संपर्क भी साधा था लेकिन RSS के पूर्व प्रचारक और जनहित पार्टी के उम्मीदवार अभय जैन के न मानने से बात नही बन सकी।

Last Updated- May 02, 2024 | 5:59 PM IST
Lok Sabha Election 2024: Operation ‘Surat’ failed in BJP stronghold Indore because of former campaigner! Lok Sabha Election 2024: पूर्व प्रचारक की वजह से विफल हुआ भाजपा के गढ़ इंदौर में ऑपरेशन ‘सूरत’!

Indore Lok Sabha Seat: मध्य प्रदेश के इंदौर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी रहे अक्षय कांति बम के अंतिम दिन नाम वापस लेने और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो जाने के बाद स्थानीय भाजपा नेताओं की इंदौर से सूरत की तरह निर्विरोध जीत पाने की कोशिश एक पूर्व प्रचारक की वजह से नाकाम हो गई। पार्टी नेताओं ने कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों से संपर्क भी साधा था लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के पूर्व प्रचारक और जनहित पार्टी के उम्मीदवार अभय जैन के न मानने से बात नहीं बन सकी।

मध्य प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय स्वयं जैन को मनाने पहुंचे थे। अभय जैन ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘कैलाश विजयवर्गीय तथा अन्य भाजपा नेता मुझसे मिले थे। उन्होंने संघ से पुराने रिश्तों का हवाला देते हुए मुझसे कहा कि मैं चुनाव से नाम वापस ले लूं। उनके मुताबिक उन्हें मेरा चुनाव लड़ना अच्छा नहीं लग रहा था। मैंने उनसे कहा कि लोकतंत्र ने मुझे यह अधिकार दिया है और मैं चुनाव अवश्य लड़ूंगा।’

जैन के मुताबिक उनके न मानने पर अगले दिन उनके एक प्रस्तावक को बहाने से कलेक्ट्रेट ले जाया गया और उससे कहा गया कि वह यह लिखकर दे दे कि मेरे निर्वाचन फॉर्म उसके जाली हस्ताक्षर हैं। ऐसा करने के लिए उसे कई तरह के प्रलोभन भी दिए गए लेकिन उसने इनकार कर दिया। भाजपा और मोदी की कार्यशैली पर जैन कहते हैं, ‘हमने राम मंदिर के लिए आंदोलन किया तो वह आंदोलन किसी ढांचे के लिए नहीं बल्कि राम राज के लिए था। आज जो मंदिर के नाम पर वोट मांग रहे हैं प्रश्न है कि सस्ती शिक्षा, सस्ती स्वास्थ्य सुविधा के बजाय नशे से मिलने वाले राजस्व से शासन करना किस तरह राम के आदर्शों के अनुकूल है?’

इंदौर चुनावों पर करीबी नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार सुचेंद्र मिश्र ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘इस पूरे प्रकरण में केंद्रीय भाजपा की कोई भूमिका नहीं थी। यह स्थानीय नेताओं का अपनी छवि चमकाने का प्रयास था लेकिन इससे छवि बनने के बजाय खराब हुई है। इंदौर भाजपा का गढ़ है। चार महीने पहले पार्टी ने यहां 30 साल बाद सभी नौ विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। शहर में 30 साल से भाजपा का सांसद है। ऐसे में ऐसी कोशिश मतदाताओं को शायद ही रास आए।’

मिश्र कहते हैं कि इन चुनावों में इंदौर एक अलग तरह का रिकार्ड बना सकता है। उनके मुताबिक बहुत संभव है कि इंदौर में नोटा एक लाख से अधिक वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे। पिछले चुनाव में इंदौर के सांसद शंकर लालवानी को 10 लाख से अधिक जबकि कांग्रेस को 5 लाख से अधिक वोट मिले थे। इस बार कांग्रेस का कोई प्रत्याशी नहीं है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी कहा है कि पार्टी इंदौर की जनता से अपील करेगी कि वह नोटा बटन दबाकर अपना विरोध जाहिर करे।

First Published - May 2, 2024 | 5:59 PM IST

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