facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

लोक सभा चुनाव 2024: 47 साल में पहली बार चुनावी मैदान में सबसे कम मौजूदा सांसद

पांच साल पहले चुनाव लड़ने वाले 337 सांसदों में से करीब 67 फीसदी जीते थे। सफलता की यह दर 70 के दशक के बाद से सर्वाधिक है।

Last Updated- May 30, 2024 | 11:38 PM IST
BJP manifesto may bode well for business sentiment in India: UBS Securities BJP Manifesto 2024: कारोबारी धारणा के लिए अच्छा संकेत भाजपा का घोषणा पत्र

करीब पांच दशकों में इस बार दोबारा चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की संख्या कम है। साल 2019 के चुनावों में 337 उम्मीदवार ऐसे थे जिन्होंने साल 2014 के चुनावों में जीत हासिल की थी। एसोसिएश फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक इस बार ऐसे उम्मीदवारों की संख्या 324 है। अशोक यूनिवर्सिटी के त्रिवेदी सेंटर फॉर पॉलिटिकल डेटा के ऐतिहासिक आंकड़ों के मुताबिक, यह संख्या साल 1977 के बाद से सबसे कम हो सकती है।

सत्ता विरोधी लहर का मतलब होता है कि जनता मौजूदा निर्वाचित सांसदों के बदले नए प्रतिनिधियों को वोट देती है। पांच साल पहले चुनाव लड़ने वाले 337 सांसदों में से करीब 67 फीसदी जीते थे। सफलता की यह दर 70 के दशक के बाद से सर्वाधिक है। 42 वर्षों में पिछली बार सबसे ज्यादा संख्या 1984 के चुनावों में देखने को मिली थी, जब अपनी मां इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 400 सीटें जीतकर राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने थे। उस वक्त चुनाव लड़ने वाले 64.6 फीसदी उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी।

हालांकि, राज्यवार आंकड़ों में भिन्नता दिखती है। सीटों की संख्या के लिहाज से शीर्ष 10 राज्यों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु समेत अन्य शामिल हैं। साल 2019 के चुनावों में गुजरात में दोबारा चुनाव लड़ने वाले 100 फीसदी उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। तमिलनाडु में यह संख्या शून्य रही। इंस्टीट्यूट फॉर डेवलेपमेंट ऐंड कम्युनिकेशन के चेयरमैन प्रमोद कुमार ने कहा, 'जीतने की क्षमता ही एकमात्र मानदंड होता है।'

सत्ता विरोधी लहर के बावजूद जीत दर्ज करने के देशव्यापी आंकड़े सीमित हैं। साल 2023 में ब्रिटिश जर्नल ऑफ पॉलिटिकल साइंस में प्रकाशित 'लेजिस्लेटिव रिसोर्सेज, करप्शन ऐंड इनकंबेंसी' अध्ययन में 40 लाख से अधिक आबादी वाले 68 देशों में सत्ता विरोधी लहर में उपचुनावों का विश्लेषण किया गया। ये आंकड़े साल 2000 से 2018 तक जुटाए गए थे।

रिपोर्ट के मुताबिक, देश की संसद में अमूमन एक छोटा हिस्सा वैसे सांसदों का रहता है जो दोबारा चुनकर आते हैं। ब्रिटेन और जापान जैसे देशों में दोबारा चुने गए प्रतिनिधियों की हिस्सेदारी 80 फीसदी से ज्यादा है। भारत में यह 25 फीसदी से भी कम है।

First Published - May 30, 2024 | 11:21 PM IST

संबंधित पोस्ट