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लू के कारण इन 5 राज्यों में हुई 90 फीसदी मौतें, और बढ़ सकता है आंकड़ा

संसद द्वारा जारी आंकड़े बताते हैं कि टॉप 5 राज्यों की लिस्ट में बिहार राज्य में मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है

Last Updated- June 22, 2023 | 11:44 PM IST
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पिछले कुछ वर्षों में लू के कारण भारत के कई राज्यों में मौतें देखने को मिली हैं। मगर इनमें, टॉप 5 राज्य ऐसे हैं जिनमें मौतों की संख्या सबसे ज्यादा है। हाल ही में संसद द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि लू की वजह से हर 10 में से 9 मौतें यानी कुल 90 फीसदी मौतें इन टॉप 5 राज्यों में ही देखने को मिली हैं।

संसद द्वारा जारी आंकड़े बताते हैं कि टॉप 5 राज्यों की लिस्ट में बिहार राज्य में मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है। इस राज्य में 2018 से 2021 के बीच 123 मौतें दर्ज की गईं हैं। इसके बाद तेलंगाना का नंबर आता है जहां 42 मौतें हुईं हैं। आंध्र प्रदेश में 37 मौतें, महाराष्ट्र में 13 और गुजरात में 11 मौतें लू के कारण दर्ज की गईं हैं। संसद में जो डेटा शेयर किया गया उसके मुताबिक कम से कम 244 मौतें हुईं हैं। हालांकि राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो (नैशनल क्राइम ब्यूरो) के आंकड़े कुछ अधिक संख्या बताते हैं। इसके आंकड़ों के मुताबिक, लू के कारण अकेले 2021 में 374 मौतें और 2020 में 530 मौतें दर्ज की गईं।

माना जाता है कि हालिया दिनों में उत्तर भारत में लू के कारण कई मौतें हुईं हैं। उत्तर प्रदेश में कम से कम 54 लोगों की मौत हो गई वहीं बिहार में भी कथित तौर पर अन्य 45 लोगों की मौत हो गई है। इन आंकड़ों को मानें तो मौतों की संख्या कुछ ज्यादा ही निकलेगी, लेकिन सरकार इस डेटा पर कुछ और ही कहती है।

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गौरबतल है कि भारत में मार्च और जून के बीच गर्मी के महीनों में लू चलना आम बात है। सबसे ज्यादा दिनों तक जिस राज्य में लू चली उसमें राजस्थान पहले नंबर पर आता है। साल 2018 से 2021 के बीच इस राज्य में कुल 47 दिन लू चल चुकी है। इसके बाद आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र,दोनों राज्यों में कुल 28 दिन लू चली है। इस लिस्ट में उत्तराखंड तीसरे नंबर पर है जहां कुल 25 दिनों तक लू चली है।

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2018 से 2021 की इस अवधि के दौरान, अन्य वे राज्य जहां, कम से कम एक दर्जन दिन लू चली है उसमें मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, तमिलनाडु, ओडिशा, पंजाब, झारखंड और तेलांगाना शामिल हैं।

लू के कारण स्वास्थ्य पर जोखिम बढ़ने की संभावना है क्योंकि लू (heatwaves) और गंभीर लू (severe heatwave) वाले दिनों की औसत संख्या बढ़ रही है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस) द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण 1901 और 2018 के बीच भारत में औसत तापमान 0.7 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है। कुछ मॉडलों के तहत 2100 तक भारत का औसत तापमान 4.4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने का अनुमान है।

First Published - June 22, 2023 | 5:14 PM IST

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