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Andaman Nicobar: परमवीर चक्र विजेताओं के नाम से जाने जाएंगे अंडमान के 21 सबसे बड़े द्वीप

Last Updated- January 23, 2023 | 9:59 PM IST
21 largest islands of Andaman will be known as Param Vir Chakra winners
PTI

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को आरोप लगाया कि पहले की सरकारों में ‘विकृत वैचारिक राजनीति’ के कारण ‘आत्मविश्वास की कमी और हीनभावना’ रही जिसकी वजह से देश के सामर्थ्य को कमतर आंका गया। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने ‘दुर्गम और अप्रासंगिक’ मानकर हिमालयी, पूर्वोत्तर और द्वीपीय क्षेत्रों की दशकों तक उपेक्षा की तथा उनके विकास को नजरअंदाज किया।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्‍मदिन 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस अवसर पर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 सबसे बड़े द्वीपों का नामकरण परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह आरोप भी लगाया कि आजादी के बाद देश के स्वाधीनता आंदोलन के इतने बड़े नायक को भुला देने का प्रयास किया गया।

नेताजी की याद में दिल्ली के इंडिया गेट पर उनकी प्रतिमा स्थापित करने, आजाद हिंद सरकार के गठन के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर लाल किले पर तिरंगा फहराने, उनके जीवन से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने सहित कई अन्य कदमों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘जिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस को आजादी के बाद भुला देने का प्रयास हुआ, आज देश उन्हें पल-पल याद कर रहा है।’

इस कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हिस्सा ले रहे प्रधानमंत्री ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप पर बनाए जाने वाले नेताजी राष्‍ट्रीय स्मारक के प्रतिरूप का भी उद्घाटन किया। कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान, तीनों रक्षा सेवाओं के प्रमुख, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल देवेंद्र कुमार जोशी सहित कई अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारे देश की पहले की सरकारों में, खासकर विकृत, वैचारिक राजनीति के कारण दशकों से जो आत्मविश्वास की कमी और हीनभावना रही, उसके कारण देश के सामर्थ्य को हमेशा कमतर आंका गया।’ उन्होंने कहा, ‘चाहे हमारे हिमालयी राज्य हों, विशेषकर पूर्वोत्तर के राज्य हों या फिर अंडमान निकोबार जैसे समुद्री द्वीप क्षेत्र, इन्हें लेकर यह सोच रहती थी कि ये तो दूरदराज के दुर्गम और अप्रासंगिक इलाके हैं और इसी सोच के कारण ऐसे क्षेत्रों की दशकों तक उपेक्षा हुई। उनके विकास को नजरअंदाज किया गया।

अंडमान निकोबार द्वीप समूह इसका भी साक्षी रहा है।’ प्रधानमंत्री ने सिंगापुर, मालदीव और सेशेल्स का उदाहरण देते हुए कहा कि अपने संसाधनों के सही इस्तेमाल से ये देश और द्वीपीय क्षेत्र पर्यटन के आकर्षण का केंद्र बन गए हैं और आज पूरी दुनिया से लोग इन देशों में पर्यटन के लिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा ही सामर्थ्य भारत के द्वीपों के पास भी है जो दुनिया को बहुत कुछ दे सकते हैं।

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उन्होंने कहा, ‘लेकिन कभी पहले ध्यान ही नहीं दिया गया। हालात तो यह थे कि हमारे यहां कितने द्वीप हैं, कितने टापू हैं, इसका हिसाब किताब तक नहीं रखा गया।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले लोग अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के प्राकृतिक सौंदर्य को देखने यहां आते थे लेकिन आज लोग यहां इतिहास को जानने और जीने के लिए भी पहुंच रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘यहां के द्वीप हमारी समृद्ध आदिवासी परंपरा की धरती भी रहे हैं। अपनी विरासत पर गर्व की भावना, इस परंपरा के लिए भी आकर्षण पैदा कर रही है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े स्मारक और अन्य प्रेरणा स्थल देशवासियों में यहां आने के लिए उत्सुकता पैदा करते हैं। आने वाले समय में यहां पर्यटन के और असीम अवसर पैदा होंगे।’

First Published - January 23, 2023 | 9:59 PM IST

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