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Axiom-4 Mission: स्पेस में गूंजा जय हिंद, 41 साल बाद भारत की अंतरिक्ष में दस्तक

शुक्ला गुरुवार को लगभग 28 घंटे की यात्रा पूरी करने के बाद आईएसएस पर पहुंचने वाले पहले भारतीय होने का गौरव हासिल करेंगे।

Last Updated- June 25, 2025 | 11:26 PM IST
Shubhanshu Shukla

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने जब अंतरिक्ष से ‘जय हिंद और जय भारत’ का उद्घोष किया तो पूरे देश में देशभक्ति की भावना उमड़ पड़ी। भारत और भारतवासियों के लिए यह गौरवान्वित करने वाला क्षण था। देश को लगभग 41 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद यह गौरव हासिल हुआ है। इससे पहले अंतरिक्ष में जाने वाले राकेश शर्मा के शब्दों ‘सारे जहां से अच्छा’ ने पूरे देश का दिल जीत लिया था।

बुधवार को जब फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए ऐक्सीअम मिशन 4 (Axiom-4 Mission) रवाना हुआ तो शुक्ला ने इतिहास रच दिया। वर्ष 1984 में रूस के सोयूज अंतरिक्ष यान में राकेश शर्मा की यात्रा के बाद यह पहला मिशन है जब भारत सरकार मानव अंतरिक्ष उड़ान अभियान को प्रायोजित कर रही है। यह इसके महत्त्वाकांक्षी गगनयान मिशन का अहम शुरुआती चरण है। बताया जा रहा है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) इस मिशन पर 550 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है।

शुक्ला ने कहा, ‘नमस्कार, मेरे प्यारे देशवासियों! इस यात्रा का अनुभव बेहद शानदार रहा है। हम 41 साल बाद एक बार फिर अंतरिक्ष में पहुंचे हैं। यह एक अद्भुत यात्रा है। हम 7.5 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं।’Sh

इस सफल प्रक्षेपण से अंतरिक्ष क्षेत्र में काम करने वाली भारत की निजी कंपनियों जैसे लार्सन ऐंड टुब्रो, टाटा और अनंत टेक्नॉलजीज को बढ़ावा मिलने की संभावना है। ध्रुव स्पेस, बेलाट्रिक्स एरोस्पेस, स्काईरूट और अग्निकुल कॉस्मस जैसी स्टार्टअप इकाइयों को भी इस क्षेत्र में बढ़ी हुई गतिविधियों से लाभ होने की उम्मीद है।

शुक्ला ने कहा, ‘मेरे कंधों पर बना तिरंगा मुझे बता रहा है कि मैं आप सभी के साथ हूं। मेरी यह यात्रा आईएसएस में पहुंचने की शुरुआत ही नहीं है बल्कि भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की भी शुरुआत है।’ पूर देश को गौरवान्वित करने वाला यह क्षण ऐसे समय में आया है जब हाल में फिक्की-ईवाई की एक रिपोर्ट में भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के 2024 में लगभग 8.4 अरब डॉलर से बढ़कर 2033 तक 44 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है।

शुक्ला गुरुवार को लगभग 28 घंटे की यात्रा पूरी करने के बाद आईएसएस पर पहुंचने वाले पहले भारतीय होने का गौरव हासिल करेंगे। ऐक्सीअम-4मिशन ह्यूस्टन स्थित एक्सिओम स्पेस और अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था नासा के बीच एक व्यावसायिक उद्यम है। 14 दिनों के इस मिशन में अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के सदस्य भी शामिल हैं। इस मिशन में 31 देशों के प्रतिनिधि लगभग 60 गहन शोध परीक्षण करेंगे। इनमें 7 शोधों के प्रस्ताव भारतीय शोधकर्ताओं ने दिए हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘भारतीय अंतरिक्ष यात्री, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन जाने वाले पहले भारतीय बनने जा रहे हैं। वह अपने साथ 1.4 अरब भारतीयों की शुभकामनाएं, उम्मीदें और आकांक्षाएं लेकर जा रहे हैं।’

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मिशन को संस्कृत वाक्यांश ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का नाम दिया जिसका अर्थ है पूरा विश्व एक परिवार है। उन्होंने कहा, ‘ शुभांशु और अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के ऐक्सीअम मिशन 4 के उनके सह-अंतरिक्ष यात्री साबित करते हैं कि दुनिया वास्तव में एक परिवार है।’

स्पेसएक्स फाल्कन 9 ब्लॉक 5 रॉकेट के जरिये प्रक्षेपित क्रू ड्रैगन C213 कैप्सूल ने शुक्ला को पृथ्वी की निचली कक्षा में पहुंचा दिया । वह उन चार अंतरिक्ष यात्रियों में एक हैं जिन्हें भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन ‘गगनयान’ के लिए चुना गया है। मिशन गगनयान की शुरुआत 2026 के अंत या 2027 में हो सकती है। ऐक्सीअम-4 पर उनकी भूमिका ड्रैगन अंतरिक्ष यान को चलाना और गगनयान कार्यक्रम के लिए महत्त्वपूर्ण परिचालन अनुभव अपने साथ लाना है।

स्काईरूट एरोस्पेस के सह-संस्थापक पवन कुमार चांदना ने कहा, ‘ ऐक्सीअम मिशन-4 अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक पहल है। इस अभियान में राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियां और निजी उद्यम दोनों साथ मिलकर अंतरिक्ष में नया मुकाम हासिल करने में जुट गए हैं। भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को अधिक समय नहीं हुआ है मगर सार्वजनिक-निजी भागीदारी का यह स्थापित ढांचा पृथ्वी के नजदीक कई अभियानों में रणनीतिक रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है।’भारतीय अंतरिक्ष संघ (आईएसीए) के महानिदेशक ए के भट्ट ने कहा, ‘शुभांशु शुक्ला को अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय के रूप में देखकर हमें गर्व और खुशी हो रही है। यह यात्रा अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत के बढ़ते वैश्विक पदचिह्न का प्रमाण है और हम अपने स्वदेशी मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम गगनयान के साथ जो हासिल करना चाहते हैं, उस दिशा में उठाया गया एक महत्त्वपूर्ण कदम है।’

भट्ट ने कहा, ‘भारत अब गगनयान मिशन की तैयारी के अंतिम चरण में है जिसमें लार्सन ऐंड टुब्रो, टाटा और अनंत टेक्नॉलजीज जैसी कंपनियां हमारी जीवंत स्टार्टअप इकाइयों के साथ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। यदि सब कुछ योजना के अनुसार हुआ तो हम पूरी तरह स्वदेशी प्लेटफॉर्म पर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने के सपने को साकार करने से सिर्फ एक या दो साल दूर रह जाएंगे। ऐक्सीअम-4 जैसे मिशन हमारे प्रयासों को प्रेरणा देते हैं और अंतरिक्ष अन्वेषण के नए युग में भारत को एक अग्रणी शक्ति बनाने के हमारे संकल्प को मजबूत करते हैं।’

पिछले साल 27 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन चार अंतरिक्ष यात्रियों के नामों की घोषणा की थी जो भारत की अंतरिक्ष उड़ान की महत्त्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाएंगे। इन चार नामों में प्रशांत बालकृष्णन नायर, अजीत कृष्णन, अंगद प्रताप और शुभांशु शुक्ला शामिल हैं।

बेलाट्रिक्स एरोस्पेस के सह-संस्थापक और मुख्य परिचालन अधिकारी यशस करणम ने कहा, ‘यह मिशन भारत के लिए न केवल मानव अंतरिक्ष उड़ान में बल्कि हमारे बढ़ते निजी अंतरिक्ष उद्योग के लिए भी एक बड़ा कदम है। बेलाट्रिक्स एरोस्पेस सीमाओं को आगे बढ़ाने और इसे नए सिरे से परिभाषित करने की इस भावना में विश्वास करती है। हमारा मानना है कि इस तरह के मिशन नवाचार करने वाले अगली पीढ़ी के लोगों को प्रेरित करेंगे और एक मजबूत, आत्मनिर्भर अंतरिक्ष प्रणाली तैयार करने मदद करेंगे।’

उद्योग के अनुमानों के अनुसार वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में भारत की हिस्सेदारी मौजूदा 2 फीसदी से बढ़कर वर्ष2033 तक 8 फीसदी हो जाएगी। मगर यह लक्ष्य हासिल करने के लिए इस क्षेत्र को 22 अरब डॉलर के शुद्ध निवेश की आवश्यकता होगी। लगभग 300 स्टार्टअप इकाइयों का एक समूह पहले से ही प्रणोदन प्रणाली, लॉन्च वाहन या सैटेलाइट डिजाइन जैसे विभिन्न क्षेत्रों के माध्यम से इस लक्ष्य को वास्तविकता में तब्दील करने पर काम कर रहा है। यहां तक कि मैपमाईइंडिया जैसी पुरानी मैपिंग कंपनियां भी भू-स्थानिक समाधान और दिशासूचक तकनीक मुहैया कर इस काम में शामिल हो रही हैं।

First Published - June 25, 2025 | 11:11 PM IST

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