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जैव विविधता (संशोधन) अधिनियम, 2023: आयुष उद्योग ने कहा- कानून से आदिवासियों पर पड़ेगा प्रतिकूल असर

एक्सेस ऐंड बेनिफिट शेयरिंग’ (ABS) आदिवासियों और अन्य समुदायों को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति राशि है।

Last Updated- January 22, 2024 | 10:40 PM IST
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केंद्र ने जैव विविधता (संशोधन) अधिनियम, 2023 अधिसूचित कर दिया है। इसका ध्येय पर्यावरण की सुरक्षा व स्थानीय समुदायों तक उचित लाभ मुहैया कराते हुए शोध व विकास के लिए देश की समृद्ध जैव विविधता तक पहुंच को आसान बनाना है।

आयुष उद्योग ने जोर देकर कहा कि इस संशोधन से पारंपरिक भारतीय क्षेत्र को स्वास्थ्य व देखभाल उद्योग में अपनी पहुंच आसान बनाने में मदद मिलेगी। हालांकि पर्यावरणविदों के अनुसार आयुष चिकित्सकों और पारंपरिक ज्ञान वालों को ‘एक्सेस ऐंड बेनिफिट शेयरिंग’ (एबीएस) की सुविधा मिलने से आदिवासियों के अधिकारों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।

एबीएस आदिवासियों और अन्य समुदायों को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति राशि है। यह राशि आयुष उद्योग के लिए महत्त्वपूर्ण चिकित्सकीय पौधों और जड़ी बूटियों को एकत्रित करने, सुरक्षा और इस्तेमाल के लिए दी जाती है। आयुष में आयुर्वेद, योग व प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा व सोवा रिग्पा और होम्योपैथी शामिल हैं। आयुष उद्योग में इन चिकित्सा पद्धतियों के दवा निर्माता भी आते हैं।

अधिनियम बीते सप्ताह अधिसूचित

भारत में आयुर्वेदिक दवा निर्माताओं के संगठन के एक प्रवक्ता ने नाम गुप्त रखने पर बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि इस छूट के मिलने से आयुष दवा निर्माताओं की स्थिति मजबूत होगी और इससे उनकी बाजार तक पहुंच बढ़ेगी। इससे उनका स्वास्थ्य और स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में उपस्थिति व्यापक होगी।

इसके विपरीत पर्यावरण व इकोसिस्टम ‘विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी’ के प्रमुख देवादित्य सिन्हा ने बताया कि सरकार ने आयुष चिकित्सकों को छूट देकर आदिवासियों को प्राप्त होने वाले संभावित राजस्व को रोक दिया है। आदिवासियों की जीविका इन जड़ी-बूटियों पर आश्रित है।

आयुष उद्योग के अनुमानों के अनुसार एबीएस के रूप में कमाई का अनिवार्य प्रतिशत बिक्री का 0.1 से 0.5 प्रतिशत होता है जो कंपनी के राजस्व पर निर्भर करता है।

सिन्हा ने आयुष चिकित्सकों की अस्पष्ट परिभाषा पर चिंता जताते हुए कहा, ‘यदि व्यक्ति कंपनी को पंजीकृत कराए बिना जड़ी-बूटी की खेती करता है और फिर कंपनियों को बेच देता है तो उसे नियंत्रित करने का कोई तरीका नहीं है। इस शोषण को रोकने के लिए आयुष चिकित्सकों की परिभाषा स्पष्ट की जानी चाहिए।’ एबीएस को छूट के अलावा जैवविविधता के खिलाफ अपराध पर भेदभाव भी झगड़े की जड़ हैं।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मामलों के केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने संसद में विधेयक पेश किए जाने के दौरान कहा था कि गैर अपराधीकरण करने का ध्येय साझेदारों में डर को कम करना है।

First Published - January 22, 2024 | 10:40 PM IST

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