मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफा देने के एक दिन बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश मामलों के प्रभारी संबित पात्रा ने आगे की रणनीति तय करने के लिए सोमवार को इंफाल में कुछ भाजपा विधायकों के साथ बंद कमरे में बैठक की। दूसरी ओर विपक्ष ने कहा कि इस्तीफा देने में एन बीरेन सिंह ने बहुत देर कर दी। यह कदम भी राज्य विधान सभा में कांग्रेस के प्रस्तावित अविश्वास प्रस्ताव से बचने के लिए उठाया गया है। कई विपक्षी सांसदों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मणिपुर का दौरा करना चाहिए। बदलते हालात को देखते हुए राजधानी समेत कई शहरों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
भाजपा के अंदरूनी सूत्रों बताया कि पात्रा के साथ बैठक में विधान सभा अध्यक्ष थोकचोम सत्यव्रत, नगरपालिका प्रशासन आवास विकास मंत्री वाई खेमचंद, शिक्षा मंत्री थौनाओजम बसंत कुमार सिंह और पार्टी विधायक टी. राधेश्याम मौजूद थे। इनमें से तीन विधायक सिंह के साथ अपने तनावपूर्ण संबंधों के लिए जाने जाते हैं। सूत्रों का कहना है कि भाजपा विधायकों के अगले 48 घंटों में राज्य में या अन्यत्र और बैठकें करने की उम्मीद है।
इस बीच, राज्य की राजधानी खासकर संजेनथोंग, सिंगजामेई, मोइरांगखोम, कीसंपत और कांगला गेट जैसे संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के. मेघचंद्रा ने सिंह के इस्तीफे का स्वागत किया, लेकिन राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के किसी भी कदम का विरोध किया। मेघचंद्रा ने पत्रकारों से कहा, ‘कांग्रेस नया नेता और नई सरकार चाहती है। हम राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की किसी भी योजना का विरोध करते हैं, क्योंकि केंद्र सरकार को जनादेश का सम्मान करना चाहिए।’
शिवसेना (उद्धव) की राज्य सभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, ‘अब बहुत देर हो चुकी है। मणिपुर के लोग, उनकी अपनी पार्टी के नेता और विपक्ष दो साल से सिंह का इस्तीफा मांग रहे हैं, फिर भी मणिपुर में हिंसा जारी है।’ तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि यह मणिपुर के इतिहास में एक शर्मनाक अध्याय का अंत है। कांग्रेस सांसद थरूर ने कहा, ‘बहुत देर हो चुकी थी। हिंसा भड़कने के बाद से मुख्यमंत्री को हटाने की मांग की जा रही थी। उनकी अपनी मिलीभगत और स्थिति संभालने में लापरवाही से भरा कुप्रबंधन स्पष्ट हो गया है।’ समाजवादी पार्टी के राजीव राजी ने कहा, ‘मैं भारत सरकार से पूछना चाहता हूं कि वे पिछले दो साल से किसका इंतजार कर रहे थे?’
सोमवार से शुरू होने वाला राज्य विधान सभा का बजट सत्र रविवार रात सिंह के इस्तीफे के बाद रद्द कर दिया गया। विपक्ष ने सत्र के दौरान सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना बनाई थी। नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने भी सिंह के इस्तीफे का स्वागत किया और राज्य में शांति एवं सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए भाजपा के साथ सहयोग करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। एनपीपी विधायक दल के नेता शेख नूरुल हसन ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमने सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया था, क्योंकि राज्य में शांति और स्थिरता बहाल करने में उनकी विफलता के कारण हमें उनके नेतृत्व पर हमारा भरोसा नहीं रहा था। उनका इस्तीफा उस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक स्वागत योग्य कदम है।’