देश के ज्यादातर हिस्सों में मॉनसून के देरी और धीमे आगे बढ़ने के कारण खरीफ फसल की बोआई आशा के अनुरूप शुरू नहीं हुई है। शुरुआती दिनों में यह आशंका बढ़ गई कि कई फसलों की बोआई में देरी हो सकती है। यदि इसकी बुआई के आदर्श समय में देरी हो गई तो फसल पर प्रतिकूल असर भी पड़ सकता है।
इस शुक्रवार (16 जून, 2023) तक गन्ने को छोड़कर अन्य प्रमुख खरीफ फसलों की बोआई करीब 49.3 लाख हेक्टेयर रही। यह बीते साल की तुलना में मामूली रूप से अधिक है। इसका कारण यह है कि बाजरे के रकबे में बढ़ोतरी हुई है। दक्षिण पश्चिम मॉनसून 1 से 16 जून तक सामान्य से करीब 47 फीसदी कम रहा है।
Also read: Kharif sowing 2023: मानसून में देरी पिछड़ी खरीफ फसलों की बोआई, दलहन का रकबा सबसे ज्यादा घटा
हालांकि अच्छी खबर यह है कि 20 जून के बाद मॉनसून के फिर सक्रिय होने का अनुमान है। वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार भारत के पश्चिमी तट पर मौसम की सक्रिय स्थितियों के कारण बंगाल की खाड़ी और मध्य भारत में मॉनसून सक्रिय हो सकता है। इससे खरीफ की बोआई को बल मिल सकता है।