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BookMyShow और PVR को राहत, ऑनलाइन टिकट पर कन्वीनियंस फीस लेने की मिली इजाजत

कोर्ट ने साफ किया कि महाराष्ट्र एंटरटेनमेंट ड्यूटी (MED) एक्ट के तहत राज्य सरकार के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है कि वह इस तरह की पाबंदी लगा सके।

Last Updated- July 11, 2025 | 1:30 PM IST
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मुंबई हाई कोर्ट ने गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें मल्टीप्लेक्स और सिनेमा हॉल्स को ऑनलाइन टिकट बुकिंग पर कन्वीनियंस फीस लेने से रोका गया था। कोर्ट ने साफ किया कि महाराष्ट्र एंटरटेनमेंट ड्यूटी (MED) एक्ट के तहत राज्य सरकार के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है कि वह इस तरह की पाबंदी लगा सके। यह जानकारी Bar and Bench की रिपोर्ट में दी गई है।

न्यायमूर्ति एमएस सोनक और न्यायमूर्ति जितेंद्र जैन की डिविजन बेंच ने कहा कि यह आदेश भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(g) का उल्लंघन करते हैं, जो हर नागरिक को पेशा, व्यापार या व्यवसाय करने की आज़ादी देता है।

2013 और 2014 के सरकारी आदेश रद्द

कोर्ट ने कहा कि अप्रैल 2013 से मार्च 2014 के बीच जारी किए गए ये सरकारी आदेश सिर्फ प्रशासनिक थे और उनके पीछे कोई कानूनी आधार नहीं था। बेंच ने कहा, “ऑनलाइन टिकट बुकिंग पर कन्वीनियंस फीस लेने से रोकने वाले आदेश संविधान के अनुच्छेद 19(1)(g) का उल्लंघन करते हैं, इसलिए इन्हें रद्द किया जाता है।”

ऑनलाइन बुकिंग को बताया व्यापारिक निर्णय

जजों ने कहा कि ऑनलाइन टिकट बुक करना ग्राहक की मर्जी पर निर्भर है और इसके बदले कन्वीनियंस फीस वसूलना एक वैध व्यापारिक प्रक्रिया है।

कोर्ट ने कहा, “अगर ग्राहक को ऑनलाइन बुकिंग से सुविधा मिलती है, तो इसके लिए थिएटर या बुकिंग प्लेटफॉर्म टेक्नोलॉजी में निवेश करते हैं। ऐसे में सरकार उन्हें कन्वीनियंस फीस वसूलने से नहीं रोक सकती।” बेंच ने ये भी कहा कि व्यापारिक फैसलों में जरूरत से ज्यादा सरकारी दखल से आर्थिक गतिविधियां ठप हो सकती हैं।

BookMyShow और PVR ने दी थी चुनौती

PVR लिमिटेड, Big Tree Entertainment (जो BookMyShow चलाती है) और कुछ अन्य सिनेमा ऑपरेटर्स ने सरकार के आदेशों को कोर्ट में चुनौती दी थी। उनका तर्क था कि कन्वीनियंस फीस एक अलग सेवा शुल्क है, जो पेमेंट गेटवे, इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर और कस्टमर सपोर्ट जैसे खर्चों को कवर करता है और इसका MED एक्ट से कोई लेना-देना नहीं है।

सरकार का दावा कोर्ट ने किया खारिज

वहीं, महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि MED एक्ट में इस तरह के शुल्क की इजाजत नहीं है और उसने संविधान के अनुच्छेद 162 के तहत अपने आदेश को सही ठहराया। सरकार ने यह भी कहा कि कन्वीनियंस फीस एक अतिरिक्त शुल्क है जो एंटरटेनमेंट टैक्स के दायरे में नहीं आता।

लेकिन कोर्ट ने सरकार की यह दलील खारिज कर दी और कहा कि अनुच्छेद 162 के तहत कार्यपालिका तब तक कोई आदेश नहीं जारी कर सकती जब तक उसके पीछे कोई कानूनी प्रावधान न हो। कोर्ट ने साफ किया कि MED एक्ट में ऐसा कोई नियम नहीं है जो सरकार को कन्वीनियंस फीस पर रोक लगाने का अधिकार देता हो।

First Published - July 11, 2025 | 1:30 PM IST

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