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पटाखों पर प्रतिबंध के कारण दीवाली पर मंदा ही रहा धंधा

पिछले साल सर्वोच्च अदालत ने अपने एक आदेश में कहा कि पटाखों पर नियत समय को छोड़ प्रतिबंध संबंधी उसका आदेश पूरे देश में लागू रहेगा।

Last Updated- October 30, 2024 | 11:25 PM IST
The poisonous air of the capital Delhi has consumed the firecrackers पटाखों को लील गई राजधानी दिल्ली की जहरीली हवा

राजधानी दिल्ली में इस साल भी दीवाली पर पटाखे नहीं चलाए जाएंगे। वायु और ध्वनि प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए पटाखों पर इस साल भी प्रतिबंध जारी रहेगा। यहां के थोक और खुदरा बाजारों में दुकानों पर अब केवल इलेक्ट्रिक लडि़यां और खिलौने ही दिख रहे हैं।

कनॉट प्लेस, लाजपत नगर और पश्चिम विहार जैसे खुदरा बाजारों में पटाखों की अधिकांश दुकानें बंद कर दी गई हैं। कई कारोबारियों ने दुकान की दीवार या शटर पर अपना फोन नंबर लिखकर संपर्क के लिए बोर्ड टांग दिया है, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी के पटाखों के सबसे बड़े बाजारों में शामिल चांदनी चौक के पयवालां बाजार में दुकानें खुली हैं। यहां कारोबार पहले की तरह चल रहा है, लेकिन हल्का है।

मैजेस्टिक फायरवर्क्स के मालिक ने बताया, ‘कुछ साल पहले तक दीवाली से पहले के तीन दिनों में वे 15 से 16 लाख रुपये का कारोबार कर लेते थे, लेकिन अब बिक्री आधी रह गई है।’

अदालत का आदेश

दिल्ली ही नहीं, कई अन्य राज्यों में भी कुछ घंटों के लिए पटाखे चलाने से लेकर उनके बनाने, भंडारण करने, बेचने जैसे कई तरह के अंकुश लगाए गए हैं क्योंकि, 2021 में उच्चतम न्यायालय ने प्रदूषण फैलने से रोकने के लिए अपने एक आदेश में केवल ग्रीन पटाखे चलाने की छूट देते हुए अन्य पर प्रतिबंध लगा दिया था।

पिछले साल सर्वोच्च अदालत ने अपने एक आदेश में कहा कि पटाखों पर नियत समय को छोड़ प्रतिबंध संबंधी उसका आदेश पूरे देश में लागू रहेगा।

मुंबई की परंपरा

मुंबई में पटाखों के विक्रेता कहते हैं कि इस बार अन्य वर्षों के मुकाबले कारोबार मंदा है। एक दुकानदार बच्चों की परीक्षाएं और महंगाई को इस मंदी का प्रमुख कारण बताते हैं। यहां बड़े डीलर से पटाखे खरीदने वाले एक ग्राहक ने बताया कि उन्होंने सुबह 10.30 बजे ही पटाखे खरीद लिए।

पटाखों के खिलाफ उठती आवाजों के बारे में वह कहते हैं, ‘जिन लोगों को पटाखों के साथ दीवाली मनानी है, वे मना रहे हैं। आखिरकार यह धन का त्योहार ही है।’

शिवकाशी : पटाखों की खान

देश के 85 फीसदी पटाखे शिवकाशी में बनाए जाते हैं। यह शहर भारत का सबसे बड़ा पटाखा केंद्र है। खुदरा विक्रेता जहां पिछले साल की अपेक्षा कारोबार में 10 फीसदी उछाल की बात कहते हैं, वहीं थोक विक्रेता बेरियम और पटाखों की लड़ी के इस्तेमाल पर रोक के नियमों के चलते कारोबार में मंदी से परेशान दिखे।

वे कहते हैं कि पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले उनके कारोबार में 30 फीसदी की गिरावट आई है। शिवकाशी पटाखा विनिर्माता एसोसिएशन के मुरली असैतंबी कहते हैं, ‘यदि पटाखों की लड़ी के इस्तेमाल की इजाजत मिल जाए तो बिक्री में 30 फीसदी की उछाल आ सकती है।’

तूफान प्रभावित कोलकाता का हाल

कोलकता में पटाखा विक्रेताओं पर त्योहारी सीजन में दोहरी मार पड़ी है। ग्रीन पटाखों के कारण पहले ही उनके पारंपरिक पटाखे कम बिक रहे थे, अब हाल ही में आए चक्रवाती तूफान दाना से हुई भारी बारिश के कारण व्यापारियों का भारी नुकसान हुआ है।

लखनऊ में प्रदूषण बनी वजह

लखनऊ में भी पटाखों की बिक्री में 20 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की जा रही है। लोग अब ग्रीन पटाखों की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं।

पटाखा कारोबारी सतीश कुमार ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘प्रदूषण के कारण लोग अब पटाखों से दूरी बनाने लगे हैं। इससे उनकी बिक्री भी प्रभावित हो रही है।’

(अनुष्का भारद्वाज, प्राची पिसाल, शाइन जैकब, ईशिता आयान दत्त और वीरेंद्र सिंह रावत)

First Published - October 30, 2024 | 11:01 PM IST

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