facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

ईवी निवेश की नीति में चार्जिंग ढांचा भी होगा शामिल‌!

इस नीति के तहत उन्हें एक विनिर्माण संयंत्र बनाने के लिए तीन साल में 50 करोड़ डॉलर का निवेश करने की जरूरत थी।

Last Updated- February 23, 2025 | 10:28 PM IST
Govt mulls including charging infrastructure in EV investment mandate EV पॉलिसी में बड़ा बदलाव संभव! चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश को मिलेगी जगह, Tesla समेत ग्लोबल कंपनियों को होगा फायदा?

सरकार चार्जिंग के बुनियादी ढांचा नेटवर्क के निर्माण में निवेश को भी शामिल करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है ताकि वैश्विक कंपनियां पिछले साल घोषित नीति के तहत निवेश की अपनी पात्रता के मानदंडों को आसानी से पूरा कर सकें। इस नीति के तहत उन्हें एक विनिर्माण संयंत्र बनाने के लिए तीन साल में 50 करोड़ डॉलर का निवेश करने की जरूरत थी। बदले में उन्हें देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के आयात के लिए रियायती शुल्क मिलता। 

पिछले साल मार्च में घो​षित इस नीति को मोटे तौर पर टेस्ला को लुभाने के प्रयास के रूप में देखा गया (अलबत्ता विनफास्ट और जगुआर लैंड रोवर के जरिये टाटा के साथ-साथ बीएमडब्ल्यू जैसी अन्य कंपनियों ने भी इस पर विचार किया था)। हालांकि यह नीति संभावित वैश्विक कार विनिर्माताओं को लुभाने में विफल रही। लिहाजा, भारी उद्योग मंत्रालय को हितधारकों के साथ नए सिरे से बातचीत शुरू करनी पड़ी। कई लोगों ने तर्क दिया कि ईवी संयंत्रों में मौजूदा निवेश को भी नीति में शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि वर्तमान ढांचे में जल्द निकलने वाली कंपनियों पर दंड लगता है जबकि यह उन नई कंपनियों को लाभ पहुंचाता है जिन्होंने देश के इलेक्ट्रिक मोबिलिटी तंत्र में कोई निवेश नहीं किया है। इस नीति के तहत कंपनियों को तीन साल के भीतर संयंत्र स्थापित करना था और संचालन के पांचवें वर्ष तक देसी पुर्जों के इस्तेमाल का 50 प्रतिशत स्तर हासिल करना था। आयात किए जाने वाले ईवी की संख्या भी सीमित थी।

बदले में सरकार इच्छुक ईवी विनिर्माताओं के लिए आयात शुल्क 15 प्रतिशत तक कम करने पर सहमत हो गई थी। यह उन वाहनों के लिए था जो अनुमोदन की तारीख से पांच वर्षों की अवधि के दौरान 35,000 डॉलर और उससे अधिक की लागत, बीमा और ढुलाई (सीआईएफ) कीमत वाले वाहन आयात करते थे। इसे पहले लगाए गए 70 प्रतिशत और 100 प्रतिशत से कम किया गया था।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘हितधारकों के साथ बातचीत के बाद हम एक विनिर्माण इकाई स्थापित करने के अलावा चार्जिंग स्टेशनों में निवेश को भी शामिल करके निवेश मानदंडों को आसान बनाने के प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं।’

First Published - February 23, 2025 | 10:28 PM IST

संबंधित पोस्ट