रक्षा मंत्रालय ने लगभग 1.05 लाख करोड़ रुपये मूल्य के ‘सैन्य हार्डवेयर’ और ‘प्लेटफार्मों’ के लिए पूंजीगत अधिग्रहण से जुड़ी परियोजनाओं को गुरुवार को मंजूरी दे दी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने इन खरीद परियोजनाओं को मंजूरी दी। इनमें भारतीय नौसेना के लिए 44,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से 12 माइन काउंटर मेजर वेसल (एमसीएमवी) की खरीद भी शामिल हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच 7 से 10 मई के सैन्य संघर्ष के कुछ हफ्ते बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक में महत्त्वपूर्ण खरीद परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि डीएसी ने देसी सोर्सिंग के जरिये करीब 1.05 लाख करोड़ रुपये की 10 पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों को शुरुआती मंजूरी दी है।
एमसीएमवी की खरीद की मंजूरी के लिए पिछले 15 वर्षों से प्रयास जारी थी और कम से कम तीन असफल प्रयासों के बाद अंततः इसके लिए मंजूरी दी गई है। करीब सात साल पहले माइनस्वीपर पोत के तौर पर पहचाने जाने वाले एमसीएमवी की खरीद के लिए दक्षिण कोरियाई रक्षा प्रमुख के साथ भारत की बातचीत हुई थी। मगर कई मुद्दों के कारण यह पूरी नहीं हो पाई।
फिलहाल भारतीय नौसेना के पास एक भी एमसीएमवी नहीं है। सेना इस विशेष युद्धपोत की खरीद के लिए जोरदार तरीके से प्रयास कर रही है, जो पानी के अंदर की बारूदी सुरंगों का पता लगाने, उनकी निगरानी करने और उन्हें नष्ट करने के लिए जरूरी माना जाता है। आमतौर पर पानी के नीचे की सुरंगों का उपयोग शत्रु समुद्री व्यापार को बाधित करने के लिए करते हैं। इसके अलावा बंदरगाहों को अवरुद्ध करने तथा नौवहन को बाधित करने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है।
प्रस्ताव के मुताबिक, एमसीएमवी भारत में ही बनाए जाएंगे। आधिकारिक बयान के अनुसार, डीएसी ने बख्तरबंद रिकवरी वाहनों, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली, तीनों सेनाओं के लिए एकीकृत सामान्य इन्वेंट्री प्रबंधन प्रणाली और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की खरीद को मंजूरी दे दी। मंत्रालय ने बयान में कहा है कि इन खरीद से सशस्त्र बलों की अभियानगत तैयारियां और बेहतर होंगी। इन खरीद से नौसेना और व्यापारिक जहाजों के लिए संभावित खतरों को कम करने में मदद मिलेगी।
मंत्रालय ने कहा, ‘स्वदेशी डिजाइन और विकास को और बढ़ावा देने के लिए एओएन को खरीद (भारतीय-स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित) श्रेणी के तहत प्रदान किया गया है।’