facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

पराली जलाने में कमी से दिल्ली को थोड़ी राहत मगर प्रदूषण का खतरा बरकरार

पर्यावरण विश्लेषकों का कहना है कि आग लगने की घटनाएं अभी शुरू हुई हैं और अक्टूबर के अंत से नवंबर की शुरुआत तक पराली जलाने की घटनाएं अपने चरम पर होती हैं।

Last Updated- October 09, 2024 | 10:45 PM IST
Stubble Burning: Target to 'zero' cases of stubble burning in the current session - Tomar

 Stubble Burning Incidents 2024: मॉनसून से शुरू हुई ताजी हवा से दिल्ली को कुछ और दिन प्रदूषण से राहत मिल सकती है। पराली जलाने का मौसम शुरू होते ही आसमान में बदलाव के बादल दिखने लगे और इस बार पराली जलाने की घटनाओं में 65 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। इस साल 15 सितंबर से लेकर 8 अक्टूबर तक पराली जलाने की 546 घटनाएं दर्ज की गई है, जो पिछले साल इसी अवधि के दौरान 1,565 मामलों से काफी कम हैं।

पराली जलाने में आई कमी से दिल्ली की हवा साफ रखने में काफी मदद मिली है, लेकिन यह राहत कब तक मिलेगी यह वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा ग्रेडेड रिस्पॉन्स ऐक्शन प्लान (ग्रैप) के सफल क्रियान्वयन पर निर्भर करता है। वाहन उत्सर्जन और निर्माण कार्यों से होने वाले धूल पर कार्रवाई महत्त्वपूर्ण होगी, खासकर तब जब पराली जलाने का मौसम जारी रहेगा। फिर भी अगर अनुपालन में कोई ढिलाई बरती जाती है तो हवा की गुणवत्ता बदतर हो सकती है।

पर्यावरण विश्लेषकों का कहना है कि आग लगने की घटनाएं अभी शुरू हुई हैं और अक्टूबर के अंत से नवंबर की शुरुआत तक पराली जलाने की घटनाएं अपने चरम पर होती हैं। वाहन, औद्योगिक और बिजली संयंत्र उत्सर्जन के साथ-साथ मौसम की प्रतिकूल स्थिति से आने वाले हफ्तों में वायु गुणवत्ता महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित हो सकती हैं। एक स्वतंत्र प्रदूषण पर्यावरणविद् ने कहा, ‘अभी से यह तय करना काफी जल्दबाजी भरा होगा कि शुरुआती आग की घटनाओं में गिरावट से प्रदूषण के स्तर में उल्लेखनीय कमी आएगी या नहीं।’

हालांकि, अभी यह भी नहीं कहा जा सकता है कि दिल्ली की हवा सांस लेने लायक रहेगी या नहीं क्योंकि मौजूदा वायु गुणवत्ता दोनों और इशारा करती है। बुधवार के लिए दिल्ली एनसीआर की वायु गुणवत्ता और मौसम बुलेटिन के मुताबिक, दिल्ली में शनिवार तक कुल मिलाकर मध्यम श्रेणी में रहने की उम्मीद है। अगले छह दिनों में इसके मध्यम से लेकर खराब श्रेणी के बीच रहने की उम्मीद है।

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन आने वाले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े दिल्ली की वायु गुणवत्ता में अगस्त के संतोषजनक से सितंबर के हल्के प्रदूषण के साथ थोड़ा बदलाव दिखाता है। अक्टूबर के लिए वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) खराब श्रेणी में है और महीने के पहले आठ दिनों में औसतन यह 156 है। 50 अथवा उसे कम एक्यूआई को बेहतर माना जाता है जबकि 51 से 100 तक संतोषजनक रहता है।

First Published - October 9, 2024 | 10:45 PM IST

संबंधित पोस्ट