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Gig Workers: ई-कॉमर्स कंपनियों की नीतियों के खिलाफ डिलिवरी मजदूर 24 नवंबर को करेंगे हड़ताल

2021 में भारतीय ई-कॉमर्स बाजार का कुल व्यापार 44 बिलियन अमेरिकी डॉलर इतना था जो 2030 तक बढ़कर 370 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।

Last Updated- November 23, 2023 | 6:53 PM IST
Delivery workers need to organize themselves

अगर आपने ऑन लाइन (ई-कॉमर्स) कंपनियों से कुछ समान मंगवाया है तो हो सकता है कि उसकी डिलीवरी नहीं हो, क्योंकि देशभर के गिग श्रमिकों ने कल यानी 24 नवंबर को एक दिवसीय हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है। ई-कॉमर्स कंपनियों की तरफ से कम वेतन और श्रम नियमों की अनदेखी करने का आरोप लगते हुए श्रमिक संगठनों ने हड़ताल की घोषणा की है। श्रमिकों की इस हड़ताल के कारोबारी संगठनों ने भी समर्थन किया है।

केंद्र सरकार ई-कॉमर्स नीति और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत ई कॉमर्स के नियम नहीं ला पाई है जबकि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनिया बिना रुके लगातार नीति का उल्लंघन कर रही हैं। गिग श्रमिकों के लिए काम करने वाली संस्था यूएनआई ग्लोबल यूनियन (UNI GLOBAL UNION) ने देश के कई श्रमिक संगठनों और कारोबारी संगठनों को साथ लेकर हड़ताल का ऐलान किया है।

जॉइंट हॉकर्स एक्शन कमेटी प्रदेश उपाध्यक्ष वैजनाथ सुखसे ने मुंबई में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत के नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2030 तक प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स की संख्या बढ़कर 23.5 मिलियन हो जाएगी और गिग श्रमिक का बड़े पैमाने पर शोषण भी हो रहा है। इसलिए गिग श्रमिकों ने हड़ताल में जाने का फैसला किया है।

24 नवंबर को डिलीवरी नहीं करेंगे और देशभर के लाखों गिग श्रमिक इसमे शामिल होगे। ई-कॉमर्स कंपनियां गिग श्रमिकों को भागीदार कहती हैं लेकिन कोई लाभ नहीं देती हैं और श्रमिकों के समय से अधिक काम करवाके लेती हैं। ये मजदूरों को कोई सुविधा नहीं देते, इसलिए इन कंपनियों पर लगाम लगाई जाए और इनके नियमन के लिए कानून बनाया जाए।

कैट महाराष्ट्र राज्य महासचिव शंकर ठक्कर ने कहा कि भारत में ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए अभी तक कोई नीति नहीं है, इसलिए बहुराष्ट्रीय कंपनियां गिग श्रमिकों के माध्यम से खरबों रुपये का व्यापार कर रही हैं।

2021 में भारतीय ई-कॉमर्स बाजार का कुल व्यापार 44 बिलियन अमेरिकी डॉलर इतना था जो 2030 तक बढ़कर 370 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।

आज, बहुराष्ट्रीय कंपनियां सभी प्रकार के सामान ऑनलाइन बेच रही हैं, जिनमें किराने का सामान, सामान्य सामान, कपड़े इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल, चिकित्सा, और सैलून, ब्यूटीशियन, प्लंबर, खाद्य आपूर्ति, यहां तक कि फल और सब्जियां सहित सभी प्रकार की सेवाएं शामिल हैं। इस वजह से सभी छोटे-बड़े व्यापारीयों पर इसका बड़ा असर पड़ रहा है।

गिग श्रमिक और छोटे व्यापारी देशभर में विरोध प्रदर्शन करेंगे। मुख्यरुप से दिल्ली के जंतर-मंतर, मुंबई में आजाद मैदान, कोल्हापुर जिला कलेक्टर कार्यालय और छत्रपति संभाजी नगर संभागीय आयुक्त कार्यालय से लेकर सभी मंडल और जिला स्तर तक हड़ताल और विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है।

मुंबई में हॉकर्स ज्वाइंट एक्शन कमेटी के वैजनाथ सुरावसे, डॉ. लक्ष्मण माने , अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ और कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के महाराष्ट्र राज्य महासचिव शंकर ठक्कर आदि इस देशव्यापी आंदोलन को समर्थन देने के लिए शामिल होने वाले हैं।

व्यापारी संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार ई-कॉमर्स नीति और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत ई कॉमर्स के नियम नहीं ला पाई है जबकि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनिया बिना रुके लगातार नीति का उल्लंघन कर रही है। इसके लिए न केवल केंद्र सरकार बल्कि राज्य सरकारें भी दोषी हैं क्योंकि व्यापार राज्य का विषय है और विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के हाथों जीएसटी राजस्व का भारी नुकसान होने के बाद भी राज्य सरकारें मूक दर्शक बनी हुई हैं।

देश के करोड़ों व्यापारियों में बहुत निराशा और हताशा है जिसके कारण देश भर के व्यापारियों का दर्द बताने और ई-कॉमर्स को सुव्यवस्थित करने के लिए व्यापारियों ने गिग श्रमिकों के हड़ताल का समर्थन किया है।

First Published - November 23, 2023 | 6:53 PM IST

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