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Tax: अमीरों की संपत्ति पर कर लगाए जाने की राज्यसभा में उठी मांग

Last Updated- February 09, 2023 | 2:30 PM IST
Direct tax collection will be more than expected
BS

अमीरों की संपत्ति पर कर लगाए जाने की मांग करते हुए राज्यसभा में गुरुवार को राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के एक सदस्य ने कहा कि यह कदम उठाने से देश को लाभ होगा और स्वास्थ्य तथा शिक्षा सहित अन्य क्षेत्रों में जरूरतमंद लोगों की मदद की जा सकेगी।

शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए RJD सदस्य मनोज कुमार झा ने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी देश में असमानता व्याप्त है और अमीर गरीब के बीच गहरी खाई है जो कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है। उन्होंने कहा कि यह विडंबना ही है कि सवा सौ करोड़ से अधिक की आबादी वाले देश में मात्र पांच फीसदी भारतीयों के पास 60 फीसदी संपत्ति है और 50 फीसदी लोगों के पास मात्र तीन फीसदी संपत्ति है।

उन्होंने कहा ‘कोविड में जहां सब कुछ तहस-नहस हो गया वहीं कुछ लोगों की संपत्ति बढ़ती रही।’ झा ने कहा कि देश में 1985 तक धनिकों की संपत्ति पर कर की एक व्यवस्था थी जिसे वापस लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमीरों की संपत्ति पर कर लगाने से उन वर्गों को बहुत लाभ होगा जिनकी जरूरत इस कर से पूरी होगी।

उन्होंने कहा ‘इससे देश को ही लाभ होगा और स्वास्थ्य तथा शिक्षा सहित अन्य क्षेत्रों में जरूरतमंद लोगों की मदद की जा सकेगी।’ शून्यकाल में ही कांग्रेस के इमरान प्रतापगढ़ी ने बुनकरों से जुड़ा मुद्दा उठाते हुए कहा कि कृषि के बाद देश में सबसे ज्यादा रोजगार हथकरघा उद्योग सृजित करता है और यह सर्वविदित है।

उन्होंने कहा ‘कपड़ा उद्योग में हथकरघा क्षेत्र का योगदान 60 फीसदी है लेकिन बुनकरों की हालत बहुत खराब है। अत्यधिक GST की वजह से पूरा यार्न बाजार तबाह हो गया है। बिजली की दर में वृद्धि और चीन के कम कीमत वाले यार्न के कारण बुनकरों की कमर पूरी तरह टूट चुकी है।’

प्रतापगढ़ी ने कहा कि पहले देश के कई हिस्से हथकरघा उद्योग के लिए प्रसिद्ध थे लेकिन आज इन जगहों के बुनकर ईंट भट्ठों में काम करने के लिए मजबूर हैं। उन्होंने सरकार पर हथकरघा क्षेत्र के प्रति उदासीन रुख रखने का आरोप लगाया और कहा कि जो हालात हैं उनमें इस उद्योग के पुनर्जीवित होने के आसार नजर नहीं आते। उन्होंने सरकार से इस क्षेत्र को तत्काल राहत दिए जाने की मांग की।

भारतीय जनता पार्टी (BJP) सदस्य बृजलाल ने शून्यकाल में कहा कि 2021 के आंकड़े बताते हैं कि देश भर में चार लाख से अधिक लोग दुर्घटनाओं में मारे गए और मरने वाले ज्यादातर युवा थे। उन्होंने कहा कि दुर्घटना के मुकदमे में अधिकतम सजा दो साल की होती है। बृजलाल ने कहा कि जो हादसे होते हैं, उनमें से 85.4 फीसदी हादसे तेज गति तथा लापरवाही से वाहन चलाने के कारण होते हैं।

उन्होंने इसके लिए कानून को कठोर बनाए जाने की मांग करते हुए कहा कि सजा का प्रावधान कठोर करने तथा अत्यधिक जुर्माना लगाए जाने पर हादसों को शायद रोका जा सकेगा। उन्होंने यह भी कहा कि जुर्माने की राशि पीड़ित को या मृत्यु होने की स्थिति में उसके परिवार को दी जानी चाहिए।

यह भी पढ़ें : ‘लंबित मामले निपटाएं इरडा और बीमा कंपनियां’

बीजद के डॉ अमर पटनायक ने ओडिशा में टेली घनत्व तथा इंटरनेट कनेक्टिविटी से जुड़ा मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय औसत की तुलना में ओडिशा में टेली घनत्व बहुत ही कम है जिसकी वजह से लोगों को, खास कर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को दिक्कत होती है। उन्होंने कहा कि इसके लिए राज्य में मोबाइल टॉवर की संख्या बढ़ानी चाहिए और इसके लिए कदम शीघ्र उठाए जाने चाहिए।

शून्यकाल में ही तृणमूल कांग्रेस के डॉ शांतनु सेन ने कहा कि केंद्र ने विभिन्न मदों में पश्चिम बंगाल की बकाया राशि अब तक नहीं दी है जिसकी वजह से राज्य को अपनी कल्याणकारी योजनाएं चलाने में तथा विभिन्न परियोजनाओं को पूरा करने में मुश्किल हो रही है। उन्होंने बकाया राशि जल्द जारी किए जाने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र पश्चिम बंगाल के साथ राजनीतिक प्रतिशोध की भावना के साथ सलूक कर रहा है। इसी पार्टी की शांता क्षेत्री ने लेप्चा भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग की।

First Published - February 9, 2023 | 2:30 PM IST

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