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Digital house arrest: साइबर अपराधियों का नया हथियार, कैसे बचें?

Digital house arrest: डिजिटल हाउस अरेस्ट एक नया साइबर अपराध है जिसमें जालसाज लोगों को डराकर उनके घरों में कैद कर लेते हैं और फिर उनके बैंक खातों को खाली कर देते हैं।

Last Updated- May 24, 2024 | 4:07 PM IST
Indians lost Rs 485 crore in UPI fraud, 6.32 lakh cases registered UPI धोखाधड़ी में भारतीयों ने गंवाए 485 करोड़ रुपये, 6.32 लाख मामले दर्ज हुए

इंटरनेट की दुनिया में अपराध करने के नए-नए तरीके ढूंढ लिए गए हैं। इनमें से एक तरीका है ‘डिजिटल हाउस अरेस्ट’। इसमें जालसाज खुद को पुलिस वाले, सीबीआई ऑफिसर या फिर कस्टम अफसर बताकर लोगों को डराते हैं और उन्हें घर से बाहर न निकलने के लिए कहते हैं। इसके बाद वे उनके बैंक खातों को खाली कर लेते हैं। हाल ही में ऐसे कई मामले सामने आए हैं।

रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ साल 2022-23 में ही भारत में बैंक फ्रॉड 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के हुए हैं। पिछले 10 सालों में भारतीय बैंकों में कुल 65,017 फ्रॉड के मामले सामने आए हैं, जिनमें कुल 4.69 लाख करोड़ रुपये का घाटा हुआ है।

जालसाज लोगों को ठगने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं, जैसे UPI, क्रेडिट कार्ड, OTP, नौकरी और डिलीवरी स्कैम। लेकिन अब ठगों का एक नया हथियार है – डिजिटल हाउस अरेस्ट।

डिजिटल हाउस अरेस्ट क्या है?

डिजिटल हाउस अरेस्ट एक ऐसा तरीका है जिसमें जालसाज लोगों को उनके घरों में ही फंसाकर उनसे धोखाधड़ी करते हैं। ये जालसाज फोन या वीडियो कॉल के जरिए डर पैदा करते हैं।

वे अक्सर AI की मदद से बनाई नकली आवाज या वीडियो का इस्तेमाल कर पुलिस या सरकारी अफसर बनकर बात करते हैं। वे लोगों पर आधार कार्ड या फोन नंबर से जुड़े झूठे आरोप लगाते हैं और जल्द गिरफ्तारी का डर दिखाकर उनसे पैसे ट्रांसफर करवा लेते हैं।

आम तौर पर, ये जालसाज लोगों को कॉल करके ये कहते हैं कि उन्होंने ड्रग्स या नकली पासपोर्ट जैसे अवैध सामानों से भरे पार्सल भेजे हैं या उन्हें प्राप्त हुए हैं। कभी-कभी वे झूठ बोलकर पीड़ित के रिश्तेदारों या दोस्तों को भी किसी अपराध या दुर्घटना में उनकी संलिप्तता के बारे में बताते हैं, जिससे पीड़ित घबरा जाए।

इसके बाद ये जालसाज खुद को पुलिस या सरकारी अफसर बताते हुए कहते हैं कि अगर वे पैसे देंगे तो मामला बंद हो जाएगा। इतना ही नहीं, जालसाज तब तक उन्हें वीडियो कॉलिंग करते रहते हैं जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती।

जालसाज अपनाते हैं कई हथकंडे

ये जालसाज कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं। कभी-कभी तो वे नकली पुलिस स्टेशन या सरकारी दफ्तर का सेटअप बना लेते हैं और असली पुलिस की वर्दी जैसी दिखने वाली वर्दी पहन लेते हैं।

उत्तर प्रदेश में पिछले साल दिसंबर में पहली बार ‘डिजिटल अरेस्ट’ का मामला सामने आया था। नोएडा के एक रहने वाले व्यक्ति ने इसकी शिकायत दर्ज कराई थी जिसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की।

वो शख्स जालसाजों के जाल में फंस गया और पूरे एक दिन तक उसे ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा गया। जालसाजों ने खुद को CBI के IPS ऑफिसर और एक बंद हो चुकी एयरलाइंस के फाउंडर बताते हुए उस व्यक्ति को फर्जी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसाने की धमकी दी और उससे 11 लाख रुपये से भी ज्यादा ठगी कर ली।

स्कैम के खिलाफ सरकार की कार्रवाई

भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) और दूरसंचार विभाग (DoT) मिलकर विदेशों से आने वाली फर्जी कॉलों को रोकने के लिए काम कर रहे हैं। ये कॉल अक्सर खुद को NCB, CBI जैसी सरकारी एजेंसियों का बताती हैं और झूठा दावा करती हैं कि वे आपको ‘डिजिटल अरेस्ट’ करने वाले हैं।

इसी के साथ, I4C ने माइक्रोसॉफ्ट के साथ मिलकर सरकारी एजेंसियों के लोगो के दुरुपयोग को रोकने के लिए भी साझेदारी की है। विदेशी जालसाज अक्सर भारतीय लोगों से पैसे ऐंठने के लिए इन लोगो का इस्तेमाल करते हैं।

I4C ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Cyberdost पर और ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि पर भी लोगों को जागरूक करने के लिए कई जानकारियां साझा की हैं। सरकार ने लोगों को सलाह दी है कि वे सावधान रहें और साइबर अपराध के बारे में दूसरों को भी बताएं।

डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें?

अगर आपको ऐसी ही कोई कॉल या मैसेज आए तो इसकी शिकायत जरूर करें। सरकार ने साइबर और ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकने के लिए संचार साथी वेबसाइट पर चाक्षु पोर्टल लॉन्च किया है। आप इस तरह की घटना की शिकायत 1930 साइबरक्राइम हेल्पलाइन पर या http://www.cybercrime.gov.in पर भी दर्ज करा सकते हैं।

First Published - May 24, 2024 | 4:01 PM IST

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