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महामारी से बचाव के लिए चिकित्सकों की सलाह, बच्चों को कोरोनारोधी टीका लगवाएं

Last Updated- April 25, 2023 | 11:33 PM IST
Pune's Genova's anti-coronavirus vaccine approved
PTI

कोविड-19 के मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ने के बीच चिकित्सकों का कहना है कि बच्चों को इस संक्रमण से बचाने के लिए एहतियात के तौर पर टीका लगाया जाना चाहिए। चिकित्सकों का कहना है कि खासकर स्कूल जाने वाले बच्चों को कोविड संक्रमण से बचाने के उपाय जरूर किए जाने चाहिए। फिलहाल यह ज्ञात नहीं है कि देश में कोविड संक्रमण के सक्रिय मामलों में कितने मामले बच्चों से जुड़े हैं मगर चिकित्सकों का कहना है कि उनके बीच (बच्चों में) संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है।

दिल्ली में रेनबो हॉस्पिटल में सहायक महानिदेशक, बाल रोग विज्ञान, डॉक्टर नितिन वर्मा कहते हैं, ‘एक महीना पहले बच्चों में कोविड संक्रमण के मामले इक्का-दुक्का ही दिख रहे थे मगर अब हरेक दिन औसतन 10 बच्चे कोविड से संक्रमित हो रहे हैं। अगर बच्चे संक्रमित हो रहे हैं तो उनके माता-पिता और घरों में बड़े-बुजुर्ग भी कोविड की चपेट में आ सकते हैं। नया स्वरूप तेजी से फैल रहा है।’

हालांकि, बच्चों में कोविड संक्रमण के ज्यादातर मामले हल्के-फुल्के हैं और वे जल्द ठीक भी हो रहे हैं मगर ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (टीएचएसटीआई) के हाल के एक सर्वेक्षण के अनुसार कोविड की तीनों लहरों में उच्च आय वाले देशों की तुलना में भारत में गंभीर रूप से संक्रमित बच्चों को अधिक तकलीफ का सामना करना पड़ा है।

अस्पताल में भर्ती 2,000 बच्चों के बीच किए गए इस सर्वेक्षण में पाया गया कि विकसित देशों की तुलना में भारत में कोविड संक्रमण से गंभीर रूप से ग्रसित बच्चों में मृत्यु दर काफी अधिक रही थी। टीएचएसटीआई फरीदाबाद में जैव-तकनीक संस्थान का विभाग है। टीएचएसटीआई के अध्ययन में कहा गया है कि सर्वेक्षण में शामिल दो-तिहाई बच्चों को पहले से भी कोई न कोई स्वास्थ्य समस्याएं थीं।

शोधकर्ताओं ने पाया कि बच्चों में मृत्यु दर 18.6 प्रतिशत थी। यह दर उच्च आय वाले देशों में अस्पतालों में कोविड संक्रमण के बाद भर्ती कराए गए बच्चों में पाई गई 1.8-2.0 प्रतिशत मृत्यु दर की तुलना में 10 गुना अधिक है। वैसे टीके लगने के बाद भी लोग कोविड संक्रमित हो रहे हैं मगर चिकित्सक इस बात से सहमत हैं कि टीके बच्चों को गंभीर रूप से बीमार पड़ने से जरूर बचाते हैं। भारत में 12 वर्ष एवं इससे अधिक उम्र के बच्चों को ही कोविड से बचाव के टीके लगाने की अनुमति है मगर अमेरिका जैसे देशों में छह महीने की उम्र से ही बच्चों को टीके लगाए जा रहे हैं।

मुंबई के मुलुंड में फोर्टिस हॉस्पिटल में वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ जेसल शेठ कहती हैं, ‘बाल रोग विशेषज्ञ होने के नाते हमारा मानना है कि अगर कोई बीमारी टीके से थम रही है तो इनका इस्तेमाल जरूर होना चाहिए। लिहाजा यह विकल्प अभिभावकों को दिया जाना चाहिए।’

शेठ ने कहा कि सरकार अभिभावकों के लिए इसे वैकल्पिक बना सकता है और बच्चों के लिए भुगतान आधारित टीकों की पेशकश कर सकती है। उन्होंने कहा, ‘बच्चे घरों में बड़े-बुजुर्ग के साथ समय बिताते हैं इसलिए उन्हें भी संक्रमण हो सकता है। आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों के बच्चों में कोविड संक्रमण फैलने का जोखिम कुछ अधिक ही है।’

चिकित्सकों का कहना है कि अगर बच्चों में सर्दी-जुकाम, खांसी, गले में खराश या कंजक्टिवाइटिस जैले लक्षण दिख रहे हैं तो अभिभावकों को उन्हें स्कूल नहीं भेजना चाहिए। कई स्कूलों ने अभिभावकों के लिए भी सलाह जारी की है और कोविड-19 का प्रसार रोकने के लिए आवश्यक सतर्कता बरत रहे हैं।

यूरोकिड्स ऐंड कंगारू किड्स के मुख्य बचाव एवं सुरक्षा अधिकारी गिरीश कुमार ने कहा, ‘हम लगातार सतर्कता बरत रहे हैं और समय-समय पर सरकार एवं स्थानीय प्रशासन की तरफ से जारी होने वाले दिशानिर्देशों का पालन करते हैं ताकि समय रहते आवश्यक कदम उठाय जा सके।’

मुंबई में एस एल रहेजा हॉस्पिटल में नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अस्मिता महाजन ने कहा कि फिलहाल बच्चों को फ्लू से बचाव का टीका लगाना जरूरी है।

उन्होंने कहा, ‘बच्चों के लिए अभी कोविड के टीके उपलब्ध नहीं हैं इसलिए अभिभावकों को अपने बच्चों को फ्लू से बचाव का टीका अवश्य लगाना चाहिए। इससे कम से कम बच्चों में तेज बुखार आने और इन्फ्लुएंजा के अन्य लक्षणों का खतरा कम हो जाएगा।’ बाल रोग विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों को कोविड से बचाव के टीके चरणबद्ध ढंग से लगाए जाएंगे।

First Published - April 25, 2023 | 11:33 PM IST

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