facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

Immigration Bill 2025: क्या बदल जाएंगे विदेशी नागरिकों के भारत आने के नियम? जानिए सरकार के नए विधेयक के बारे में

इस विधेयक में आप्रवासन संबंधी मामलों, प्रमुख रूप से इमिग्रेशन अधिकारी के कार्यों, पासपोर्ट और वीजा के साथ-साथ अन्य मामलों को शामिल किया गया है।

Last Updated- March 11, 2025 | 10:46 PM IST
lok sabha
प्रतीकात्मक तस्वीर

सरकार ने मंगलवार को आप्रवास और विदेशी विषयक विधेयक 2025 लोक सभा में पेश किया। इसका उद्देश्य विदेशी नागरिकों के देश में आने, ठहरने और वापस जाने से जुड़ी गतिविधियों को सुगम बनाना है। इस विधेयक का विरोध करते हुए विपक्ष ने कहा कि इससे संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन होता है। इसके लक्ष्यों और जरूरतों से जुड़े बयान के अनुसार  प्रस्तावित कानून समान विषय या उद्देश्य की पूर्ति में अन्य कानूनों के दोहराव को रोकेगा। इससे कानूनों के सरलीकरण में सरकार की नीति का पूरा ख्याल रखा जा सकेगा।

इस विधेयक में आप्रवासन संबंधी मामलों, प्रमुख रूप से इमिग्रेशन अधिकारी के कार्यों, पासपोर्ट और वीजा के साथ-साथ अन्य मामलों को शामिल किया गया है। यह विदेशी नागरिकों से संबंधित मामलों और उनके पंजीकरण, विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में विदेशी छात्रों के प्रवेश से जुड़े मामलों को भी हल करेगा। इसके अलावा इसमें अस्पतालों, नर्सिंग होम और अन्य चिकित्सा संस्थानों में विदेशी नागरिकों को भर्ती करने से जुड़े दायित्वों का समाधान रखा गया है। इस कानून में आवाजाही पर प्रतिबंध वाले विदेशी नागरिकों से जुड़े मामले भी शामिल हैं।

साथ ही जहां विदेशी बहुत अधिक आते-जाते हैं, वहां अधिकारियों को नियंत्रण का पूरा अधिकार दिया गया है। यही नहीं, इसमें विदेशियों को लाने-ले जाने वालों की जिम्मेदारी और दायित्व, कानून का उल्लंघन करने पर अपराध और सजा का प्रावधान है तो केंद्र सरकार को विदेशी नागरिकों को हटाने या छूट देने का आदेश जारी करने का अधिकार भी दिया गया है। साथ-साथ विदेशियों और आव्रजन से संबंधित मौजूदा चार कानूनों को निरस्त करने की शक्ति भी सरकार को दी गई है।

विदेशी नागरिकों और आप्रवासन से जुड़े मामलों को अभी विदेशी अधिनियम 1946 तथा आव्रजन (वाहक, दायित्व) अधिनियम, 2000 के तहत निपटाया जाता है। विदेशी और आव्रजन मामलों से जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम 1920 और विदेशी पंजीकरण अधिनियम 1939 जैसे कुछ अन्य कानूनों के अंतर्गत देखा जाता है।

विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम 1920, विदेशी पंजीकरण अधिनियम 1939 और विदेशी अधिनियम 1946  जैसे कानून न केवल संविधान निर्माण प्रक्रिया से भी पहले के हैं बल्कि प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के असाधारण काल में लागू किए गए थे। इसमें कहा गया है कि चूंकि इन चार कानूनों में काफी समानता है, ऐसे में कई प्रावधानों में दोहराव भी है। इसलिए इन चार कानूनों को समाप्त कर नया व्यापक प्रावधान वाला एक ही कानून बनाने की जरूरत महसूस की गई।

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने नियमों का हवाला देते हुए विधेयक को पेश किए जाने का विरोध किया। उन्होंने दावा किया कि यह विधेयक कई मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। तिवारी ने कहा कि इस विधेयक को वापस लिया जाए या फिर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा जाए। आप्रवास और विदेशी विषयक विधेयक को पेश करने वाले गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि विपक्ष की ओर से विधायी क्षमता पर सवाल उठाया गया है, लेकिन यह विधेयक सदन की क्षमता के अंतर्गत लाया गया है।

उन्होंने कहा कि यह विषय संविधान की सातवीं अनुसूची में आता है। राय ने कहा कि किसी भी विदेशी के प्रवेश या प्रस्थान का आदेश देना सरकार का संप्रभु अधिकार है। उन्होंने कहा कि चार अधिनियमों-पासपोर्ट अधिनियम 1920, विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम 1939, विदेशी अधिनियम 1946 और आप्रवास अधिनियम 2000 को निरस्त कर एक व्यापक अधिनियम बनाया जा रहा है। 

 

First Published - March 11, 2025 | 10:28 PM IST

संबंधित पोस्ट