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तीसरे कार्यकाल में मोदी ने पुराने साथियों पर जताया भरोसा, कुछ का विभाग बदला, नए सांसदों को भी मिला मौका

निर्मला (64) देश की ऐसी पहली वित्त मंत्री होंगी जो लगातार 7 आम बजट पेश करेंगी। इनमें छह पूर्ण और एक अंतरिम बजट शामिल है।

Last Updated- June 10, 2024 | 11:38 PM IST
तीसरे कार्यकाल में मोदी ने पुराने साथियों पर जताया भरोसा, कुछ का विभाग बदला, नए सांसदों को भी मिला मौका, In the third term, Modi expressed confidence in his old colleagues, some changed their departments, new MPs also got a chance

लगातार सातवां आम बजट पेश करेंगी निर्मला सीतारमण- निर्मला सीतारमण भी उन मंत्रियों में शामिल हैं, जिन्हें मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में पुन: वहीं मंत्रालय दिया गया, जो उनके पास दूसरे कार्यकाल में था। निर्मला (64) देश की ऐसी पहली वित्त मंत्री होंगी जो लगातार 7 आम बजट पेश करेंगी। इनमें छह पूर्ण और एक अंतरिम बजट शामिल है।

सीतारमण वर्ष 2006 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुई थीं। उन्हें उस समय राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया था और उसके बाद से वह लगातार प्रगति करते हुए महत्त्वपूर्ण पद तक पहुंचीं। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वर्ष 2014 में उन्हें वाणिज्य, वित्त और कॉरपोरेट मामले जैसे मंत्रालयों का राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया था। वर्ष 2017 में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाते हुए रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई।

भाजपा सरकार के दूसरे कार्यकाल में 2019 में उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया। वित्त मंत्री के तौर पर उनके नाम अर्थव्यवस्था को गति देने समेत कई उपलिब्धयां उपलब्धियां हैं। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने वालीं सीतारमण ने जी-20 परिचर्चा में देश का नेतृत्व का किया और वह क्रिप्टोकरेंसी जैसे मुद्दे को पहली बार बहस के केंद्र में लाईं। मौजूदा कार्यकाल में उनकी सबसे बड़ी चुनौती सरकारी पूंजीगत व्यय से निजी निवेश आकर्षित करना होगा।

वित्त मंत्री के तौर पर निर्मला ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर-निष्पादित संपत्तियों को मार्च 2024 में 0.76 प्रतिशत तक कम करने का श्रेय भी दिया जाता है, जो वर्ष 2015 में 3.92 प्रतिशत और वर्ष 2018 में सबसे अधिक 7.97 प्रतिशत के स्तर पर थीं। उन्होंने नियामिकीय नियमों पर कड़ी नजर रखते हुए नवोन्मेषी माहौल बनाने के लिए नई कंपनियों को खूब बढ़ावा दिया। एयर इंडिया का 2022 में निजीकरण कराना सीतारमण की खास उपलब्धियों में शामिल है।

एस जयशंकर : दूसरी बार संभाली विदेश मंत्रालय की कमान

विदेश मंत्रालय की कमान एक बार फिर दिग्गज कूटनीतिज्ञ एस जयशंकर संभाल रहे हैं। पिछले 10 वर्षों के दौरान मोदी सरकार की विदेश नीति की दशा-दिशा तय करने में जयशंकर ने अहम योगदान दिया है। जयशंकर 1977 बैच के भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) अधिकारी हैं। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में केंद्रीय मंत्रिमंडल में छह पूर्व अधिकारी शामिल किए गए थे, जिनमें जयशकंर भी एक थे। जयशंकर अमेरिका और चीन दोनों में भारत के राजदूत रह चुके हैं, इसलिए इन दोनों ही देशों की वह गहरी समझ रखते हैं।

बतौर आईएफएस अधिकार जयशंकर के कूटनीतिक करियर में उस वक्त अहम मोड़ आया जब वह वर्ष 2004 से 2007 तक अमेरिकी प्रभाग में संयुक्त सचिव का प्रभार संभाल रहे थे। उस समय उन्होंने असैन्य परमाणु संधि पर बातचीत आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जयशंकर ने अमेरिका के साथ ‘123 समझौते’ को मुकाम तक पहुंचाने में भारतीय वार्ताकारों के दल का नेतृत्व किया था। यह समझौता असैन्य परमाणु समझौते से जुड़ा था, जो 2009 में पूरा हो गया। जयशंकर 2009 से 2013 तक चीन में भारत के राजदूत रहे। चीन में इतने लंबे समय तक राजदूत रहने वाले वह पहले आईएफएस अधिकारी थे। इस दौरान भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय समझौतों में कई अहम मोड़ आए।

अमेरिका में बतौर राजदूत उन्होंने सितंबर 2014 में प्रधानमंत्री के बहुचर्चित अमेरिकी दौरे को सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचाने में केंद्रीय भूमिका निभाई। जयशंकर जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक भारत के विदेश सचिव रहे। बतौर विदेश मंत्री अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने मोदी की विदेश नीति को दिशा देने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। विदेश मंत्री के तौर पर उनके पहले कार्यकाल में दुनिया के प्रमुख देशों, खासकर अमेरिका, सहित अरब राष्ट्रों के साथ भारत के संबंध प्रगाढ़ हुए। पिछले पांच वर्षों के दौरान जयशंकर के प्रशंसक की संख्या खासी बढ़ती गई और सोशल मीडिया पर भी उनकी सराहना होने लगी।

जयप्रकाश नड्डाः फिर करेंगे जनता की सेहत की देखभाल

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष के 63 वर्षीय अनुभवी राजनेता जयप्रकाश नड्डा इस बार भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने हैं। नड्डा इससे पहले साल 2014 से 2019 तक पांच वर्षों तक इस पद पर थे। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नड्डा को रसायन एवं ऊर्वरक मंत्रालय की जिम्मेदारी भी सौंपी है, जिसमें फार्मास्यूटिकल्स विभाग आता है।

बिहार में जन्मे (हिमाचल प्रदेश के मूल निवासी) नड्डा पेशे से वकील हैं और राष्ट्रीय स्तर के तैराक रहे हैं। नड्डा को भाजपा के प्रमुख रणनीतिकारों और प्रधानमंत्री मोदी का करीबी माना जाता रहा है। वह साल 2020 से भाजपा अध्यक्ष हैं और गुजरात से राज्य सभा सांसद हैं। मोदी कैबिनेट में नड्डा की वापसी से अब उन अटकलों को बल मिल रहा है कि भाजपा जल्द नया अध्यक्ष चुन सकती है। अपने पहले कार्यकाल में स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर नड्डा ने मिशन इंद्रधनुष कार्यक्रम की शुरुआत की थी।

इसका उद्देश्य साल 2020 तक उन सभी बच्चों का टीकाकरण सुनिश्चित करना था जिनका टीकाकरण नहीं किया जा सका है अथवा जिन्हें डिप्थेरिया, काली खांसी, टेटनस, पोलियो, तपेदिक, खसरा और हेपीटाइटिस बी जैसी सात बीमारियों से बचाव वाले टीके की आंशिक खुराक दी गई है। योजना के तहत देश के उन चुनिंदा जिलों को नियमित टीकाकरण में सुधार का लक्ष्य दिया गया था जहां टीकाकरण से वंचित अथवा टीके का आंशिक खुराक लेने वाले बच्चे थे। नड्डा की राजनीतिक शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से हुई थी। बाद में वह साल 1991 में भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के अध्यक्ष बने।

कृषि में हरियाली बढ़ाने का शिवराज को मिला जिम्मा

मध्य प्रदेश के 17 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान को पहली बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था को तेज गति से बढ़ाने का श्रेय शिवराज चौहान को जाता है। उनके मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान मध्य प्रदेश ने कृषि उत्पादन में लगातार रिकॉर्ड प्रदर्शन किया। उनके मुख्यमंत्री रहते मध्य प्रदेश को लगातार सात बार कृषि कर्मण अवार्ड मिला।

चौहान को कृषि व किसान कल्याण विभाग दिया गया है। उन्हें ग्रामीण विकास जैसे महत्त्वपूर्ण विभाग की भी जिम्मेदारी दी गई है। चौहान ने राज्य की विदिशा लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रताप भानु शर्मा को 8 लाख से अधिक मतों से हराया है। चौहान मुख्यमंत्री बनने से पहले भी इस सीट से सांसद रह चुके हैं। चौहान 1990 में बुधनी विधानसभा से पहली बार विधायक चुने गए थे। अगले ही वर्ष 1991 में वह विदिशा से पहली बार सांसद भी चुने गए थे। चौहान ने पहली बार नवंबर 2005 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभाला था। उसके बाद वह क्रमश: 2008, 2013 और 2020 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।

चौहान ने पहली बार नवंबर 2005 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभाला था। उसके बाद वह क्रमश: 2008, 2013 और 2020 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। दिसंबर 2023 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में सत्ता विरोधी लहर को दरकिनार करते हुए भारतीय जनता पार्टी ने जो अभूतपूर्व जीत हासिल की थी उसका शिल्पकार चौहान को ही माना जाता है। प्रदेश की महिलाओं के लिए खासतौर पर डिजाइन की गई लाड़ली बहना योजना को उन चुनावों में गेम चेंजर माना गया था। हालिया लोक सभा चुनाव में मध्य प्रदेश में पहली बार भाजपा सभी 29 सीट जीतने में कामयाब भी रही।

सड़क निर्माण का कार्य आगे बढ़ाएंगे नितिन गडकरी

भारत के ‘हाईवेमैन’ कहे जाने वाले नितिन गडकरी मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय संभालेंगे। गडकरी एकमात्र ऐसे मंत्री है जो पिछले 10 वर्षों से अधिक समय से इस मंत्रालय का कार्यभार संभाल रहे हैं। गडकरी की पहचान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जमीनी नेता के तौर पर होती है। वह पिछले 10 वर्षों से मंत्रालय का काम शिद्दत से संभालने के साथ प्रत्येक शुक्रवार को अपने संसदीय क्षेत्र नागपुर में सामुदायिक कार्यों के लिए पहुंच जाते हैं। हाल में ही संपन्न लोकसभा चुनाव में उन्होंने नागपुर सीट पर 1.30 लाख मतों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की।

गडकरी ने अपनी राजनीतिक यात्रा शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ जुड़कर की थी। केंद्र में मंत्री बनने से पहले वह महाराष्ट्र सरकार में लोक निर्माण कार्य मंत्री थे। गडकरी 2009 से 2013 के बीच भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। भारत में एक्सप्रेसवे का तेजी से विकास और सुदूर क्षेत्रों को राष्ट्रीय राजमार्गों से जब जोड़ने की बात आती है तो सबसे पहला नाम गडकरी का ही आता है। 2021 में उनके अगुवाई में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय प्रतिदिन 40 किलोमीटर राजमार्ग तैयार करने की अभूतपूर्व गति हासिल कर ली।

लोगों का घर बनवाने और बिजली दिलाने का जिम्मा खट्टर को

सन 2002 के भूकंप के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भुज के पुनर्निर्माण की योजना के मुखिया बनाए गए मनोहर लाल खट्‌टर को अब लोगों के घर बनाने और उन्हें बिजली देने का दायित्व मिला है। दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे खट्‌टर को बिजली और आवास एवं शहरी मामलों का मंत्री बनाया गया है।

प्रधानमंत्री मोदी और खट्‌टर का साथ आरएसएस के दिनों का है। मोदी के करीब माने जाने वाले खट्‌टर को दो ऐसे मंत्रालय मिले हैं जो देश की सामाजिक-आर्थिक प्रगति को आकार देंगे। राजग सरकार के तीसरे कार्यकाल की पहली कैबिनेट बैठक में ही उनके मंत्रालय का महत्त्व स्पष्ट हो गया जब पीएम आवास योजना के तहत तीन करोड़ घर बनाने की घोषणा की गई।

सरकार ने एक वक्तव्य जारी करके कहा कि शहरी और ग्रामीण इलाकों में तीन करोड़ घरों को सहायता देने का निर्णय लिया गया है ताकि पात्र परिवारों की घर की जरूरतों का ध्यान रखा जा सके। हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल में राज्य में बिजली वितरण सुधारों को अंजाम दिया गया। ये सुधार केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा पेश किए गए थे। राज्य स्मार्ट मीटर को अपनाने वाला पहला राज्य था। हालांकि उसके वित्तीय और परिचालन मानकों में सुधार होने में करीब आठ साल का समय लगा।

तीसरे कार्यकाल में भी वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय देखेंगे पीयूष गोयल

उत्तरी मुंबई से भाजपा सांसद पीयूष गोयल को मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में भी वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है। हालांकि उनसे खाद्य प्रसंस्करण मामले और कपड़ा मंत्रालय का कार्यभार ले लिया गया है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में 59 वर्षीय गोयल ने ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा, कोयला, खनन और रेलवे जैसे अलग-अलग मंत्रालयों का जिम्मा संभाला है।

राजग सरकार के दूसरे कार्यकाल में उन्हें वाणिज्य एवं उद्योग, कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण और उपभोक्ता मामलों का मंत्री बनाया गया था। वर्ष 2014 में गोयल को मंत्रिपरिषद में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के तौर पर शामिल किया गया था, लेकिन बाद में उन्हें कैबिनेट मंत्री के पद पर प्रोन्नत किया गया। उनहोंने 2018 और 2019 में स्व. अरुण जेटली की अनुपस्थिति में कुछ समय के लिए वित्त मंत्रालय का जिम्मा भी संभाला।

मुंबई में जन्मे गोयल ने मुंबई यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। वह पेशे से चार्टर्ड अकांउटेंट हैं। उन्होंने इन्वेस्टमेंट बैंकर के तौर पर भी कार्य किया है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री के तौर पर गोयल ने चीन समर्थित क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) जैसे एशियाई व्यापार संगठन से 2019 में बाहर निकलने का कठोर फैसला लिया। इसके उन्होंने स्पष्ट कहा था कि यह संतुलित समझौता नहीं है।

राम मोहन नायडू: सबसे युवा मंत्री संभालेंगे विमान

तेलुगू देशम पार्टी के राम मोहन नायडू आंध्र प्रदेश की श्रीकाकुलम लोक सभा सीट से लगातार तीसरी बार सांसद बने हैं। उन्हें नागर विमानन मंत्री बनाया गया है। 36 वर्षीय नायडू मंत्रिमंडल के सबसे युवा मंत्री हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री के. येरन नायडू के बेटे राम मोहन नायडू ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद लॉन्ग आइलैंड विश्वविद्यालय से एमबीए किया।

आरंभ में सिंगापुर में करियर तलाशने वाले नायडू 2012 में पिता के निधन के बाद अपने गृह नगर लौट आए। उन्होंने 2014 में 26 वर्ष की उम्र में पहला लोक सभा चुनाव जीता और उस वक्त दूसरे सबसे युवा सांसद बने। 2019 में उन्हें दोबारा जीत मिली। 2024 में वह वाईएसआर कांग्रेस के तिलक पेरादा के खिलाफ 3, 27,901 मतों से जीते।

गत वर्ष जब तेलुगू देशम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू को कौशल विकास घोटाले में कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया गया था तब उनके बेटे नारा लोकेश और राम मोहन नायडू ने दिल्ली के राजनीतिक हलकों में वार्ता में अहम भूमिका निभाई थी।

पुरी फिर संभालेंगे पेट्रोलियम मंत्रालय की कमान

मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में पेट्रोलियम मंत्रालय की कमान हरदीप सिंह पुरी के हाथों में ही रहेगी। पूर्व राजनयिक रहे पुरी भू-राजनीति और वैश्विक ऊर्जा कारोबार की गहरी समझ रखते हैं। माना जा रहा है कि उनके इसी अनुभव को देखते हुए उन्हें एक बार फिर पेट्रोलियम मंत्रालय सौंपा गया है। पुरी 1974 बैच के भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) अधिकारी हैं। वह वर्ष 2009 से 2013 तक संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि रहे।

पुरी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद आतंकवाद निरोधक समिति के चेयरमैन, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के अध्यक्ष, न्यूयॉर्क में बहुपक्षवाद पर स्तवंत्र आयोग के महासचिव और अंतरराष्ट्रीय शांति संस्थान के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। पुरी नागरिक उड्डयन और आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालयों का कामकाज भी संभाल चुके हैं। इनके अलावा वह वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री के रूप में भी का कर चुके हैं।

पुरी ने अपने करियर की शुरुआत 1973 में दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज में व्याख्याता के रूप में की थी और अगले ही वर्ष वह विदेश सेवा से जुड़ गए। बतौर राजनयिक अपने करियर के दौरान पुरी ब्राजील, जापान, श्रीलंका और ब्रिटेन में काम कर चुके हैं। वर्ष 1988 से 1991 के बीच वह यूएनपीडी/यूएनसीटीएडी बहुपक्षीय व्यापर वार्ता परियोजना के संयोजक थे और इस पद पर रहते हुए उन्होंने उरुग्वे में बहुपक्षीय व्यापार वार्ताओं में विकासशील देशों को सही रणनीति एवं रुख तय करने में मदद की।

सिंधिया को मिली संचार और आईटी की जिम्मेदारी

मध्य प्रदेश की गुना से कांग्रेस प्रत्याशी यादवेंद्र सिंह यादव को करीब 5.40 लाख मतों से पराजित करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार में इस बार संचार मंत्रालय सौंपा गया है। पिछली सरकार में उन्हें नागरिक विमानन मंत्री बनाया गया था।

वर्ष 2001 में पिता माधवराव सिंधिया के निधन के बाद राजनीति में आने वाले सिंधिया ने अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई करने के बाद स्टैनफर्ड विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री हासिल की।

कुमारस्वामी के समक्ष चीन से आयात समेत कई चुनौतियां

जेडीएस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के पुत्र एच डी कुमारस्वामी को नरेन्द्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में इस्पात मंत्री बनाया गया है। कुमारस्वामी, ज्योतिरादित्य सिंधिया का स्थान लेंगे, जिन्हें नई सरकार में संचार मंत्रालय और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय दिया गया है।

कुमारस्वामी ने ऐसे समय में मंत्रालय का कार्यभार संभाला है, जब घरेलू उद्योग चीन जैसे देशों से बढ़ते इस्पात आयात और कच्चे माल की कीमतों में उछाल जैसे मुद्दों का सामना कर रहा है।

जेडीएस नेता को भारी उद्योग मंत्री का प्रभार भी दिया गया है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने रविवार को मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली थी।

First Published - June 10, 2024 | 11:38 PM IST

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