facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

India-Canada Relations- भारत-कनाडा कूटनीतिक तनाव के बावजूद व्यापार और निवेश पर कोई असर नहीं: विशेषज्ञ

India-Canada trade relations: भारत के कुल व्यापार में 1 प्रतिशत से भी कम हिस्सेदारी की वजह से कनाडा भारत का 33वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।

Last Updated- October 15, 2024 | 11:06 PM IST
Trudeau condemns attack on Canada temple; High Commission issues statement ट्रूडो ने कनाडा के मंदिर पर हमले की निंदा की; उच्चायोग ने जारी किया बयान

भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक स्तर का तनाव, नाटकीय तरीके से बढ़ा जरूर है लेकिन इसके कारण दोनों देशों के व्यापार और निवेश संबंधों पर कोई असर पड़ने की संभावना नहीं है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा।

उन्होंने कहा, ‘अभी तक स्थिति चिंताजनक नहीं है। द्विपक्षीय व्यापार इतना बड़ा नहीं है कि भारत के समग्र व्यापार पर भारी असर पड़े। कनाडा का पेंशन फंड भारत में निवेश करना जारी रखेगा भले ही उसे सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जैसे देशों के माध्यम से निवेश करना पड़े।’

भारत के कुल व्यापार में 1 प्रतिशत से भी कम हिस्सेदारी की वजह से कनाडा भारत का 33वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और वित्त वर्ष के पहले सात महीने के दौरान (अप्रैल-अक्टूबर) कुल व्यापार 2.68 अरब डॉलर रहा। हालांकि ताजा विवाद की आंच कनाडा से आयात होने वाली मटर (पीली मटर) और मसूर (दाल) पर भी पड़ सकती है जो भारत में इस्तेमाल होने वाली दो मुख्य दालों का एक प्रमुख स्रोत है।

भारत पिछले कुछ वर्षों से कनाडा से इतर अन्य जगहों से मटर और मसूर की खरीद के विकल्प तलाश रहा है। रूस के साथ अनुकूल मुद्रा व्यापार और कनाडा के साथ कूटनीतिक तनाव इसकी प्रमुख वजह बताई जा रही है।

वित्त वर्ष 2024 में भारत ने रिकॉर्ड स्तर पर करीब 16.7 लाख टन मसूर का आयात किया जिसमें कनाडा ने करीब 46 प्रतिशत और ऑस्ट्रेलिया ने करीब 49 फीसदी का योगदान दिया। इसी तरह मटर (पीली मटर) के मामले में भारत ने वित्त वर्ष 2024 में करीब 11.6 लाख टन का आयात किया था जिसमें से कनाडा का करीब 52 फीसदी जबकि रूस का करीब 30 प्रतिशत अंशदान रहा।

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत और कनाडा के बीच में व्यापार समझौते की संभावना तब तक ठंडे बस्ते में रहेगी जब तक जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में है। काउंसिल फॉर सोशल डेवलपमेंट के विशिष्ट प्रोफेसर विश्वजित धर कहते हैं कि कनाडा भारत का बड़ा व्यापारिक साझेदार नहीं है और भारत के कुल व्यापार में इसकी हिस्सेदारी कम है। हालांकि आगे बाजार में अपना पैर जमाने की संभावना लगभग खत्म हो गई है।

उनका कहना है, ‘इस वक्त हम जो बढ़ते तनाव को देख रहे हैं इसका असर मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की वार्ता फिर से शुरू करने पर पड़ेगा क्योंकि अब कूटनीतिक स्तर पर तनाव देखा जा रहा है। कम से कम तब तक एफटीए बातचीत अब ठंडे बस्ते में रहेगी जब तक कि ट्रूडो सरकार सत्ता में है।’

वित्त वर्ष 2024 के दौरान भारत का कनाडा में किया जाने वाला निर्यात लगभग 3.84 अरब डॉलर रहा जो वित्त वर्ष 2023 में 4.11 अरब डॉलर था। भारत से निर्यात होने वाली प्रमुख वस्तुओं में दवाएं, परिधान, हीरे, रसायन, रत्न एवं आभूषण, समुद्री खाद्य पदार्थ, इंजीनियरिंग वस्तुएं, चावल, इलेक्ट्रिक उपकरण आदि शामिल हैं। वित्त वर्ष 2024 में कनाडा से होने वाला आयात 4.55 अरब डॉलर रहा जो एक वर्ष पहले 4 अरब डॉलर था। भारत की कनाडा पर आयात निर्भरता मुख्यतौर पर दालों, कच्चे तेल, उर्वरक, एयरक्राफ्ट, विमानन उपकरण, हीरे, बिटुमिंस कोयला के कारण है।

दिल्ली के थिंक टैंक, ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) का कहना है कि राजनीतिक तनाव के बावजूद दोनों देशों के बीच होने वाले व्यापार पर इसका प्रभाव न्यूनतम है। जीटीआरआई ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘इसकी वजह यह है कि व्यापार निजी क्षेत्र के स्तर पर होता है और भारत या कनाडा किसी ने भी ऐसे नियमन लागू नहीं किए हैं जिससे वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान पर कोई प्रतिबंध हो। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो कूटनीतिक संबंधों में भले ही खटास दिख रही है लेकिन दोनों देशों का कारोबार फल-फूल रहा है और फिलहाल राजनीतिक तनाव से इनका कोई वास्ता नहीं है।’

First Published - October 15, 2024 | 11:06 PM IST

संबंधित पोस्ट