India Inc’s wellness mantra: पिछले कुछ साल से यह चर्चा जोरों पर है कि सेहत के लिए कितना काम ठीक है और कितना काम करना जरूरी है। क्या हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए या चार दिन काम करना ज्यादा कारगर होता है? क्या हमें काम में ही रम जाना चाहिए या काम तथा जिंदगी के बीच संतुलन रखना चाहिए?
इन सवालों का कोई एक सटीक जवाब तो नहीं है मगर ज्यादातर लोग यही मानते हैं कि काम और तंदुरुस्ती पर एक साथ जोर देना चाहिए। जीरोधा के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) नितिन कामत को दिल का दौरा पड़ने की खबर बताती है कि यह वाकई कितना जरूरी है। कंपनी जगत के अगुआ कहते हैं कि उनके काम में तनाव होना तो लाजिमी है मगर इससे निपटने के सबके अपने-अपने तरीके हैं।
टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ टीवी नरेंद्रन कहते हैं, ‘मैं परिवार, संगीत, किताबों और शारीरिक गतिविधियों के जरिये तंदुरुस्त रहता हूं।’ नरेंद्रन जब विमान में नहीं होते तो सुबह करीब एक घंटे सैर करते हैं या दौड़ते हैं। शनिवार-रविवार को या सफर के दौरान वह किताबें पढ़ते हैं। नरेंद्रन बताते हैं कि वह घर पर हों या दौड़-टहल रहे हों, अमूमन हर वक्त संगीत सुनते हैं। उनका पसंदीदा रॉक, जैज और ब्लूज है। वह ड्रम भी बजाते हैं और हफ्ते के आखिर में जमशेदपुर में हुए तो उन्हें इसके लिए वक्त मिल ही जाता है।
जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक एवं सीईओ जयंत आचार्य भी तनाव दूर करने के लिए संगीत सुनते हैं। इसके अलावा वह योग, सैर और थिएटर से भी सुकून पाते हैं। वह बताते हैं, ‘आम तौर पर मैं एक सुबह योग तो दूसरी सुबह सैर करता हूं। रविवार को लोग अमूमन दौड़भाग नहीं करते मगर मैं उस दिन भी सैर करता हूं।’ वह नाटक देखने या संगीत के कार्यक्रम में जाने का मौका भी नहीं छोड़ते। हफ्ते के आखिर में वह कम से कम दो-तिहाई समय खाली रखते हैं।
पीवीआर आइनॉक्स के प्रबंध निदेशक अजय बिजली बताते हैं तंदुरुस्ती और सेहत पर उनका इतना जोर इसलिए है क्योंकि स्कूल (मॉडर्न स्कूल, नई दिल्ली) में वे ऐसे ही बड़े हुए। वह बताते हैं कि स्कूल में हरेक दिन कला, संगीत या मिट्टी के बर्तन बनाने जैसे काम करने होते थे। इसीलिए जिंदगी को केवल काम में खपा देने की उनकी आदत कभी नहीं रही।
बिजली रोजाना सुबह 5 या 6 बजे उठते हैं और हिंदी या अंग्रेजी गायन का रियाज करते हैं। उनका कहना है कि इसके जरिये वह खुद को वैसा ही शांत तथा एकाग्र पाते हैं, जैसे ध्यान करने के बाद। अब बिजली कुछ खेलते तो नहीं हैं मगर रोजाना एक घंटा जिम में जरूर बिताते हैं।
बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक और सीईओ तपन सिंघल के लिए मुस्कराहट में सबसे ज्यादा ताकत होती है। उनका कहना है, ‘मैं खूब मुस्कराने की कोशिश करता हूं, बेवजह भी मुस्काता हूं। इससे आपका दिल खुश हो जाता है और आपके आसपास के लोग भी खुश हो जाते हैं।’
वह योग और ध्यान भी करते हैं तथा पढ़ने एवं आध्यात्मिक दर्शन को समझने में भी वक्त बिताते हैं। मगर उनके लिए सबसे बढ़कर परिवार के साथ समय बिताना है। उनका कहना है कि तनाव तब होता है, जब बहुत काम बाकी रह जाते हैं और पता ही नहीं होता कि करना क्या है। इसीलिए वह किसी भी दिन का काम उसी दिन निपटाते हैं और आगे के लिए नहीं टालते। फिर भी तनाव होने लगे तो वह आंखें मूंदकर लंबी सांसे लेते हैं। इससे तनाव काफी हद तक कम हो जाता है।
फेडरल एजिस लाइफ इंश्योरेंस के एमडी एवं सीईओ विज्ञेश शहाणे का कहना है कि सीईओ होने का तनाव उन्हें नहीं होता। वह कहते हैं, ‘मेरे पास 10-12 ईमानदार और मेहनती लोग हैं, जो ज्यादातर काम कर देते हैं। इससे पहले जब मैं सीईओ के मातहत था तो सफर और तरह-तरह के दबाव के कारण मेरी जिंदगी में बहुत तनाव था।’
शहाणे के हिसाब से कामकाज और जिंदगी में संतुलन जैसा कुछ नहीं होता। वह कहते हैं, ‘कामकाज और जिंदगी का तालमेल होता है। मैं अपने कुछ काम दफ्तर में कर लेता हूं और दफ्तर का काम घर पर भी करता हूं। मैं दोनों को अलग रखने में यकीन नहीं करता। मगर मैं अपने खानपान का बहुत ध्यान रखता हूं। मैंने धूम्रपान तो बिल्कुल छोड़ दिया है।’
मणिपाल हॉस्पिटल्स के एमडी एवं सीईओ दिलीप जोस बताते हैं, ‘पिछले तमाम सालों में मैंने अपने लिए काम का एक ढर्रा तय कर लिया है। दफ्तर के लिए जल्दी निकलना और वहां से जल्दी वापस आना भी इसमें शामिल है।’ वह शाम को एक घंटे टहलते हैं, जिससे तनाव भी खत्म हो जाता है और व्यायाम भी हो जाता है। इसके बाद वह चिट्ठी-पत्री देखते हैं।
एडटेक अपग्रेड के सह-संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक मयंक कुमार उस उद्योग से हैं, जिसमें काफी उतार-चढ़ाव दिखा है। उनका कहना है, ‘मुझे समझ आ गया है कि मेरी सेहत और तंदुरुस्ती मेरी ही जिम्मेदारी है।’ मौसम कैसा भी हो, वह रोजाना सुबह दौड़ते जरूर हैं। अब उनकी पत्नी और बेटा भी उनके साथ दौड़ते हैं, जिससे परिवार एक साथ ज्यादा समय बिता लेता है।
कोरोमंडल इंटरनैशनल के कार्यकारी वाइस चेयरमैन और मुरुगप्पा परिवार के सदस्य अरुण अलगप्पन का तनाव घोड़ों की सोहबत में दूर होता है। उन्हें प्रकृति और घोड़ों से बहुत प्यार है। वह कहते हैं, ‘मैं योग नहीं करता, लेकिन सोच साफ रखने की कोशिश करता हूं। मुझे घोड़ों के साथ समय बिताना अच्छा लगता है और मैंने उसके लिए इंतजाम भी कर रखा है।’
(दिल्ली से वीनू संधू, मुंबई से मनोजित साहा तथा सोहिनी दास, बेंगलूरु से पीरजादा अबरार, कोलकाता से ईशिता आयान दत्त और चेन्नई से शाइन जैकब)