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India Pakistan Ceasefire: क्या होता है सीजफायर और कैसे करता है काम? विस्तार से समझिए

बीते कई दिनों से चल रही तनातनी के बीच भारत और पाकिस्तान ने सीजफायर की घोषणा की है। भारत के विदेश सचिव ने कहा कि सीजफायर 10 मई शाम 5 बजे से ही सक्रिय है।

Last Updated- May 10, 2025 | 7:31 PM IST
Ceasefire
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ | फाइल फोटो

India Pakistan Tensions: भारत और पाकिस्तान ने सीजफायर का ऐलान कर दिया है। बीते कई दिनों से दोनों देशों के बीच भयंकर तनाव चल रहा है। यह तनाव 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से शुरू हुआ, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की मौत हो गई थी। आज भारत के विदेश सचिव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सूचना दी कि दोनों देश अब एक दूसरे पर किसी भी प्रकार का हमला नहीं करेंगे। साथ ही दोनों देशों के DGMO 12 मई को एक बैठक करेंगे, जिसमें आगे की चर्चा की जाएगी।

लेकिन सीजफायर का मतलब क्या है? सीजफायर का सीधा-सा मतलब है कि दो देश या समूह, जो एक-दूसरे से लड़ रहे हैं, वो अपनी बंदूकें, मिसाइलें, ड्रोन, या कोई भी हथियार से एक दूसरे पर अब हमला नहीं करेंगे। ये एक तरह का समझौता होता है, जिसमें दोनों पक्ष कहते हैं, “बस, अब और नहीं लड़ेंगे।” लेकिन ये जरूरी नहीं कि ये हमेशा के लिए हो। कभी-कभी ये कुछ घंटों, दिनों या हफ्तों के लिए होता है, और कभी-कभी लंबे समय तक चलता है।

भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर 10 मई शाम 5 बजे से लागू हुआ, और दोनों देशों ने जमीन, हवा, और समुद्र में हर तरह की सैन्य कार्रवाई रोक दी। इसका मतलब ये कि न तो भारत की सेना और न ही पाकिस्तान की सेना अब गोलीबारी, बमबारी, या ड्रोन हमले करेगी।

भारत-पाकिस्तान में सीजफायर की जरूरत क्यों पड़ी?

भारत और पाकिस्तान का रिश्ता हमेशा से तनाव भरा रहा है। दोनों देशों के बीच कश्मीर को लेकर सालों से झगड़ा है। 1947 में जब भारत और पाकिस्तान बंटे, तब से कश्मीर को लेकर कई बार जंग हो चुकी है।

पहलगाम आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था। भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को खत्म करने के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। इसके बाद दोनों देशों ने ड्रोन और छोटे मिसाइलों से एक-दूसरे पर हमले शुरू कर दिए। दोनों देशों ने एक दूसरे के कई सैन्य ठिकानों पर भी हमले करने की कोशिश की, जिससे हालात और बिगड़ गए।

इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दावा किया कि लंबी बातचीत के बाद दोनों देश सीजफायर के लिए राजी हो गए। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भी इसकी पुष्टि की।

Also Read: ‘भारत और पाकिस्तान सीजफायर के लिए तैयार’, ट्रंप का दावा- लंबी बातचीत के बाद लिया फैसला

सीजफायर कैसे काम करता है?

सीजफायर कोई जादू की छड़ी नहीं है, जो एक बार में सारी दुश्मनी खत्म कर दे। ये एक तरह का वादा होता है, जिसे दोनों देशों की सेनाएं मानती हैं। लेकिन इसे लागू करने के लिए बहुत सारी बातचीत और निगरानी की जरूरत होती है।

उदाहरण के लिए, 10 मई 2025 के सीजफायर में, दोनों देशों के DGMO ने बात की। दोनों पक्षों ने अपनी सेनाओं को साफ-साफ निर्देश दिए कि वो कोई भी गोलीबारी या हमला न करें।

इसके बाद पाकिस्तान ने अपनी हवाई सीमा को भी फिर से खोल दिया, जो उसने हमलों के दौरान बंद कर दी थी। बीबीसी की एक रिपोर्ट में बताया गया कि पाकिस्तान एयरपोर्ट अथॉरिटी ने कहा कि अब सभी तरह की उड़ानें सामान्य रूप से शुरू हो सकती हैं। ये एक संकेत था कि दोनों देश तनाव कम करने की कोशिश कर रहे हैं।

सीजफायर के फायदे और चुनौतियां

सीजफायर का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इससे जान-माल का नुकसान रुकता है। जब गोलीबारी और बमबारी बंद होती है, तो आम लोग, जो सीमा के पास रहते हैं, राहत की सांस लेते हैं।

लेकिन सीजफायर की राह में कई चुनौतियां भी हैं। पहली बात, दोनों देशों को एक-दूसरे पर भरोसा करना पड़ता है, जो भारत-पाकिस्तान जैसे रिश्ते में मुश्किल है। दूसरी बात, सीजफायर अक्सर टूट जाता है। 2021 में भी भारत और पाकिस्तान ने एक सीजफायर किया था, जो काफी समय तक चला, लेकिन छोटी-मोटी घटनाओं की वजह से कई बार तनाव फिर से बढ़ गया।

तीसरी चुनौती है आतंकवाद। भारत का मानना है कि पाकिस्तान आतंकी समूहों को बढ़ावा देता है, जो कश्मीर में हमले करते हैं। सीजफायर के बावजूद, अगर कोई आतंकी हमला होता है, तो ये समझौता टूट सकता है। बीबीसी ने बताया कि भारत ने साफ कहा है कि वो आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख रखेगा, भले ही सीजफायर हो।

सीजफायर का इतिहास

भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कोई नई बात नहीं है। 1949 में कराची समझौते के तहत पहली बार सीजफायर लाइन बनाई गई थी। फिर 1972 में शिमला समझौते के बाद इसे लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) का नाम दिया गया। 2003 में भी दोनों देशों ने एक बड़ा सीजफायर समझौता किया था, जिसने कई सालों तक सीमा पर शांति रखी। लेकिन इसके बाद भी कई बार सीजफायर टूटा, खासकर जब आतंकी हमले या घुसपैठ की घटनाएं हुईं।

2021 का सीजफायर भी काफी सफल रहा था, लेकिन 2025 में पहलगाम हमले के बाद हालात फिर बिगड़ गए। हर बार सीजफायर की कोशिश होती है, लेकिन इसे लंबे समय तक चलाना दोनों देशों के लिए चुनौती होता है।

Also Read: भारत-पाकिस्तान सीजफायर को तैयार, विदेश सचिव विक्रम मिस्री बोले- अब जमीनी और हवाई हमले नहीं करेंगे

सीजफायर में तीसरे देश की भूमिका

अक्सर सीजफायर में कोई तीसरा देश या संगठन बीच-बचाव करता है। इस बार अमेरिका ने ये भूमिका निभाई। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और उप-राष्ट्रपति जेडी वैंस ने बताया कि उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से बात की। अमेरिका ने दोनों देशों को शांति का रास्ता चुनने के लिए तारीफ भी की।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा कि 36 देशों ने इस सीजफायर के लिए बातचीत में हिस्सा लिया। इससे पता चलता है कि जब दो देशों के बीच तनाव बढ़ता है, तो पूरी दुनिया की नजर उस पर होती है, क्योंकि भारत और पाकिस्तान दोनों के पास परमाणु हथियार हैं।

अब आगे क्या?

सीजफायर के बाद अब दोनों देशों के सामने सवाल है कि इसे कैसे बनाए रखा जाए। भारत ने साफ कहा है कि वो आतंकवाद के खिलाफ कोई ढील नहीं देगा। पाकिस्तान भी अपनी संप्रभुता की बात करता है। दोनों देशों के DGMO की 12 मई को होने वाली बातचीत से ये साफ होगा कि सीजफायर कितना मजबूत है।

First Published - May 10, 2025 | 7:31 PM IST

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