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‘द्विपक्षीय समझौते से रुका सीमा पर संघर्ष’, बोले विदेश सचिव- इसमें अमेरिका का कोई हस्तक्षेप नहीं

चार दिन चले संघर्ष को 10 मई को जमीन, हवा और समुद्र सभी स्तर पर रोकने के लिए द्विपक्षीय समझौता हुआ था। इसमें अमेरिका का कोई हस्तक्षेप नहीं था।

Last Updated- May 19, 2025 | 11:03 PM IST
vikram misri
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री | फाइल फोटो

पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के तहत सैन्य कार्रवाई को दोनों देशों के बीच आपसी बातचीत के बाद रोका गया। चार दिन चले संघर्ष को 10 मई को जमीन, हवा और समुद्र सभी स्तर पर रोकने के लिए द्विपक्षीय समझौता हुआ था। इसमें अमेरिका का कोई हस्तक्षेप नहीं था। यह जानकारी सोमवार को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति को दी। बैठक में मौजूद सूत्रों के अनुसार मिस्री ने समिति को यह भी बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच 7 मई सुबह से 10 मई शाम 5 बजे तक चला सैन्य संघर्ष पारंपरिक हथियारों के दायरे में ही रहा। इसमें पड़ोसी देश द्वारा किसी तरह के परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का संकेत नहीं दिया गया था।

कांग्रेस के लोक सभा सदस्य शशि थरूर के नेतृत्व वाली 31 सदस्यीय संसदीय समिति ने सर्वसम्मति से सैन्य कार्रवाई रोके जाने के बाद मिस्री और उनके परिवार के सदस्यों को सोशल मीडिया पर ट्रोल किए जाने की कड़ी निंदा की और विदेश सचिव के पेशेवर आचरण की प्रशंसा भी की। यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तान ने संघर्ष में चीनी प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया, विदेश सचिव ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि भारतीय प्रतिक्रिया सटीक और बेहद प्रभावी थी, जिसने पाकिस्तानी एयरबेस को तहस-नहस कर दिया।

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के सोशल मीडिया पोस्ट में मध्यस्थता कर दोनों देशों के बीच संघर्ष रुकवाने के दावे के बारे में एक विपक्षी सांसद द्वारा पूछे गए सवाल पर विदेश सचिव ने चुटकी लेते हुए कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने ऐसा करने के लिए उनकी अनुमति नहीं ली। तुर्किये के पाकिस्तान को समर्थन पर मिस्री ने स्पष्ट कहा कि तुर्किये पारंपरिक रूप से भारत का समर्थक नहीं रहा है। लोक सभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पिछले दो दिनों में विदेश मंत्री एस जयशंकर की आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि भारत ने आतंकवादी ढांचों को निशाना बनाने के अपने इरादे के बारे में पाकिस्तान को सूचित किया था। हालांकि, संसदीय समिति की बैठक में मिस्री ने इस तरह की अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू करने से पहले पाकिस्तान को सूचित नहीं किया था। विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने भी गांधी के बयान को तथ्यों से परे बताया है।

अन्य विपक्षी सांसदों ने पूछा कि क्या 22 अप्रैल को पहलगाम हमले में शामिल आतंकवादियों के ठिकाने के बारे में भारतीय एजेंसियों को पता है, और उन्हें पकड़ने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं। सदस्यों ने यह भी पूछा कि वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट में वापस डलवाने जैसे क्या प्रयास किए गए है। यह भी पूछा गया कि क्या आतंक का शिकार भारत अब पाकिस्तान के साथ दोबारा जुड़ गया है।

संसदीय समिति की बैठक में थरूर के अलावा तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस के राजीव शुक्ला और दीपेंद्र हुड्डा, भाजपा की अपराजिता सारंगी और अरुण गोविल ने भी भाग लिया। थरूर, ओवैसी और सारंगी जैसे समिति के कुछ सदस्य उन सात प्रतिनिधिमंडलों का भी हिस्सा हैं, जिन्हें भारत ने अपने राजनयिक पहुंच के हिस्से के रूप में 32 देशों और यूरोपीय संघ में भेजने की योजना बनाई है। जहां ये नेता पाकिस्तान के खिलाफ भारत की सैन्य कार्रवाई के औचित्य को सामने रखेंगे और आतंक को पनाह देने के मामले में पड़ोसी देश का असली चेहरा उजागर करेंगे।

इस प्रतिनिधिमंडल में नेताओं के चयन को लेकर कांग्रेस की ओर से एतराज जताने के बाद उठे विवाद के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने सोमवार को कोलकाता में कहा कि उनकी पार्टी केंद्र के बहुदलीय राजनयिक मिशन का बहिष्कार नहीं कर रही है। वह केंद्र से औपचारिक अनुरोध प्राप्त होने के बाद अपने प्रतिनिधि भेजेगी। तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो बनर्जी ने यह भी जोर दिया कि केंद्र सरकार को प्रतिनिधिमंडलों के लिए पार्टी के किसी नेता के चयन पर फैसला अपने स्तर पर नहीं लेना चाहिए। उनका बयान तृणमूल सांसद यूसुफ पठान को बहुदलीय राजनयिक प्रतिनिधिमंडल से बाहर निकलने के लिए मजबूर किए जाने के बाद उठे विवाद के बाद आया है।

इसी मामले से जुड़े एक अन्य घटनाक्रम में उच्चतम न्यायालय सोमवार को अशोका यूनिवर्सिटी के फैकल्टी अली खान महमूदबाद की ऑपरेशन सिंदूर पर लिखी पोस्ट के लिए गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह के पीठ ने एसोसिएट प्रोफेसर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की दलीलें सुनीं और कहा कि याचिका मंगलवार या बुधवार को सुनवाई के लिए आएगी।

First Published - May 19, 2025 | 10:24 PM IST

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