भारतीयों में विदेश जाकर सैर-सपाटे का बढ़ता शौक देश को विदेश यात्रा के मामले में बड़ा बाजार बनाने जा रहा है। इस मामले में भारत 2027 तक पांचवां सबसे बड़ा बाजार बन जाएगा और यहां के लोग विदेश में 89 अरब डॉलर खर्च करेंगे। अभी भारत इस मामले में दसवां सबसे बड़ा बाजार है और 2019 में भारतीयों ने विदेश में 38 अरब डॉलर खर्च किए थे।
अगले कुछ साल में पर्यटन के बड़े बाजार खंगाल रही बर्नस्टीन की एक रिपोर्ट में यह अनुमान जाहिर किया गया है। रिपोर्ट कहती है कि विदेशी सैलानियों की आमद के मामले में भारत 2027 तक तीसरा सबसे बड़ा बाजार बन जाएगा, जहां पर्यटक 174 अरब डॉलर खर्च करेंगे। 2019 में 127 अरब डॉलर खर्च के साथ भारत पांचवां सबसे बड़ा बाजार था। इस लिहाज से वह अमेरिका और चीन से ही पीछे है तथा ब्राजील, इटली, ऑस्ट्रेलिया, जापान, जर्मनी, फ्रांस एवं मैक्सिको से काफी आगे है।
यहां से विदेश जाने वालों की बात करें तो भारत केवल अमेरिका, चीन, जर्मनी और ब्रिटेन से पीछे होगा मगर इटली, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और फ्रांस जैसे देशों से आगे होगा।
मगर मायूसी की बात यह है कि भारत में आने वाले पर्यटकों का बाजार 2019 से 76 फीसदी वृद्धि के बावजूद 2027 तक 60 अरब डॉलर पर ही पहुंचेगा और शीर्ष 10 बाजारों में शामिल नहीं हो पाएगा। इसका कारण बताते हुए रिपोर्ट कहती है कि भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है, जहां 80 फीसदी लोग 60 साल से कम उम्र के हैं। एक तिहाई आबादी की बढ़ती दौलत शताब्दी के मध्य तक उसे मझोली से अधिक आय वर्ग में पहुंचा देगी। अमेरिका की ही तरह भारत में भी पर्यटकों को उम्दा यात्रा अनुभव प्रदान करने के लिए रेगिस्तान, जंगल और पहाड़ से लेकर समुद्र तट, ऐतिहासिक शहर और धरोहर स्थल तक मौजूद हैं।
विदेश यात्रा में जबरदस्त वृद्धि के कारण यात्रियों द्वारा विभिन्न श्रेणियों में किए जाने वाले खर्च की हिस्सेदारी में नाटकीय बदलाव आए हैं। कुल पर्यटन में विदेश यात्रा की हिस्सेदारी 2019 में 17 फीसदी थी, जो 2022 में 32 फीसदी पर पहुंच गई। पहले लोग देश में पर्यटन पर 67 फीसदी खर्च कर रहे थे, लेकिन अब यात्रा पर कुल खर्च का 58 फीसदी ही देश में खर्च होता है। भारत आने वाले पर्यटकों की खर्च में हिस्सेदारी भी 16 फीसदी से घटकर 9 फीसदी रह गई।
विदेश यात्रा करने वाले भारतीय पहले से ज्यादा खर्च कर रहे हैं। रुपये में विदेश यात्रा पर भारत का खर्च 17 फीसदी वार्षिक चक्रवृद्धि दर से बढ़ रहा है जबकि चीन में वृद्धि का आंकड़ा 15.9 फीसदी ही है।
विदेश जाने वाले यात्रियों में से करीब 75 फीसदी छुट्टियां बिताने अथवा विदेश में बसे अपने रिश्तेदारों या दोस्तों से मिलने जाते हैं। उनका बरताव दूसरे देशों के पयर्टकों से काफी अलग होता है।
उदाहरण के लिए बर्नस्टीन की रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकतर यात्रा (करीब 65 फीसदी) एक या दो हफ्ते की होती हैं। करीब 20 फीसदी यात्राएं एक महीने के लिए होती हैं।
बहरहाल भारत के लोग अधिकतर विदेश के नाम पर एशियाई देशों में ही जाते हैं। एशिया में वे पश्चिम एशिया से लेकर दक्षिण-पूर्व एशिया तक के देश जाते हैं। महज 9.6 फीसदी पर्यटक उत्तर अमेरिका और 8.5 फीसदी पश्चिम यूरोप जाते हैं।
देश के भीतर यात्रा एवं पर्यटन करने वाले 65 फीसदी लोग तो पांच राज्यों में ही जाते हैं, जिनमें तमिलनाडु सबसे ऊपर है। उसके बाद उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र आते हैं। विदेशी पर्यटकों में 57.1 फीसदी छुट्टियां बिताने भारत आते हैं और इनमें 25 से 54 वर्ष उम्र के पर्यटकों की हिस्सेदारी 60 फीसदी है।