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देश भर में मिठास घोल रहा है उत्तर प्रदेश का गुड़, 10 हजार करोड़ का कारोबार और रोजगार में आया बूम!

गुड़ बनता तो आज भी पुराने तरीके से ही है मगर उसकी पैकिंग, गुणवत्ता और खरीद-बिक्री के नए तरीकों ने उसे भी हाईटेक बना दिया है।

Last Updated- January 05, 2025 | 10:12 PM IST
Uttar Pradesh's jaggery is adding sweetness across the country, business worth Rs 10 thousand crores and boom in employment! देश भर में मिठास घोल रहा है उत्तर प्रदेश का गुड़, 10 हजार करोड़ रुपये का कारोबार और रोजगार में आया बूम!

एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में शामिल किए जाने और तमाम सहूलियतें देने के बाद उत्तर प्रदेश का गुड़ देश-विदेश में जमकर मिठास घोल रहा है। इस बार के सीजन में प्रदेश के विभिन्न जिलों से बने 100 से ज्यादा किस्मों के गुड़ बाजार में मिल रहे हैं। गुड़ बनता तो आज भी पुराने तरीके से ही है मगर उसकी पैकिंग, गुणवत्ता और खरीद-बिक्री के नए तरीकों ने उसे भी हाईटेक बना दिया है।

प्रदेश में गुड़ का कारोबार कितना बढ़ रहा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले चार सीजन में इसका सालाना कारोबार करीब दोगुना हो गया है। इस सीजन में प्रदेश में इसका कारोबार 10,000 करोड़ रुपये के पार जाने की उम्मीद है। मुजफ्फरनगर की मंडी देश में गुड़ की सबसे बड़ी मंडी है। मंडी समिति के अधिकारियों के मुताबिक सालाना 4,500 करोड़ रुपये का कारोबार तो वहीं से हो रहा है।

अधिकारियों का कहना है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर, हापुड़, शामली, बागपत, मेरठ और अवध के सीतापुर, लखीमपुर, शाहजहांपुर, बरेली तो दशकों से गुड़ बनाते आए हैं मगर अब प्रदेश के कई दूसरे जिलों में भी इसका उत्पादन बड़े पैमाने पर होने लगा है।

अयोध्या, सुल्तानपुर, गोंडा, बस्ती, अंबेडकरनगर और हरदोई जैसे जिलों में खूब कोल्हू चल रहे हैं और अयोध्या के गुड़ को तो योगी आदित्यनाथ सरकार ने ओडीओपी में भी शामिल किया है। इसी वजह से गुड़ उद्योग खूब रोजगार भी दे रहा है। अनुमान है कि इससे प्रदेश के तकरीबन 2.5 लाख लोगों को रोजगार मिलता है। इनमें खरीद-बिक्री करने वाले शामिल नहीं हैं।

गुड़ एवं खांडसारी मर्चेंट एसोसिएशन के महासचिव अनिल मिश्रा का कहना है कि पिछले दो साल में गुड़ की कीमतों में ज्यादा इजाफा नहीं हुआ है मगर मांग तेजी से बढ़ी है। इस सीजन में अच्छी क्वालिटी का नया गुड़ 40 से 45 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है और सामान्य क्वालिटी का गुड़ 30 रुपये किलो भी मिल रहा है। उन्होंने कहा कि कारोबारी गुड़ में कई तरह के प्रयोग कर रहे हैं और उन्हें काफी आकर्षक पैकिंग में बाजार में उतारा जा रहा है।

उत्तर प्रदेश मे खांडसारी नीति में गुड़ निर्माण को प्रोत्साहन दिया गया है। नई नीति के तहत खांडसारी इकाइयों को 100 घंटे के भीतर लाइसेंस देने की व्यवस्था की गई है। अयोध्या, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और मेरठ में गुड़ उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ बाजार दिलाने की कोशिश भी की गई है।

मिश्रा के मुताबिक इन कोशिशों के कारण ही मुजफ्फरनगर में सीजन के दिनों में 35,000 कोल्हू चलते हैं, जबकि सीतापुर-लखीमपुर में 12,000 कोल्हू चल रहे हैं। उनका कहना है कि प्रदेश भर में इस समय 70,000 से ज्यादा कोल्हू चल रहे हैं, जबकि चार साल पहले इसके आधे भी नहीं चलते थे। मिश्रा कहते हैं, ‘किसान अब अपने घर गुड़ नहीं बनाता बल्कि कोल्हू वालों को गन्ना देकर व्यावसायिक तरीके से इसे तैयार कराता है. इस बार भी सीजन से पहले ही कोल्हू वालों के पास लाइन लग गई।’

गुड़ की खपत का जिक्र करने पर कारोबारी बताते हैं कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ही दो साल पहले रोजाना 400 क्विंटल गुड़ की खपत होती थी, जो अब 600 क्विंटल के पार चली गई है। लखनऊ के गुड़ बाजार गणेशगंज के कारोबारी राजेश मिश्रा बताते हैं कि कोरोना महामारी के दौरान गुड़ की मांग तेजी से बढ़ी थी और यह तेजी अब भी जारी है।

पहले के मुकाबले अब गुड़ की कई किस्में आ गई हैं और नई पीढ़ी मिठाई के तौर पर इसे पसंद भी कर रही है। मिश्रा कहते हैं कि मूंगफली, तिल, सोंठ, गोंद, बादाम और दूसरे मेवों के साथ गुड़ तैयार किया जा रहा है। आकर्षक पैकिंग में उपलब्ध यह गुड़ हाथोहाथ बिक रहा है।

लखनऊ में ही रकाबगंज मूंगफली मंडी के कारोबारी अजय त्रिवेदी का कहना है कि मंडी में इन दिनों गुड़ से बने सामान की धूम है। इटावा, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद में खालिस गुड़ और मूंगफली से बनने वाली चिक्की तथा गजक की प्रदेश भर में बहुत मांग है।

गुड़ कारोबारी गुड़ उत्पादन और व्यापार में इस बढ़ोतरी का श्रेय प्रदेश सरकार को देते हैं। उनका कहना है कि पहले जमकर कोल्हू चलने से खूब गुड़ बनता था और ओडिशा, उत्तराखंड तथा अन्य राज्यों से प्रदेश के उद्योगों के लिए कच्चा माल लाने वाले ट्रक वापसी में गुड़ तथा राब भरकर ले जाते थे। मगर पिछली सरकारों ने खांडसारी उद्योग एक तरह से बंद ही कर दिया था। सरकार बदलने के बाद खांडसारी इकाइयां तथा कोल्हू बड़ी तादाद में चलने लगे हैं। इसीलिए एक बार फिर ट्रकों में भरकर गुड़ दूसरे राज्यों में जाने लगा है।

First Published - January 5, 2025 | 10:12 PM IST

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