Sunjay Kapur net worth: बॉलीवुड अभिनेत्री करिश्मा कपूर के पूर्व पति और जाने-माने उद्योगपति संजय कपूर का निधन 12 जून 2025 को हो गया। उनकी उम्र सिर्फ 53 साल थी। संजय कपूर भारत की ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री का एक बड़ा नाम थे। वह Sona Comstar नाम की कंपनी के चेयरमैन थे, जो गाड़ियों के जरूरी पुर्जे (पार्ट्स) बनाने का काम करती है।
इस कंपनी की शुरुआत 1997 में उनके पिता सुरिंदर कपूर ने की थी। सुरिंदर कपूर को भारत में ऑटो पार्ट्स के क्षेत्र में काम शुरू करने वाले शुरुआती और अहम लोगों में गिना जाता है। उन्होंने जो बिज़नेस खड़ा किया, उसे संजय कपूर ने आगे बढ़ाया और पूरी दुनिया तक पहुंचाया।
संजय कपूर ने Sona Comstar को सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि अमेरिका, यूरोप, चीन और अन्य देशों में भी पहचान दिलाई। उन्होंने अपने पिता की बनाई कंपनी को नई सोच और तकनीक के साथ आगे बढ़ाया और इसे एक ग्लोबल ब्रांड बना दिया।
Sona Comstar का नाम उनके दादा के सोने के गहनों के व्यापार से लिया गया, जो इस कंपनी की पारिवारिक विरासत को दर्शाता है। लेकिन संजय कपूर ने इस पारंपरिक नाम को इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के दौर में इनोवेशन का प्रतीक बना दिया। कंपनी आज दुनिया के कई बड़े ऑटोमोटिव ब्रांड्स को ईवी टू-व्हीलर और थ्री-व्हीलर के लिए पुर्जे सप्लाई करती है। भारत, चीन, सर्बिया, मेक्सिको और अमेरिका में कंपनी के कुल 9 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं।
Forbes के मुताबिक, संजय कपूर की मृत्यु के समय रियल टाइम नेटवर्थ करीब 1.2 बिलियन डॉलर थी। यानी भारतीय मुद्रा में लगभग 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा। यह उनकी दूरदर्शिता, वैश्विक नेटवर्किंग और टेक्नोलॉजी फोकस का नतीजा था।
भले ही संजय कपूर अमेरिका के नागरिक थे, लेकिन उनकी जड़ें और कारोबार भारत से जुड़े रहे। उन्होंने University of Buckingham (UK) से BBA किया था और भारत के प्रतिष्ठित The Doon School में पढ़ाई की थी, जहां बाद में वह बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में भी शामिल हुए।
संजय कपूर को उस पीढ़ी के प्रतिनिधि के रूप में देखा जाता है, जिसने भारत की पारंपरिक ऑटो इंडस्ट्री को इलेक्ट्रिक और सस्टेनेबल मोबिलिटी की ओर मोड़ा। उन्होंने न सिर्फ EV कंपोनेंट्स पर फोकस किया, बल्कि भारत की मैन्युफैक्चरिंग ताकत को वैश्विक मंच पर मजबूत किया।
उनकी अचानक मृत्यु से एक ऐसा नेतृत्व खत्म हो गया जिसने “घर की विरासत को ग्लोबल पहचान” में बदला। संजय कपूर उन उद्यमियों में शामिल रहे, जिन्होंने पारंपरिक सोच को पीछे छोड़कर टेक्नोलॉजी, इनोवेशन और इंटरनेशनल बिज़नेस मॉडल पर दांव लगाया। उनकी कारोबारी यात्रा भारतीय युवाओं और स्टार्टअप्स के लिए एक प्रेरणा है कि अगर सोच बड़ी हो, तो सोने जैसी विरासत को भी नई चमक दी जा सकती है।