Karnataka elections Results 2023: भाजपा को सत्ता में वापस लाने में मदद करने के लिए 2019 में 17 विधायक कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन से दूर चले गए थे। इनमें से 13 ने ये चुनाव लड़ा था
साल 2019 में कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) का दामन छोड़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने वाले 13 विधायकों में से सात कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणामों में पीछे चल रहे है।
बता दें कि बीजेपी को सत्ता में वापस लाने में मदद करने के लिए 2019 में कुल 17 विधायक कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन से दूर चले गए थे।
कर्नाटक की अठानी सीट से महेश कुमथल्ली भाजपा सरकार में पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी से काफी पीछे चल रहे है। वह बीजेपी की तरफ से टिकट नहीं मिलने के बाद चुनाव से पहले कांग्रेस में चले गए थे।
इस बीच, कागवाड़ सीट पर भाजपा के मौजूदा श्रीमंत बालासाहेब पाटिल और कांग्रेस के राजू कागे के बीच कांटे की टक्कर थी। पूर्व कांग्रेस नेता पाटिल केज से पीछे चल रहे थे। पाटिल और केज दोनों ने 2019 के एपिसोड के बाद पाला बदल लिया।
पीछे चल रहे अन्य नेताओं में मास्की से भाजपा के प्रतापगौड़ा पाटिल शामिल हैं, जो अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित सीट है। वह कांग्रेस के बसन गौड़ा तुरविहाल से पीछे थे। पाटिल ने 2013 और 2018 के विधानसभा चुनावों में यह सीट जीती थी, जिसके बाद उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया था।
हिरेकेरूर सीट से बीसी पाटिल कांग्रेस के उजनेश्वर बसवन्नाप्पा बनाकर से पीछे चल रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि बनाकर पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा के वफादार रह चुके है। वह येदियुरप्पा के साथ कर्नाटक जनता पक्ष में चले गए थे जब बाद में उन्होंने 2013 में भाजपा छोड़ दी थी।
इसके अलावा होसकोटे सीट से दल बदलने वाले करोड़पति किसान नेता एन नागराजू (एमटीबी) कांग्रेस के शरथ कुमार बचेगौड़ा से लगभग 9 प्रतिशत पीछे चल रहे थे।
जद (एस) के जिन विधायकों ने पाला बदला था उनमें केसी नारायणगौड़ा और के गोपालैया थे। जबकि गोपालैया महालक्ष्मी लेआउट निर्वाचन क्षेत्र से 36,832 मतों के बड़े अंतर से आगे चल रहे थे, वहीं नारायणगौड़ा कांग्रेस के कृष्णराजपेट उम्मीदवार बीएल देवराज से काफी पीछे थे।