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NCP: अजीत पवार के बाद शरद पवार को मिल गई पार्टी, लम्बी चलेगी चाचा-भतीजे की राजनीतिक जंग

Ajit Pawar's NCP faction : NCP शरद पवार गुट चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रहा है।

Last Updated- February 07, 2024 | 9:13 PM IST
महाराष्ट्र के सियासी रंगमंच पर पवार ने चलनी शुरू कर दी चाल, Pawar started playing tricks on the political theater of Maharashtra

चुनाव आयोग ने मंगलवार को अजित पवार गुट को असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के रुप में मान्यता दी। आयोग ने आज शरद पवार गुट को नया नाम एनसीपी- शरद चंद्र पवार के रुप में पार्टी को मान्यता दे दी। इससे पहले शरद पवार गुट ने अपनी पार्टी के लिए तीन नाम और चुनाव चिन्ह के विकल्प चुनाव आयोग को सुझाए थे।

शरद पवार और अजीत पवार को अलग अलग पार्टी भले ही मिल गई है लेकिन राज्य में राजनीतिक तूफान अभी थमने वाला नहीं है। शरद गुट अदालत जाने को बोल रहा है तो अजीत गुट पहले ही अदालत पहुंच गया ।

चुनाव आयोग की ओर से अजित पवार गुट को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ( एनसीपी ) घोषित किए जाने और उसे पार्टी का चुनाव चिन्ह दीवार घड़ी आवंटित किए जाने के बाद शरद पवार गुट को नया नाम मिला है।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक शरद पवार ने बुधवार को पार्टी के नाम के तौर पर जो तीन विकल्प चुनाव आयोग को सुझाए थे। वो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद पवार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद चंद्र पवार और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरदराव पवार थे जबकि चुनाव चिन्ह के तौर पर चाय का कप, सूरजमुखी का फूल और उगता हुआ सूरज विकल्प का सुझाए दिया गया है।

मंगलवार को अजित पवार गुट को असली एनसीपी घोषित करते हुए चुनाव आयोग ने शरद पवार को गुट को बुधवार शाम तक उनकी पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह के लिए विकल्प बताने के लिए कहा था ।

सुप्रीम कोर्ट जाएगा शरद गुट

शरद पवार गुट चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रहा है। एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने कहा कि यह लोकतंत्र की हत्या है, क्योंकि चुनाव आयोग ने विधायकों की संख्‍या के आधार पर अपना फैसला सुनाया है, मगर इसके पीछे अदृश्य शक्ति की मौजूदगी है।

सुले ने कहा कि हम चुनाव आयोग के फैसले से बिल्कुल भी हैरान नहीं हैं। इसने अन्यायपूर्वक पार्टी (एनसीपी) को उसके संस्थापक (शरद पवार) से छीन लिया है। हम न्याय पाने के लिए ईसीआई के फैसले को पूरी ताकत के साथ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।

अजीत पवार ने अदालत में लगायी गुहार

अजित पवार गुट ने भी सुप्रीम कोर्ट में खास याचिक (कैविएट) दाखिल कर दी है और चुनाव आयोग की ओर से उसे मूल एनसीपी घोषित करने के आदेश को शरद पवार गुट की ओर से चुनौती दिए जाने की स्थिति में उसका पक्ष भी सुने जाने का अनुरोध किया है। इसके साथ ही अजित पवार गुट आधिकारिक तौर पर एनसीपी के कार्यालय समेत अन्य संपत्तियों पर अपनी दावेदारी करने की भी तैयारी कर रहा है।

अजित गुट का कहना है कि पार्टी कार्यालय को सरकार की तरफ से दिया गया है, खुद इसे पार्टी ने नहीं बनाया है। ऐसे में आधिकारिक तौर पर पार्टी कार्यालय और अन्य संपत्तियों पर एनसीपी की आधिकारिक इकाई की दावेदारी बनती है।

चुनाव आयोग ने लोकतंत्र की पीठ में छुरा भोंका है- राउत

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत ने कहा कि चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के गुट को असली एनसीपी के रूप में मान्यता संबंधी फैसला देकर लोकतंत्र की पीठ में छुरा भोंका है। जिस तरह का अन्याय राकांपा के संस्थापक शरद पवार और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ हुआ है, वैसा अन्याय इतिहास में कभी नहीं हुआ।

शिवसेना और राकांपा को इसलिए कमजोर किया गया क्योंकि यही दो दल हैं जिन्होंने मराठी अस्मिता की रक्षा की और महाराष्ट्र के साथ अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई। राउत ने कहा कि असली शिवसेना वही है जहां ठाकरे हैं और ठीक यही मामला राकंपा के साथ है, जहां शरद पवार हैं वही असली राकांपा है।

लोकतंत्र की हत्या करने वालों को अब इसकी ताकत का अहसास हो गया है – फड़णवीस

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को कहा कि निर्वाचन आयोग का फैसला लोकतंत्र और बहुमत की जीत है, खासतौर से महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव में जो हुआ था उसे देखते हुए। उस समय जनादेश को नकार दिया गया था और लोकतंत्र की हत्या कर दी गयी थी।

फडणवीस ने कहा कि 2019 में लोकतंत्र की हत्या करने वाले लोगों को अब लोकतंत्र की असली ताकत का अहसास हो गया है। निर्वाचन आयोग ने न केवल राकांपा में बहुमत की राय पर गौर किया बल्कि पार्टी के संविधान के साथ-साथ निश्चित अंतराल पर आंतरिक चुनाव कराने जैसी अन्य अनिवार्य प्रक्रियाओं को भी ध्यान में रखा।

राकांपा के संस्थापक शरद पवार के समर्थकों ने अजित पवार गुट को असली राकांपा के रूप में मान्यता देने के निर्वाचन आयोग के फैसले की निंदा की और मुंबई, पुणे तथा आसपास के इलाकों में काले रिबन पहनकर विरोध प्रकट किया।

विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि शरद पवार का मतलब ही पार्टी और चिह्न है। राज्य में हर कोई जानता है कि राकांपा वास्तव में किसकी है। शरद पवार ने 1999 में राकांपा को स्थापित किया था। उनके भतीजे अजित पवार के पार्टी के आठ विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो जाने के बाद पार्टी विभाजित हो गई।

First Published - February 7, 2024 | 9:13 PM IST

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