Maratha Reservation: मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र ने बड़ा फैसला लिया है। शिंदे सरकार ने 10 फीसदी आरक्षण देने के प्रस्ताव मुहर लगा दी है। महाराष्ट्र में चल रहे मराठा आंदोलन को लेकर शिंदे सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। शिंदे सरकार राज्य में 10 फीसदी मराठा आरक्षण को मंजूरी दे दी है। अब शिंदे सरकार मराठा समाज को नौकरी और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देगी।
बता दें, साल 2018 में आई राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (SBCC) की एक रिपोर्ट के अनसुार महाराष्ट्र में करीब 37.28 फीसदी मराठा गरीबी रेखा (BPL) से नीचे हैं। इस समुदाय के 76.86 फीसदी परिवार कृषि और कृषि से जुड़ी मजदूरी पर निर्भर हैं।
इस रिपोर्ट में किसानों की आत्महत्या को लेकर भी एक आंकड़ा दिया गया है, जिसके अनुसार साल 2013 से 2018 तक राज्य में करीब 2152 मराठा समुदाय के किसानों ने आत्महत्या की। और इन आत्महत्याओं का मुख्य कारण लोन की समस्या और फसल की बर्बादी थी।
इसी को लेकर काफी समय से महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर चल आंदोलन चल रहा था। आंदोलनकारियों की मांगों को महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने मान लिया था। लेकिन इसके बाद सरकार ने जातिगत आरक्षण पर सरकारी संकल्प जारी किया था और इसे फरवरी महीने में होने वाले विधानसभा सत्र में कानून में बदल देने का आश्वासन दिया था।
जनसंख्या का अनुपात देखें तो मराठा की राज्य में कुल जनसंख्या करीब 30 फीसदी है। और ये समुदाय सामाजिक और आर्थिक दोनों रूप से ये समुदाय काफी पिछड़ा हुआ है।
महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने शुक्रवार, 16 फरवरी को मराठा समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन पर अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट सौंपी। मराठा समुदाय के पिछड़ेपन की जांच के लिए राज्य भर में किये गये सर्वेक्षण की रिपोर्ट मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस की उपस्थिति में सौंपी। रिकॉर्ड समय में साढ़े तीन से चार लाख अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा सर्वेक्षण किया गया ।
मराठा समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन की जांच के लिए राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के माध्यम से सर्वेक्षण 23 जनवरी को पूरे महाराष्ट्र में शुरू हुआ जिसमें राज्य सरकार के 3.5 लाख से चार लाख कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। यह सर्वेक्षण 2.5 करोड़ परिवारों पर किया गया । सर्वेक्षण 2 फरवरी को पूरा हुआ।