दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने शुक्रवार को कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी को नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नोटिस जारी किया। यह मामला पिछले एक दशक से चल रहा है और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के बाद अब कोर्ट में नया मोड़ आया है। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने इस मामले में निष्पक्ष सुनवाई पर जोर देते हुए कहा कि हर स्तर पर सुनवाई का अधिकार एक निष्पक्ष ट्रायल को जिंदा रखता है। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 8 मई की तारीख तय की है।
यह मामला भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा जून 2014 में दायर एक निजी आपराधिक शिकायत से शुरू हुआ था। स्वामी ने आरोप लगाया था कि नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़ी कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के अधिग्रहण और वित्तीय अनियमितताओं में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने आपराधिक साजिश रची। ईडी ने इस मामले की औपचारिक जांच 2021 में शुरू की थी।
ईडी के अनुसार, इस मामले का केंद्र नेशनल हेराल्ड अखबार की मूल कंपनी एजेएल और यंग इंडियन नामक एक गैर-लाभकारी कंपनी है। यंग इंडियन में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 38-38 प्रतिशत हिस्सेदारी है। जांच एजेंसी का दावा है कि यंग इंडियन को इस तरह बनाया गया ताकि एजेएल की 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की रियल एस्टेट संपत्तियों पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण हासिल किया जा सके। ईडी का आरोप है कि कांग्रेस पार्टी ने एजेएल को लगभग 90 करोड़ रुपये का बिना ब्याज वाला कर्ज दिया, जिसे बाद में यंग इंडियन को केवल 50 लाख रुपये में ट्रांसफर कर दिया गया। इस प्रक्रिया से यंग इंडियन ने एजेएल और उसकी संपत्तियों, जैसे दिल्ली, लखनऊ और मुंबई में मौजूद मूल्यवान संपत्तियों पर नियंत्रण हासिल कर लिया। ईडी का कहना है कि इस व्यवस्था से लगभग 988 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग हुई।
कांग्रेस पार्टी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे राजनीतिक साजिश करार दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हाल ही में नई दिल्ली में पार्टी नेताओं को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार पर जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया। खड़गे ने कहा कि सोनिया और राहुल गांधी के नाम को इस मामले में जानबूझकर घसीटा जा रहा है, लेकिन पार्टी इस “बदले की भावना” से डरने वाली नहीं है।