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नीतियों का विरोध और संसदीय कामकाज का विरोध अलग-अलग बातें हैं: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

राष्ट्रपति मूर्मु ने अभिभाषण के अंत में कहा, ‘‘आइए, हम सब मिलकर पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा के साथ, राष्ट्रीय संकल्पों की सिद्धि में जुट जाएं, विकसित भारत बनाएं।’’

Last Updated- June 27, 2024 | 1:38 PM IST
Opposition to policies and opposition to parliamentary functioning are different things: President Draupadi Murmu नीतियों का विरोध और संसदीय कामकाज का विरोध अलग-अलग बातें हैं: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

President Address: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को कहा कि नीतियों का विरोध और संसदीय कामकाज का विरोध, दो अलग-अलग बातें हैं और जब संसद सुचारू रूप से चलती है, जब यहां स्वस्थ चर्चा-परिचर्चा होती है, जब दूरगामी निर्णय होते हैं, तब लोगों का विश्वास सिर्फ सरकार पर ही नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था पर बनता है।

मुर्मू ने 18वीं लोकसभा के गठन के बाद संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को संयुक्त रूप से संबोधित करते हुए यह बात कही। राष्ट्रपति ने अपने लगभग 55 मिनट के अभिभाषण में कहा, ‘‘मुझे भरोसा है कि संसद के पल-पल का सदुपयोग होगा, जनहित को प्राथमिकता मिलेगी। मैं आप सभी सदस्यों से अपनी कुछ और चिंताएं भी साझा करना चाहती हूं। मैं चाहूंगी कि आप सभी इन विषयों पर चिंतन-मनन करके, इन विषयों पर ठोस और सकारात्मक परिणाम देश को दें।’’

उन्होंने कहा कि आज की संचार क्रांति के युग में विघटनकारी ताकतें, लोकतंत्र को कमजोर करने और समाज में दरार डालने की साजिश रच रही हैं। मुर्मू ने कहा कि ये ताकतें देश के भीतर भी हैं और देश के बाहर से भी संचालित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि इनके द्वारा अफवाह फैलाने का, जनता को भ्रम में डालने का, गलत सूचनाओं का सहारा लिया जा रहा है।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘इस स्थिति को ऐसे ही बेरोक-टोक नहीं चलने दिया जा सकता। आज के समय में प्रौद्योगिकी हर दिन और उन्नत हो रही है। ऐसे में मानवता के विरुद्ध इनका गलत उपयोग बहुत घातक है। भारत ने विश्व मंच पर भी इन चिंताओं को प्रकट किया है और एक वैश्विक रूपरेखा की वकालत की है। हम सभी का दायित्व है कि इस प्रवृत्ति को रोकें, इस चुनौती से निपटने के लिए नए रास्ते खोजें।’’

उन्होंने कहा कि राष्ट्र की उपलब्धियों का निर्धारण इस बात से होता है कि हम अपने दायित्वों का निर्वहन कितनी निष्ठा से कर रहे हैं। मुर्मू ने 18वीं लोकसभा में नव निर्वाचित सदस्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि कुछ सदस्य पहली बार संसदीय प्रणाली का हिस्सा बने हैं, वहीं पुराने सदस्य भी नए उत्साह के साथ आए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘आप सभी जानते हैं कि आज का समय हर प्रकार से भारत के लिए बहुत अनुकूल है। आने वाले वर्षों में भारत की सरकार और संसद क्या निर्णय लेती हैं, क्या नीतियां बनाती हैं, इस पर पूरे विश्व की नजर है। इस अनुकूल समय का अधिक से अधिक लाभ देश को मिले, यह दायित्व सरकार के साथ-साथ संसद के हर सदस्य का भी है।’’

मुर्मू ने कहा कि पिछले 10 वर्ष में जो सुधार हुए हैं, जो नया आत्मविश्वास देश में आया है, उससे हम ‘विकसित भारत’ बनाने के लिए नई गति प्राप्त कर चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी को हमेशा यह ध्यान रखना है कि विकसित भारत का निर्माण देश के हर नागरिक की आकांक्षा है, संकल्प है। इस संकल्प की सिद्धि में अवरोध पैदा न हो, यह हम सभी का दायित्व है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे वेदों में हमारे ऋषियों ने हमें “समानो मंत्र: समिति: समानी” की प्रेरणा दी है। अर्थात, हम एक समान विचार और लक्ष्य लेकर एक साथ काम करें। यही इस संसद की मूल भावना है। इसलिए जब भारत तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बनेगा तो देश की इस सफलता में आपकी भी सहभागिता होगी।’’

मुर्मू ने कहा, ‘‘हम जब 2047 में आजादी की शताब्दी का उत्सव विकसित भारत के रूप में मनाएंगे, तो इस पीढ़ी को भी श्रेय मिलेगा। आज हमारे युवाओं में जो सामर्थ्य है, आज हमारे संकल्पों में जो निष्ठा है, हमारी जो असंभव सी लगने वाली उपलब्धियां हैं, यह इस बात का प्रमाण हैं कि आने वाला दौर भारत का दौर है। यह सदी भारत की सदी है, और इसका प्रभाव आने वाले एक हजार वर्षों तक रहेगा।’’

उन्होंने अभिभाषण के अंत में कहा, ‘‘आइए, हम सब मिलकर पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा के साथ, राष्ट्रीय संकल्पों की सिद्धि में जुट जाएं, विकसित भारत बनाएं।’’

First Published - June 27, 2024 | 1:38 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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