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दिल्ली में दीवाली पर पटाखा प्रतिबंध का व्यापक उल्लंघन, प्रदूषण स्तर में वृद्धि

विशेषज्ञों ने सीमित निगरानी और पटाखों की आसान उपलब्धता को बताया प्रतिबंध के उल्लंघन का कारण, 3 नवंबर तक एक्यूआई गंभीर स्तर पर पहुंचने की संभावना

Last Updated- November 01, 2024 | 10:43 PM IST
Weather: Smog in Delhi

विशेषज्ञों का कहना है कि पाबंदी लागू करने में खामियों, सीमित निगरानी और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पटाखों की आसान उपलब्धता की वजह से दीवाली पर दिल्ली में पटाखों पर लगे प्रतिबंध का व्यापक उल्लंघन हुआ है। हालांकि, दिल्ली सरकार ने पटाखों पर प्रतिबंध का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए 377 टीम बनाई थीं और स्थानीय संघों के माध्यम से जागरूकता फैलाई थी, लेकिन शहर के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में बड़े पैमाने पर प्रतिबंधों के उल्लंघन की सूचना मिली है।

विशेषज्ञों ने कहा कि अनियंत्रित बिक्री और पड़ोसी क्षेत्रों से पटाखों की आमद के साथ-साथ अधिकारियों की जमीन पर मौजूदगी के अभाव ने बड़े पैमाने पर प्रतिबंध के उल्लंघन में योगदान दिया, जिसकी वजह से शहर पर बृहस्पतिवार को धुंध की चादर छाई रही।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उन्होंने पटाखे जलाने के खिलाफ कई जागरूकता अभियान चलाए, लेकिन प्रतिबंध लागू करना दिल्ली पुलिस की जिम्मेदारी थी। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हालांकि, ‘प्रशासन की विफलता’ के आरोप से इनकार किया और कहा कि प्रतिबंध का उल्लंघन करने वाले लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई है।

दीवाली की रात 10 बजे दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 330 यानी बहुत ‘खराब’ श्रेणी में रहा। आनंद विहार समेत प्रमुख क्षेत्रों में एक्यूआई गिरकर ‘गंभीर’ श्रेणी में चला गया, जबकि पीएम2.5 की मात्रा बढ़ गई, जिससे सांस से संबंधित समस्याएं होने की स्थिति पैदा हो गई। पर्यावरण विशेषज्ञों ने कहा कि कई प्राधिकारियों ने शहर में पटाखों की आपूर्ति और उपयोग को नियंत्रित करने के लिए सही ढंग से काम नहीं किया, जिससे प्रतिबंध का प्रभावी कार्यान्वयन चुनौतीपूर्ण हो गया।

दक्षिणी दिल्ली में स्थित निवासी कल्याण संघों (आरडब्ल्यूए), गैर सरकारी संगठनों और कार्यकर्ताओं के समूह ‘सेव अवर सिटी’ (एसओसी) के संयोजक राजीव काकरिया ने कहा कि दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया।

उन्होंने कहा, ‘दिल्ली-एनसीआर की जगह-जगह से खुली सीमाओं के कारण लोगों के लिए बिना किसी कठिनाई के पटाखे खरीदना आसान रहा। यह प्रतिबंध लगाना चुनौतीपूर्ण है क्योंकि दिल्ली में तो पटाखों पर पाबंदी है, लेकिन पड़ोसी क्षेत्रों से ये आसानी से हासिल किए जा सकते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘सीमाओं पर उचित निगरानी नहीं की गई और दीवाली के दौरान पुलिस की गश्त भी सीमित थी।’

दिल्ली भर में 2,500 आरडब्ल्यूए के समूह यूनाइटेड आरडब्ल्यूए ज्वाइंट एक्शन (यूआरजेए) के अध्यक्ष अतुल गोयल ने भी बड़े पैमाने पर पटाखे जलाए जाने के लिए प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने में ढिलाई को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, ‘कई इलाकों में सड़कों पर पटाखे बेचे जा रहे थे। पुलिस के लिए हर विक्रेता को पकड़ना मुश्किल है। लोगों को आसानी से पटाखे उपलब्ध थे।’

उन्होंने सीमाओं पर अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अधिक समन्वित क्षेत्रीय रणनीति की आवश्यकता पर जोर दिया। इस बीच, डीपीसीसी के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमने व्यापक अभियान चलाया और लोगों से पटाखे न जलाने का अनुरोध किया। हालांकि, प्रतिबंध लागू करना दिल्ली पुलिस का काम था।’

इस साल दीवाली पर प्रदूषण का स्तर पूर्वानुमान के मुताबिक नहीं रहा। निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी ‘स्काईमेट’ के एक अधिकारी ने कहा, 3 नवंबर तक इसके गंभीर श्रेणी में पहुंचने की आशंका है।

‘स्काईमेट ’में मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने कहा, ‘हमें उम्मीद थी कि वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में पहुंच जाएगी और दो कारकों ने इसे रोकने में मदद की।’ उन्होंने कहा, ‘पिछली रात से उत्तर-पश्चिम से अच्छी गति से हवा चलने लगी, जिससे प्रदूषक तत्त्व तितर-बितर हो गए। इसके अलावा, दीवाली के दौरान तापमान में गिरावट नहीं हुई, जिससे अक्सर धुंध छा जाती है।’

पलावत ने कहा कि 10 से 15 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही हैं और अगले दो दिन तक ऐसा ही रहने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि हवा की दिशा 2 नवंबर के आसपास दक्षिण-पूर्व की ओर हो जाएगी और प्रदूषण का स्तर बढ़ सकता है, जिससे 3 नवंबर तक संभावित रूप से वायु गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है।

दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, शहर के कई हिस्सों में दीवाली की रात पटाखे जलाते पकड़े गए लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई। उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 223 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

First Published - November 1, 2024 | 10:43 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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