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R&AW की बागडोर अब Parag Jain के हाथ, ऑपरेशन सिंदूर में निभाई थी भूमिका; जानें इनके बारे में सबकुछ

Parag Jain वर्तमान में एविएशन रिसर्च सेंटर (एआरसी) के प्रमुख हैं, जिसने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान अहम भूमिका निभाई थी।

Last Updated- June 28, 2025 | 4:33 PM IST
Parag Jain
Parag Jain

मोदी सरकार ने पाकिस्तान मामलों के जानकार और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पराग जैन (Parag Jain) को देश की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) का अगला प्रमुख नियुक्त किया है। वह पंजाब कैडर के 1989 बैच के अधिकारी हैं और दो साल तक रॉ प्रमुख के पद पर रहेंगे।

पराग जैन वर्तमान में एविएशन रिसर्च सेंटर (एआरसी) के प्रमुख हैं, जिसने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान अहम भूमिका निभाई थी। इस अभियान में पाकिस्तानी सेना और आतंकी शिविरों की लोकेशन की जानकारी जुटाने में एआरसी ने महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

Also Read: Operation Sindoor के बाद फिर सक्रिय हुआ पाकिस्तान, दोबारा आतंकी ठिकाने बना रहा है ISI; PoK में बन रहे हैं नए कैंप

वह रॉ प्रमुख रवि सिन्हा का स्थान लेंगे, जिनका कार्यकाल 30 जून को समाप्त हो रहा है। रवि सिन्हा का कार्यकाल खास प्रभावी नहीं माना गया।

भारत की बाहरी खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) को सोमवार से नया प्रमुख मिल गया है। वरिष्ठ अधिकारी पाराग जैन ने रॉ चीफ के तौर पर रवि सिन्हा की जगह पदभार संभाल लिया है। पंजाब में आतंकवाद के दौर से लेकर कनाडा और श्रीलंका तक, जैन का करियर चुनौतीपूर्ण अभियानों से भरा रहा है।

पंजाब से कश्मीर तक का अनुभवी सफर

पाराग जैन ने पंजाब में आतंकवाद के दौर में बठिंडा, मानसा और होशियारपुर जैसे जिलों में ऑपरेशनल भूमिका निभाई थी। वे एसएसपी चंडीगढ़ और डीआईजी लुधियाना भी रह चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने और बालाकोट एयरस्ट्राइक जैसे संवेदनशील घटनाक्रमों के दौरान भी रॉ के लिए अहम काम किया।

कनाडा में खालिस्तान नेटवर्क के खिलाफ मोर्चा

विदेश में तैनाती के दौरान जैन ने कनाडा में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी थी। उन्होंने समय रहते दिल्ली को अलर्ट किया था कि वहां खालिस्तान समर्थक नेटवर्क खतरे का रूप ले रहा है। श्रीलंका में भी वह भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

मालदीव और बांग्लादेश संकट में एजेंसी की कमजोरियां उजागर

रॉ की हाल की भूमिका को लेकर सवाल भी उठे हैं। पिछले दो वर्षों में मालदीव और बांग्लादेश में उभरे संकटों के दौरान एजेंसी की प्रतिक्रिया अपेक्षा के अनुरूप नहीं रही। वहीं, इस साल 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर भी एजेंसी पर समय रहते अलर्ट न देने की आलोचना हुई थी।

पाकिस्तान से बढ़ते खतरे के बीच खुफिया तंत्र को मजबूत करने की जरूरत

पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर की आक्रामक रणनीतियों और भारत में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने की मंशा को देखते हुए रॉ की भूमिका और भी अहम हो गई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि तकनीकी सूचनाओं के साथ-साथ अब जमीनी स्तर पर खुफिया तंत्र को और मजबूत करने की जरूरत है, ताकि पाकिस्तान की ओर से आने वाले खतरे को समय रहते रोका जा सके।

First Published - June 28, 2025 | 4:05 PM IST

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