भारत आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) को अपनाने में कई देशों में आगे रहा है, फिर भी तेजी से उभरते इस क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम दिखाई दे रही है। ऑनलाइन प्रशिक्षण देने वाले प्लेटफॉर्म कोर्सेरा के आंकड़ों के अनुसार विश्व में जेनएआई पाठ्यक्रमों में महिलाओं के पंजीकरण के मामले में भारत दूसरे नंबर पर है, लेकिन देश में कुल जेनएआई पंजीकरण में उनकी हिस्सेदारी केवल 29.6 फीसदी ही है।
इस प्लेटफॉर्म पर सभी तरह के पाठ्यक्रमों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 40 फीसदी है। वैश्विक स्तर पर कोर्सेरा में जेनएआई पढ़ने वालों में महिलाएं 32 फीसदी हैं। इससे यह स्पष्ट है कि जेनएआई में महिलाओं को प्रशिक्षित करने और इस क्षेत्र में उनकी संख्या बढ़ाने की सख्त जरूरत है।
जेनएआई पाठ्यक्रम में पंजीकरण में बढ़त के मामले में भारतीय महिलाएं पुरुषों से आगे हैं। पुरुषों के पंजीकरण में जहां 191 फीसदी वृद्धि हुई है, वहीं महिलाओं के मामले में यह आंकड़ा 296 फीसदी दर्ज किया गया। एआई प्रशिक्षण के लिए अधिक से अधिक महिलाओं को प्रोत्साहित करने से न केवल समावेशिता को बढ़ावा मिलेगा बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि विविध दृष्टिकोण इस परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकी के विकास और अनुप्रयोग में योगदान दें।
कोर्सेरा में एंटरप्राइज की ग्लोबल हेड करीन एलूश कहती हैं, ‘वैश्विक स्तर पर जैसे-जैसे एआई में प्रशिक्षण लेने वालों की संख्या बढ़ रही है, जेनएआई में महिलाओं के लिए अवसर बढ़ाना, उन्हें इस महत्त्वपूर्ण कौशल से लैस करना और डिजिटल अर्थव्यवस्था में योगदान देने के लिए उन्हें सशक्त बनाना आज सबसे जरूरी हो गया है। महिलाओं को इस क्षेत्र में मजबूत बनाकर हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि एआई को विश्व के लिए
विविध आवाजों ने मिलकर तैयार किया है।’
कोर्सेरा के पाठ्यक्रम इस प्रकार तैयार किए गए हैं कि संस्थान हो या व्यक्ति अथवा सरकारें, सभी ऐसी रणनीति से काम करें कि महिलाएं अधिक से अधिक संख्या में इस तेजी से उभरते क्षेत्र में आ सकें। कोर्सेरा ने ‘क्लोजिंग द जेंडर गैप इन जेनएआई स्किल्स’ शीर्षक से अपनी प्लेबुक भी जारी की है जिसका लक्ष्य जेनएआई कौशल सीखने में लिंगानुपात की समस्या को चिह्नित करना है। इसमें जेनएआई में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने में आने वाली प्रमुख बाधाओं और उन्हें दूर करने के तरीकों पर प्रकाश डाला डाला गया है।
ऑक्सफर्ड एकेडमी रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार यदि हाई स्कूल स्तर पर अधिक महिला स्टेम शिक्षिकाएं होंगी तो स्टेम में स्नातक करने वाली लड़कियों की संख्या भी बढ़ने की संभावना अधिक रहेगी।