राजस्थान के मकराना से संगमरमर, मूर्ति के लिए मैसूरु से तीन अरब साल पुरानी चट्टान, महाराष्ट्र से पॉलिश की गई सागौन की लकड़ी, इन सबके संगम से बना अयोध्या का भव्य राम मंदिर इसे एक राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में भी स्थापित करता है।
मंदिर के वास्तुकार चंद्रकांत बी सोमपुरा अहमदाबाद के हैं जबकि रामलला के बाल रूप के विग्रह को मैसूर के पांचवीं पीढ़ी के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने तराशा है। प्राण प्रतिष्ठा दिवस पर ‘बालक राम’ को सजाए गए कपड़े दिल्ली से थे, जबकि मूर्ति के लिए आभूषण लखनऊ में तैयार किए गए हैं।
मंदिर निर्माण की देखरेख कर रहे न्यास श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि भारत के विभिन्न हिस्सों से 100 से अधिक निर्माण एजेंसियों और फर्मों ने मंदिर के निर्माण में योगदान दिया है।
उन्होंने कहा, ‘मंदिर का निर्माण देश के कुछ सर्वश्रेष्ठ हुनरमंद लोगों के सामूहिक ज्ञान का परिणाम है। गंगोत्री, यमुनोत्री, कैलास मानसरोवर, प्रयाग सहित भारत के लगभग सभी तीर्थ स्थलों से जल और पवित्र मिट्टी का मंदिर के निर्माण में उपयोग किया गया है।’