तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने राज्य के बजट 2025 में आधिकारिक रुपया (₹) चिन्ह को हटाने का फैसला किया है। इसकी जगह अब तमिल लिपि का इस्तेमाल किया जाएगा। यह पहली बार है जब किसी राज्य ने राष्ट्रीय मुद्रा चिन्ह को अस्वीकार किया है। इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के खिलाफ तमिलनाडु सरकार के विरोध के अगले कदम के रूप में देखा जा रहा है।
हिंदी थोपने के आरोप के बीच आया फैसला
यह फैसला केंद्र और तमिलनाडु सरकार के बीच हिंदी थोपने के विवाद के बीच लिया गया है। तमिलनाडु सरकार ने NEP 2020 के तहत लागू की गई तीन-भाषा नीति को लागू करने से इनकार किया है। इसके चलते केंद्र सरकार ने समग्र शिक्षा अभियान (SSA) के तहत मिलने वाली 573 करोड़ रुपये की सहायता राशि रोक दी है।
नीति के नियमों के अनुसार, SSA फंडिंग का 60% हिस्सा केंद्र सरकार देती है और इसके लिए राज्यों को NEP 2020 के दिशा-निर्देशों का पालन करना जरूरी है। लेकिन डीएमके सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार NEP के जरिए तमिलनाडु के लोगों पर हिंदी सीखने का दबाव बना रही है।
केंद्र सरकार ने किया आरोपों को खारिज
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि डीएमके सरकार इस मुद्दे को राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (ट्विटर) पर कहा कि NEP 2020 का विरोध तमिल भाषा, संस्कृति और पहचान की सुरक्षा से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह सिर्फ राजनीतिक स्टंट है।
यह विवाद केंद्र और तमिलनाडु सरकार के बीच बढ़ते टकराव को दिखाता है, जो NEP और हिंदी भाषा को लेकर लंबे समय से जारी है।
भारत के रुपये को मिला नया प्रतीक, 8 जुलाई 2011 को जारी हुए पहले सिक्के
2010 के केंद्रीय बजट के दौरान, तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने भारतीय मुद्रा के लिए एक नया प्रतीक लाने की घोषणा की। यह प्रतीक भारत की संस्कृति और पहचान को दर्शाने वाला होना चाहिए। इसके लिए एक सार्वजनिक प्रतियोगिता कराई गई, जिसमें कई डिजाइनों में से मौजूदा रुपये (₹) के प्रतीक को चुना गया।
इसके बाद, इस नए प्रतीक को मुद्रा नोटों और सिक्कों में शामिल किया गया। पहली बार ₹ चिन्ह वाले सिक्के 8 जुलाई 2011 को जारी किए गए और ये आधिकारिक रूप से प्रचलन में आए।